Delhi Election 2025: BJP को भारी न पड़ जाए पूर्वांचली नेताओं की नाराजगी, कई सीटों पर टिकट कटने से दिख रहा असंतोष
Delhi Election 2025: कई सीटों पर टिकट कटने के कारण भाजपा के पूर्वांचली नेताओं में नाराजगी दिख रही है। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि यह नाराजगी कहीं भाजपा के लिए भारी न पड़ जाए।;
Uttarakhand Nikay Chunav BJP candidates won mayor posts in 10 out of 11 municipal corporations (Photo: social media )
Delhi Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच जबर्दस्त जोर आजमाइश हो रही है। दोनों दलों के बीच खुद को पूर्वांचल लोगों का हितैषी साबित करने की होड़ मची हुई है। वैसे पूर्वांचल से जुड़े नेताओं को टिकट देने के मामले में आम आदमी पार्टी इस बार भाजपा से आगे देख रही है।
कई सीटों पर टिकट कटने के कारण भाजपा के पूर्वांचली नेताओं में नाराजगी दिख रही है। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि यह नाराजगी कहीं भाजपा के लिए भारी न पड़ जाए। भाजपा से जुड़े पूर्वांचली नेताओं के निष्क्रिय ही जाने के कारण भी पार्टी का संकट बढ़ता हुआ दिख रहा है।
पूर्वांचल के नेताओं को टिकट देने में आप आगे
इस बार के विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने प्रत्याशियों की घोषणा में बाजी मार ली थी। पार्टी ने सभी सीटों पर सबसे पहले अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। पार्टी की ओर से इस बार पूर्वांचल से जुड़े 11 नेताओं को टिकट दिया गया है जबकि भाजपा इस मामले में पिछड़ी हुई दिख रही है। भाजपा ने इस बार सिर्फ पांच पूर्वांचली नेताओं को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से टिकट दिया है। कई और सीटों पर भी पूर्वांचली नेता टिकट के दावेदार थे मगर उन्हें निराशा हाथ लगी है।
यदि 2020 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो पिछले चुनाव के दौरान भाजपा ने 11 और जदयू ने दो सीटों पर पूर्वांचली नेताओं को चुनावी अखाड़े में उतारा था। इस तरह दोनों दलों की ओर से मिलाकर 13 सीटों पर पूर्वांचली नेता चुनाव मैदान में उतरे थे। इस बार यह संख्या पिछले चुनाव की अपेक्षा आधी से भी कम हो गई है।
भाजपा ने सिर्फ पांच सीटों पर दिया है टिकट
भाजपा ने इस बार सिर्फ पांच सीटों पर पूर्वांचल से जुड़े नेताओं को टिकट दिया है। पार्टी ने इस बार लक्ष्मी नगर से अभय वर्मा, करावल नगर से कपिल मिश्रा, किराड़ी से बजरंग शुक्ला, विकासपुरी से डॉ. पंकज कुमार सिंह और संगम विहार से चंदन कुमार चौधरी को चुनावी अखाड़े में उतारा है। भाजपा के सहयोगी दल जनता दल यूनाटेड ने बुराड़ी से शैलेंद्र कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है।
2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने नई दिल्ली, दिल्ली कैंट, देवली, रिठाला, सीलमपुर व बादली जैसी सीटों पर भी पूर्वांचली नेताओं को टिकट दिया था। इस बार कई सीटों पर पूर्वांचल से जुड़े नेताओं में टिकट न मिलने के कारण निराशा दिख रही है। हालांकि पार्टी में बगावत जैसी स्थिति नहीं दिख रही है मगर पूर्वांचल के नेता पिछले चुनाव जैसी सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं।
उनकी सक्रियता कम होने के कारण पार्टी को नुकसान होने का खतरा दिख रहा है। नुकसान की आशंका पैदा होने के बाद पार्टी नेतृत्व की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिश भी की जा रही है।
27 सीटों पर पूर्वांचल के मतदाता अहम
दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं पर डोरे डालने की कोशिश यूं ही नहीं की जा रही है। दरअसल दिल्ली की अधिकांश सीटों पर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से जुड़े मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। दिल्ली की 27 विधानसभा सीटों पर पूर्वांचल के मतदाता निर्णय की स्थिति में है और यही कारण है कि भाजपा और आम आदमी पार्टी के साथ ही कांग्रेस की ओर से भी इन मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की जा रही है।
आखिर कौन सा दल समर्थन पाने में होगा कामयाब
इस बार के चुनाव में कांटे का मुकाबला होने के कारण इन मतदाताओं की भूमिका काफी अहम हो गई है। छठ पूजा के समय से ही तीनों दलों की ओर से पूर्वांचल के मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है। छठ घाटों पर व्यवस्था को लेकर भाजपा ने आप सरकार पर तीखा हमला बोला था। बाद में आप नेता अरविंद केजरीवाल के एक बयान को आधार बनाकर आप को घेरने की कोशिश की गई थी।
दूसरी और आम आदमी पार्टी भी तमाम लुभावने वादों के जरिए पूर्वांचल के मतदाताओं पर डोरे डाल रही है। पूर्वांचल के मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस ने निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को सक्रिय किया है।
पप्पू यादव भाजपा से ज्यादा आप को निशाना बनाने में जुटे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि इस बार आखिर कौन सा दल पूर्वांचल के मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में कामयाब का हो पाता है।