West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में राजभवन और ममता सरकार में बढ़ा टकराव, राज्यपाल ने लगाया जासूसी कराने का आरोप

West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में पिछले राज्यपाल की तरह मौजूदा राज्यपाल से भी ममता सरकार की पटरी नहीं बैठ रही है। ममता सरकार से चल रहे टकराव के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने गंभीर आरोप लगाया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-11-21 22:17 IST

पश्चिम बंगाल में राजभवन और ममता सरकार में बढ़ा टकराव, राज्यपाल ने लगाया जासूसी कराने का आरोप: Photo- Social Media

West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में पिछले राज्यपाल की तरह मौजूदा राज्यपाल से भी ममता सरकार की पटरी नहीं बैठ रही है। ममता सरकार से चल रहे टकराव के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता सरकार की ओर से राजभवन की जासूसी कराई जा रही है। उन्होंने दावा किया कि कोलकाता स्थित राजभवन में जासूसी कराए जाने के मामले में उनके पास विश्वसनीय सूचना है।

पश्चिम बंगाल के पिछले राज्यपाल और मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ भी ममता सरकार के तनावपूर्ण रिश्ते थे। धनखड़ के बाद राज्यपाल बनाए गए सीवी आनंद बोस के साथ भी ममता सरकार की ट्यूनिंग नहीं बैठ रही है। पिछले कुछ समझ से चल रही खींचतान के बाद अब राज्यपाल ने ममता सरकार पर जासूसी के मुद्दे को लेकर बड़ा आरोप लगाया है।

जासूसी की विश्वसनीय सूचना

राज्यपाल बोस ने कहा कि जासूसी की विश्वसनीय सूचना के बाद इस मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई गई है। उन्होंने कहा कि जासूसी के मामले में सच्चाई है और सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। विश्वसनीय सूचना के बाद मैंने यह आरोप लगाया है। मैं इस मामले में संबंधित अधिकारियों के जवाब का इंतजार कर रहा हूं। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि जासूसी के पीछे कौन लोग हैं और राजभवन की जासूसी कराने का मकसद क्या है।

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इससे पूर्व भी कई मुद्दों को लेकर राज्यपाल बोस का राज्य सरकार के साथ टकराव हो चुका है। इस महीने की शुरुआत में राज्यपाल ने रवींद्र नाथ टैगोर के नाम वाली पट्टिकाओं की स्थापना को लेकर विश्वविद्यालय से रिपोर्ट मांगी थी। उन्होंने राज भभवन के उत्तरी द्वार का नाम भी बदल दिया था और इसका नाम गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर द्वार कर दिया था। यह कदम ऐसे समय उठाया गया जब कैंपस में टैगोर के बिना नाम वाली कुछ पट्टिकाएं लगाई गई थीं जिसे लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी।

पश्चिम बंगाल में हिंसा की संस्कृति

राज्यपाल ने कुछ दिनों पूर्व ममता सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाला बयान भी दिया था। उनका कहना था कि बंगाल में हिंसा की संस्कृति का अंत किया जाना जरूरी है। उनका कहना था कि दक्षिण 24 परगना जिले के जॉयनगर में तृणमूल कांग्रेस के नेता की हत्या और इस मामले के आरोपी की पीट-पीटकर हत्या के मामले की मामले में कार्रवाई की जाएगी। राज्यपाल बोस का कहना था कि राज्य में हिंसा से जुड़े हुए मामलों में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

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उनका कहना था कि राज्य में हिंसा की संस्कृति को खत्म करने के लिए सिर्फ कानूनी कार्रवाई जरूरी नहीं है बल्कि इसके लिए सामाजिक उपाय भी किए जाने चाहिए। उनका कहना था कि बंगाल की राजनीति में बढ़ती हिंसा के प्रवृत्ति ने इसे काफी हद तक प्रभावित किया है। उनका कहना था कि बंगाल में लूटपाट, हिंसा और आगजनी की घटनाएं आम बात हो गई हैं और यह काफी चिंतनीय मुद्दा है।

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राजभवन पर बिलों को लटकाने का आरोप

इससे पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर ने राज्यपाल बोस पर बिलों को लटकाने का आरोप लगाया था। विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने कहा था कि राज्यपाल की ओर से विधेयकों को मंजूरी देने में देरी की जा रही है। उनका कहना था कि 2011 से कुल 22 बिल राजभवन में मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। तीन बिल 2011 से 2016 तक, चार 2016 से 2021 तक और 15 बिल 2021 से अब तक लटके हुए हैं। इनमें से छह बिल वर्तमान में सीवी आनंद बोस के पास लटके हुए हैं।

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