केंद्र सरकार ने बढ़ाया जलजीवन मिशन में पश्चिम बंगाल सरकार का फंड
इस राज्य के बहुत से शहर और गांव में महिलाएं और बच्चे पानी के लिए लंबी दूरी तय करते हैं औ पानी के टैंकर के आसपास भीड़ बनाकर देखते जा सकते हैं।
पश्चिम बंगाल में पिछले करीब दो दशक से साफ पानी की किल्लत बढ़ती ही जा रही है। बड़े पैमाने पर शहरीकरण और भूजल दोहन की वजह से पश्चिम बंगाल के जलस्तर में गिरावट आई है। इस राज्य के बहुत से शहर और गांव में महिलाएं और बच्चे पानी के लिए लंबी दूरी तय करते हैं औ पानी के टैंकर के आसपास भीड़ बनाकर देखते जा सकते हैं।
लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए जलशक्ति मिशन के तहत पूरे देश में नल से जल पहुंचाऩे की महत्वाकांक्षी योजना पर काम किया जा रहा है। इस मिशन की खास बात ये है कि इस मिशन में पीने योग्य पानी यानी मानकों के हिसाब से अशुद्धियों से मुक्त पानी नल से पहुंचाने की कोशिश हो रही है। स्वाभाविक है कि दीर्घकालिक जलशक्ति मिशन से पश्चिम बंगाल के लोगों को बहुत उम्मीद है।
इस योजना से देश के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं खासकर लड़कियों के जीवन के कठिन श्रम को कम करने की कोशिश की जा रही है। इस मिशन की खास बात ये भी है कि इसमे समता और समावेश दोनों ही हैं यानी जलजीवन मिशन का लक्ष्य बिना किसी भेद के भारत के गांव में हर घर तक नल से जल पहुंचाना है।
जलजीवन मिशन सिर्फ योजना नहीं है बल्कि सही अर्थों में सहकारी संघवाद का एक बड़ा उदाहरण है। इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर लोगों की जिंदगी में सुगमता लाने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन एक सच ये भी है कि कि पश्चिम बंगाल के लोगों की उम्मीदों के पुल को जमीनी हकीकत बनाने के लिए यहां की सरकार को एड़ी चोटी को ज़ोर लगाना होगा। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि साल 2023-24 तक हर घर तक नल से जल पहुंचाया जाय। लेकिन पश्चिम बंगाल के 1.63 करोड़ ग्रामीण परिवारों से सिर्फ 2 लाख 19 हजार परिवारों को ही अब तक नल का कनेक्शन मिल सका है। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में करीब 56 लाख (55.60 लाख) परिवारों तक कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य रहा है।
साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार इसी साल दिसंबर तक फ्लोराइड प्रभावित सभी बसावटों तक कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
इस काम में पश्चिम बंगाल सरकार के पास पैसों की भी कमी नहीं है। साल 2019-20 में केंद्र सरकार ने करीब 1 हजार करोड़ रुपये (993.88 करोड़ रुपये) पश्चिम बंगाल सरकार को रिलीज किए जिसमें 428 करोड़ रुपये से ज्यादा (428.37 करोड़ रुपये) अभी तक खर्च नहीं हो सके है। इसी तरह फ्लोराइड अथवा आर्सेनिक प्रभावित सभी बसावटों तक पीने योग्य पानी पहुंचाने के मद में रिलीज किए गए करीब 1306 करोड़ रुपये में से 573 करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा राशि भी अभी खर्च नहीं हो सकी है। इस साल पश्चिम बंगाल सरकार को बढ़ाकर 1600 करोड़ रुपये से ज्यादा (1610.76 करोड़ रुपये) आवंटित किए गये हैं। यानी पिछले साल के बचे पैसे और इस बार के बढ़े