नई दिल्लीः एनएसजी में भारत के प्रवेश को जून में रोकने वाला चीन इस मुद्दे पर ढीला पड़ गया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बातचीत के बाद कहा कि इस मामले में मध्यस्थता करने के लिए उनके देश से एक वरिष्ठ अफसर आएगा। वांग तीन दिन के भारत दौरे पर आए हैं। माना जा रहा है कि दक्षिणी चीन सागर (एससीएस) के मुद्दे पर भारत से नरम रुख की उम्मीद लगाए चीन ने इस हाथ दे, उस हाथ ले के तहत एनएसजी पर नया रुख अपनाया है।
वांग यी ने सुषमा से मुलाकात और बातचीत से पहले दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। सुषमा ने वांग से बातचीत के दौरान चीन और पाकिस्तान के बीच बन रहे कॉरीडोर पर चिंता जताई। सुषमा ने कहा कि चीन को इस बारे में पुनर्विचार करना चाहिए।
चीन ने एससीएस पर प्रयास तेज किए
-वांग यी शुक्रवार को भारत आए थे।
-यहां पहुंचते ही उन्होंने दक्षिण चीन सागर (एससीएस) मुद्दे पर कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए।
-तीन दिवसीय यात्रा के दौरान गोवा पहुंचने पर वांग यी ने दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर मीडिया से कहा था कि यह अब भारत के ऊपर निर्भर है कि इस मामले में उसका क्या रुख है।
-इससे पहले चीन की सरकारी मीडिया ने कहा था कि एनएसजी में भारत के प्रवेश के लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं।
-उसे दक्षिण चीन सागर पर हमारी चिंताओं को पूरी तरह समझना चाहिए।
यात्रा का क्या है मकसद ?
-सूत्रों के अनुसार, चीन के विदेश मंत्री की भारत यात्रा का एक मकसद यह भी है कि भारत दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर दूसरे देशों का साथ ना दे।
-चीन को डर है कि सितंबर में होने वाली जी-20 समिट के दौरान कई देश इस मुद्दे को उठा सकते हैं।
-इसलिए चीन चाहता है कि भारत इस मसले से दूर रहे।
चीन का डर
-गौरतलब है कि हेग की अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को खारिज कर दिया है।
-इसके बाद से अमेरिका सहित कई देश चीन को कोर्ट का फैसला मानने को कह रहे हैं।
-वहीं, चीन ने कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है।