New Parliament Building: संसद की नई इमारत के उद्घाटन को स्वामी प्रसाद ने बताया कट्टरपंथी, राहुल गांधी ने बोली ये बात

New Parliament Building: संसद की नई इमारत का हुआ उद्घाटन समारोह को लेकर विपक्ष ने निशाना साधा। कांग्रेस और राजद समेत सभी ने प्रतिक्रिया दी।

Update:2023-05-28 17:23 IST
Image: Social Media

New Parliament Building: विपक्षी पार्टियों के तीखे विरोध और बयानबाजी के बीच रविवार को हवन एवं मंत्रोच्चार के साथ लोकतंत्र के मंदिर की नई इमारत का उद्घाटन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद भवन के नए भवन का शुभारंभ कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है। इस समारोह का मुख्य आकर्षण तमिलनाडु से आया सेंगोल रहा। तमिलनाडु के मठों से आए अधीनम ने पीएम मोदी को सेंगोल सौंपा। इसके बाद उन्होंने इसे लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में इसे स्थापित किया।

संसद में सेंगोल के स्थापना को लेकर विपक्षी पार्टियों की आलोचनात्मक टिप्पणियां जारी है। इस बीच अपने बड़बोड़े और विवादित बयानों के लिए मशहूर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने तमिलनाडु से आए पुजारियों को ही निशाने पर ले लिया है। सेंगोल स्थापना के लिए आए तमिल पुजारियों पर मौर्य ने हमला बोलते हुए उन्हें दक्षिण का कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरू करार दिया।

बसपा प्रमुख मायावती ने भी नए संसद भवन के उद्घाटन पर टिप्पणी की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए बधाई दी। लिखा 'नये संसद भवन के आज किये गये उद्घाटन के लिए केन्द्र को शुभकामनायें। इस नए संसद भवन का परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की मानवतावादी सोच तथा उनके बनाये गये पवित्र संविधान की नेक मंशा के हिसाब से देश व जनहित में सही व भरपूर इस्तेमाल हो, यह उचित होगा।'

राहुल गांधी ने संसद के उद्घाटन के बाद एक ट्वीट कर मोदी सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'संसद लोगों की आवाज़ है! प्रधानमंत्री संसद भवन के उद्घाटन को राज्याभिषेक समझ रहे हैं।

आचार्य प्रमोद ने राजदंड के स्थापना पर ट्वीट करते हुए धर्म दंड स्थापित हो गया है। देवता पुष्प बरसाने लगे तो गधे चिल्लाने लगे। ट्वीट के माध्यम से आचार्य प्रमोद विपक्ष पर निशाना साधा।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने ट्वीट कर लिखा, सेंगोल राजदंड की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरुओं को बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा सरकार का यदि पंथनिरपेक्ष संप्रभु-राष्ट्र भारत में विश्वास होता तो देश के सभी धर्म गुरुओं यथा- बौद्ध धर्माचार्य (भिक्षुगण), जैन आचार्य (ऋषि), गुरु ग्रंथी साहब, मुस्लिम धर्मगुरु (मौलाना), ईसाई धर्मगुरु (पादरी) आदि सभी को आमंत्रित किया जाना चाहिए था।
ऐसा न कर भाजपा अपनी दूषित मानसिकता और घृणित सोच को दर्शाया है। यद्यपि कि भाजपा सरकार सेंगोल राजदंड की स्थापना कर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है अपितु दक्षिण के ब्राह्मण धर्मगुरुओं को बुलाकर ब्राह्मणवाद को भी स्थापित करने का कुत्सित प्रयास कर रही है।

बता दें कि संसद में सेंगोल के स्थापना के बाद सर्वधर्म प्रार्थना सभा भी हुई थी। जिसमें सभी प्रमुख धर्म के पुजारी शामिल हुए थे। प्रधानमंत्री ने उन श्रमयोगियों का सम्मान भी किया, जो इसके निर्माण कार्य में लगे हुए थे।

स्वामी के बयान पर बीजेपी का पलटवार

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के इस ट्वीट पर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है। भगवा दल ने कहा कि सपा के ब्राह्मणवाद के आरोप हास्यास्पद हैं। इनमें अज्ञानता की बू आती है। ये अधीनम उन समुदायों द्वारा चलाए जाते हैं, जो पिछड़े अथवा अति पिछड़ी जातियों से आते हैं। उनके पास तमिल साहित्य का एक समृद्धि इतिहास है जो भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस तरह की टिप्पणी करना इन पवित्र अधीमों और हिंदू धर्म की विविधता का अपमान है।

वायरल ट्वीट पर राजद की सफाई

बिहार की सत्ताधारी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से संसद भवन की नई इमारत की तस्वीर को ताबूत से तुलना कर दी गई। जिस पर हंगामा खड़ा हो गया। भारतीय जनता पार्टी ने राजद को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह उसकी राजनीति के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। सोशल मीडिया पर खिंचाई होने के बाद पार्टी को इसके गलती का एहसास हुआ और फिर सफाई आई। राजद नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि हमारे ट्वीट में ताबूत लोकतंत्र को दफन किए जाने का प्रतिनिधित्व कर रहा है। उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है और चर्चा करने की जगह है।

21 विपक्षी दलों ने किया था बहिष्कार

नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह का देश के प्रमुख 21 विपक्षी दलों ने विरोध किया था। इनकी मांग थी कि संसद का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बजाय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करें। एनसीपी सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा कि बगैर विपक्ष के नए संसद भवन का उद्घाटन दिखाता है कि देश में लोकतंत्र नहीं है।

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