हुए आवंटन के बाद 2700 करोड़ रुपये से ज्यादा (2760.76 करोड़ रुपए) केंद्र की तरफ से जल से नल पहुंचाने के मद में राज्य सरकार के पास बचे हुए हैं। राज्य के अंश को मिला लें तो इस वित्तीय वर्ष में पश्चिम बंगाल सरकार के पास जलजीवन मिशन के जरिए हर ग्रामीण परिवार तक नल से जल पहुंचाने के लिए 5700 करोड़ रुपए से ज्यादा (5770 करोड़ रुपये) का फंड है। इसके अलावा केंद्र सरकार जलजीवन मिशन के तहत अच्छी कार्यकुशलता दिखाने पर परफार्मेंस बेस्ड इंसेंटिव भी देती है ऐसे में अतिरिक्त फंड की भी कोई कमी नहीं है। ऐसे में अगर पश्चिम बंगाल सरकार को सिर्फ कनेक्शन करने के लिए माइक्रो लेवल पर योजना बनाने और फंड्स का बेहतरीन और प्रभावी इस्तेमाल करने की जरुरत है।
जलजीवन मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत सकार, राज्य सरकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। जलजीवन मिशन की सफलता के लिए मौजूदा जल आपूर्ति प्रणालियों के उच्चीकरण की योजना बनाने पर फोकस है। पश्चिम बंगाल के कुल गांवों यानी 41,357 में से करीब 54 प्रतिशत यानी 22 हजार से ज्यादा (22,155) गांवों में जल आपूर्ति प्रणाली है। लेकिन इन गांवों में सिर्फ 2 लाख 19 परिवार ऐसे हैं जिनके पास नल का कनेक्शन ऐसे में 50 लाख परिवारों को कनेक्शन दिए जाने हैं। राज्य सरकार को मिशन मोड पर काम कर इन 1 करोड़ से ज्यादा यानी 1 करोड़ 08 लाख परिवारों को 4 से 6 महीने में ही पाइप लाइन से पानी पहुंचाने के लिए योजना बनानी होगी।
जिन परिवारों को नल का कनेक्शन नहीं मिल सका है उनमें से अधिकांश परिवार समाज के सीमांत वर्ग यानी गरीब अनुसूचित जाति वर्ग के हैं। इस योजना में आकांक्षी जिलों, एस सी/एसटी बाहुल्य गांवों, बस्तियों सांसद आदर्श ग्राम योजना के गांवों को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता है।
जलजीवन मिशन में सर्वोच्च प्राथमिकता पानी की कम गुणवत्ता वाले बसावटों तक पानी पहुंचाना है। राज्य सरकार की योजना है कि फ्लोराइड प्रभावित मालदा, मुर्शीदाबाद, नादिया, उत्तर और दक्षिण दिंजापुर, बर्धमान, बांकुरा, बीरभूम, उत्तर और दक्षिण 24 परगना और पुरुलिया में स्थित सभी 1566 बसावटों के हर परिवार तक इसी साल 31 दिसंबर तक नल से जल पहुंचाने की है। इसके लिए 8 से 10 एलपीसीडी की दर से पीने और खाना बनाने योग्य पानी सामुदायिक जल शोधन यंत्र लगाए जाने हैं।
जलजीवन मिशन की प्रथामिकताओं में पश्चिम बंगाल के जापानी एनसेफलाइटिस (जे.ई) और एक्यूट एनसेफलाइटिस सिंड्रोम (जे.ई-एईएस) से प्रभावित 10 जिलों में साफ पानी पहुंचाना सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। राज्य सराकर ने इन वित्तीय वर्ष में ही 25 लाख से ज्यादा (25.46 लाख) नल कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है। केंद्र ने राज्य को सलाह दी है कि साल 2022 के अंत तक इन जिलों में हर घर को नल से जल दिया जाय। पीने योग्य गुणवत्ता वाले पानी से इन जिलों में जापानी बुखार औ एईएस से असमय काल के गाल में समाने और अपंगता से हमारे हजारों बच्चों को बचाया जा सकेगा।
