सुप्रीम कोर्ट से बोली सरकार, दुनिया में शरणार्थियों की राजधानी नहीं बन सकता भारत

केंद्र और असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) में गलत तरीके से नागरिकों को जोड़ने और हटाने के आरोप लगाते हुए इसे अंतिम रूप देने के लिए अंतिम तारीख बढ़ाने की मांग की है। अभी इसकी अंतिम तारीख 31 जुलाई है।

Update: 2019-07-19 11:25 GMT

नई दिल्ली: केंद्र और असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) में गलत तरीके से नागरिकों को जोड़ने और हटाने के आरोप लगाते हुए इसे अंतिम रूप देने के लिए अंतिम तारीख बढ़ाने की मांग की है। अभी इसकी अंतिम तारीख 31 जुलाई है। सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच को बताया कि भारत दुनिया में शरणार्थियों की राजधानी नहीं बन सकता है।

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केंद्र और राज्य सरकार ने एनआरसी में शामिल नागरिकों के नमूने के सत्यापन का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ लगते जिलों में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण लाखों लोगों को गलत रूप से असम एनआरसी में शामिल किया गया।

असम के लिए एनआरसी का पहला मसौदा शीर्ष न्यायालय के निर्देश पर 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी 2018 की दरम्यिानी रात को प्रकाशित हुआ था। उस समय 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम इनमें शामिल किए गए थे।

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20वीं सदी की शुरुआत में बांग्लादेश से असम में बड़ी संख्या में लोग आए। असम इकलौता राज्य है जहां एनआरसी है जिसे सबसे पहले 1951 में तैयार किया गया था।

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