UP सुधारे अमेठी-रायबरेली, बिहार बनाए हजार-हजार टॉयलेट : रिपोर्ट
2019 में गांधी जयंती पर देश को खुले में शौच से मुक्त करने के पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान को लेकर सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट से ताजा स्थिति पर शोध किया।;
पटना : 2019 में गांधी जयंती पर देश को खुले में शौच से मुक्त करने के पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान को लेकर सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई) से ताजा स्थिति पर शोध किया। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा… इन चार राज्यों में एक साल तक चले शोध के बाद सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने पटना में इसे जारी किया। अपना भारत के लिए शिशिर कुमार सिन्हा ने उनसे इस रिपोर्ट पर लंबी बात की। पेश है मुख्य अंश…..
प्र. इसे शोध कहें या सर्वे? चारों राज्यों में किस तरह आपकी टीम ने काम किया?
उ. सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट की एक टीम ने एक साल तक बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और उड़ीसा में काम किया। हमारी टीम ने केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के आंकड़ों को लेकर जमीनी हकीकत की पड़ताल की। टीम ने इन राज्यों से कुछ जिलों को चुना और उनमें टॉयलेट की वास्तवित स्थिति के साथ ही आंकड़ों से इसका सामंजस्य किया। देखा कि प्रधानमंत्री जिस लक्ष्य की बात कह रहे हैं, उस गति से टॉयलेट बने हैं या नहीं और जो बने हैं, वह उपयोगी हैं या नहीं।
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प्र. बिहार में किस तरह की स्थिति नजर आई?
उ. देखिए, हमने बिहार के लिए अलग मॉडल रखा। हमने बिहार के कैबिनेट मंत्रियों के गृह-जनपद में बनाए टॉयलेट के आंकड़ों का अध्ययन कराया। इसके साथ ही इन्हें देखा कि इस्तेमाल लायक हैं या नहीं। सबसे पहले यही बात सामने आई कि बिहार के जिन जिलों ने दो-दो मंत्री दिए हैं, वहां टॉयलेट निर्माण लक्ष्य से बहुत दूर है। हालत यह है कि प्रधानमंत्री की ओर से दिए लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूर्वी चंपारण, मधुबनी, समस्तीपुर जैसे जिलों को हर दिन हजार से ज्यादा टॉयलेट बनवाने होंगे। मुख्यमंत्री के गृह जनपद नालंदा को रोज 554 टॉयलेट बनवाने होंगे तो राजधानी पटना को समय पर लक्ष्य हासिल करने के लिए 432 टॉयलेट रोजाना तैयार करवाने होंगे। सबसे कम 125 टॉयलेट रोजाना बनवाने का लक्ष्य जहानाबाद जिले का है। इससे आप समझ सकते हैं कि किस तेजी से काम करवाना होगा। और, ताजा हालत किसी से छिपी नहीं है।
प्र. उत्तर प्रदेश को लेकर किस तरह की रिपोर्ट आई?
उ. देखिए, हमने यूपी के चार जिलों में अपनी टीम को शोध-सर्वे में लगाया। आश्चर्यजनक रूप से गंगा से सटे हापुड़ की स्थिति ठीक नजर आई। झांसी की स्थिति खराब दिखी, लेकिन उतनी नहीं जितनी रायबरेली और अमेठी की। बिहार के टॉयलेट की तरह यहां भी बेकार निर्माण नजर आया। जहां बने भी हैं, वहां इस्तेमाल के लिए लोगों को जागरूक नहीं किया गया है। बना देने के बाद इस्तेमाल के लिए कहना और बनाने के पहले जागरूक करना, दो अलग बाते हैं।
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प्र. तो क्या किसी प्रदेश में कुछ भी अच्छी बात नहीं निकली?
उ. निकली। निकली क्यों नहीं! झारखंड के रामगढ़ और लोहरदगा में हमारी टीम को दो अलग स्थितियां नजर आईं। लोहरदगा में बिहार या यूपी जैसी स्थिति या कहें कि उससे भी खराब स्थिति दिखी, लेकिन रामगढ़ में काम हुआ दिखा। रामगढ़ ने निर्माण गड़बड़ी के कारण बेकार पड़े टॉयलेट को इस्तेमाल के लायक बनाने में अच्छा काम किया। राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति का सीधा और सकारात्मक प्रभाव लोगों पर भी दिखा। यहां लोग टॉयलेट का अच्छा इस्तेमाल करते हैं और खुले में शौच से मुक्ति की मुहिम के लिए यह अच्छा संकेत है। इसे आप मॉडल भी कह सकते हैं, जिससे हर प्रदेश को सीखना चाहिए। खुद झारखंड को भी।
प्र. सबसे अच्छी बात यह तो सबसे खराब किसे कहेंगे?
उ. सबसे खराब कि केंद्र सरकार अरबों रुपए नमामि गंगे के तहत खर्च कर रही है। गंगा को साफ रखने की बात हो रही है और दूसरी तरफ गंगा के किनारे ही शौचालय बनवाए जा रहे हैं। हमारी टीम ने यूपी में इसे कई जगह पाया। इन शौचालयों में पानी की व्यवस्था नहीं है। लोग इस्तेमाल करें भी तो पानी के लिए गंगा तक जाएंगे और अगर वहां तक गए तो आप समझ सकते हैं कि गंगा में गंदगी धोएंगे या नहीं। दूसरी बात यह कि सोख्ते इस तरह बनाए गए हैं कि अंतत: गंदगी गंगा में ही जाती है। इसके अलावा जलस्तर बढ़ने पर गंगा तक ऐसे टॉयलेट की गंदगी चली ही जाती है। पता नहीं किस तरह का समन्वय हो रहा कि यह परिणाम आ रहा है। यह तो शुद्ध रूप से पैसे की बर्बादी है।
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प्र. यूपी, बिहार और झारखंड में भाजपा सत्ता में है और केंद्र सरकार भी इसी के नेतृत्व में है। आप क्या उम्मीद करती हैं?
उ. देखिए मंशा तो सही है, लेकिन इच्छाशक्ति की कमी साफ झलक रही है। यह इच्छाशक्ति ऊपर से नीचे तक हो। हरेक को लगे कि देश को खुले में शौच से मुक्त करना है और अपनी गंगा को नमन योग्य रखना है तो हर आदमी, हर संगठन, हर सरकारी व गैर सरकारी इकाई को अपना बेस्ट देना ही होगा। स्वच्छता पूरी दुनिया का मुद्दा है और भारत का बड़ा योगदान है। पूरी दुनिया की नजर भारत पर है और हमें कुछ बड़ा करना ही होगा। किसी खास सरकार के बारे में कुछ कहना गलत होगा, लेकिन यह तो है कि जब एक पार्टी केंद्र में नमामि गंगे चला रही है और हर जगह उसे ही काम करना है तो काम किया जाना चाहिए।