जलजीवन मिशन का जोर पानी की गुणवत्ता की जांच पर भी है। इसके लिए जनभागीदारी पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण कार्यकर्ताओं को शामिल किया जा रहा है। हर गांव के कार्यकर्ताओं खासकर महिलाओं को इसके लिए ट्रेनिंग दिए जाने की योजना है। स्कूल और कॉलेज के छात्रों को फील्ड टेस्ट किट्स का इस्तेमाल कर पानी गुणवत्ता को गांवों में जांचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पानी के हर स्त्रोत को साल की एक बार भौतिक और रसायनिक जांच होनी है जबकि जैविक शुद्धता साल में दो बार जांची जानी है। पानी की गुणवत्ता जांच ग्राम पंचायत, स्कूल या फिर आंगनवाडी में फील्ड टेस्ट किट के जरिए की जाएगी। इसी वजह से ग्राम पंचायत स्तर पर पर पांच महिलाओं को प्रशिक्षण किया जाना है। राज्यों से भी अपेक्षा की गयी है कि वो सामान्य मानवी की पहुंच वाले पानी की गुणवत्ता जांचने वाले लैब खोलें।
पश्चिम बंगाल सरकार को 15 वें वित्त आयोग अनुदान के तौर पर पंचायती राज संस्थानों को 4412 करोड़ रुपये आवंटित किए गये हैं जिसमें 50 प्रतिशत राशि जल आपूर्ति और स्वच्छता पर खर्च की जानी है। राज्य सरकार को मनरेगा, जलजीवन मिशन, स्वच्छ भार मिशन ग्रामीण, डिस्ट्रिक मिनरल फंड, कैंपा और सीएसआर जैसे तमाम फंड को एकीकृत कर योजना बनाने के साथ ही हर गांव के लिए विशेष विलेज एक्शन प्लान बनाने की जरुरत है। ऐसी योजना जिससे फंड का समुचित उपयोग कर जल स्त्रोतों को सुदृढ़ बनाकर जल सुरक्षा को सुनिश्चित किय जा सके।
जलजीवन मिशन को जनआंदोलन बनाने के लिए सामुदायिक साथ के साथ सूचना संचार और शिक्षा का भी इस्तेमाल किया जाना है। राज्य सरकारों को सामाजिक सेक्टर और प्राकृतिक संसाधन के प्रबंधन में स्वयं सहायता समूहों और स्वैच्छिक संगठनों का इस्तेमाल कर ग्रामीण इलाकों में न सिर्फ पानी सप्लाई का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है बल्कि उनके रखरखाव और संचालन की व्यवस्था भी करनी है।
जल जीवन मिशन सिर्फ पानी ही नहीं अवसरों को भी उत्पन्न करेगा। हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए राहगीर, प्लंबिंग, फिटिंग, बिजली का काम करने वाले कार्यकुशल कामगारों की जरुरत होगी। इसके साथ ही वाटर इंफ्रा के रखरखाव और संचालन के लिए भी ऐसे कामगार हर गांव और बसावट में चाहिए। जलशक्ति मंत्रालय ने नेशनल स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन के जरिए हर ग्रामीण इलाके में ऐसे ही कुशल कामगारों का पूल बनाने की योजना है जिससे हर गांव रखरखाव, संचालन और वाटर इंफ्रा के लिए आत्मनिर्भर बन सके।
कोविड 19 महामारी की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार को जल आपूर्ति और जल संरक्षण से जुड़े काम तुरंत शुरु करने होंगे जिससे गांव में रहने वाले परिवारों पीने योग्य जल नल से मिल सके। इसके साथ ही जलजीवन मिशन के जरिए कुशल और दूसरे राज्यों से आए कामगारों को काम मिल सकेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेजी भी मिलेगी।
राज्य सरकार द्वारा जलजीवन मिशन का क्रियान्वयन अगर सही ढंग से किया जाय तो ये घर-घर खुशी का पर्याय बन सकती है। इस मिशन से न सिर्फ हर आंगन में नल से जल मिलेगा बल्कि देश की ग्रामीण महिलाओं को खुशी भी मिलेगी। उनका समय बचेगा तो वो अपने दूसरे ऐसे काम कर सकती हैं जिससे वो अपने घर परिवार और पूरे गांव के स्वास्थ्य और समृद्धि में मदद कर सकेंगी।