राजपथ, संसद और सचिवालय की तस्वीर बदलने की तैयारी में मोदी सरकार
मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में न केवल देश बल्कि लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की सूरत और सीरत दोनों बदलने के मूड में है। मोदी सरकार ने इस कार्य को शुरू भी कर दिया है।
नई दिल्ली: मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में न केवल देश बल्कि लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की सूरत और सीरत दोनों बदलने के मूड में है। मोदी सरकार ने इस कार्य को शुरू भी कर दिया है।
बताया जा रहा है कि केंद्रीय सचिवालय से लेकर इंडिया गेट तक लगभग 3 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र का कायाकल्प किया जायेगा। संसद भवन सहित पूरे सेंट्रल विस्टा को नया रूप दिया जाएगा। हालांकि यह साफ नहीं है कि मौजूदा संसद भवन की जगह नया भवन बनाया जाएगा या फिर उसमें ही बदलाव किया जाएगा।
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केंद्रीय सचिवालय से इंडिया गेट तक के हिस्से को दिया जाएगा नया रूप
इसके अलावा, सरकार की योजना है कि केंद्रीय सचिवालय से इंडिया गेट तक के लगभग तीन किलोमीटर के पूरे हिस्से को नया रूप दिया जाए। इस काम के लिए आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं।
कंपनियों से कहा गया है कि वे 15 अक्तूबर तक अपने प्रस्ताव दें। योजना में बुनियादी सुविधाओं, साधन, पार्किंग और हरित क्षेत्र की जगह को अपग्रेड करना शामिल है।
अधिकारियों का कहना है कि तत्कालीन संसद भवन में और ज्यादा सासंदों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। वहीं परिसीमन होने के बाद संसद में नए सांसद पहुंचेगे। सरकार ने सभी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 2024 की डेडलाइन घोषित की है। यानी अपने कार्यकाल के दौरान ही सरकार निर्माण कार्य पूरा करना चाहती है।
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साउथ ब्लॉक के कार्यालयों को किया जाएगा शिफ्ट
ऐतिहासिक इमारतों राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक का निर्माण 1911 और 1931 के बीच हुआ था।
आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने सेंट्रल विस्टा की योजना बनाई थी। एक बार नया सचिवालय बन जाए तो सरकार नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के कार्यालयों को इनमें शिफ्ट कर सकती है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार इन इमारतों को म्यूजियम में तब्दील करने पर भी विचार कर रही है। इससे पहले यूपीए-2 के कार्यकाल के दौरान नए संसद भवन के निर्माण पर चर्चा शुरू हुई थी लेकिन बाद में यह मामला अधर में लटक गया।
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