सपा के बिखराव पर टिकी हैं यूपी में कांग्रेस की संभावनाएं, सभी विकल्पों पर मंथन

कांग्रेस ने राज्य में जो आंतरिक फीडबैक स्वतंत्र स्रोतों से प्राप्त किया है, उस हिसाब से कांग्रेस को अपने बूते पर चुनाव में उतरने से कोई लाभ नहीं होने वाला। भले ही राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस अपने वोट बैंक में इजाफा कर ले लेकिन असल में सीटों पर जीत के मामले में वह बुरी तरह पिछड़ सकती है।

Update:2016-10-27 20:32 IST

 

उमाकांत लखेड़ा

नई दिल्ली: कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के पारिवारिक विवाद में पड़ने के बजाय उत्तर प्रदेश में अपने विकल्पों पर विचार करना आरंभ कर दिया है। कांग्रेस का एक बड़ा खेमा इस बात से खुश है कि सपा में टूट और खींचातानी की वजह से ही सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की ओर से कांग्रेस को महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश की गई है। हालांकि कांग्रेस के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि राहुल के सामने मुलायम-शिवपाल खेमा और दूसरी ओर मुख्यमंत्री अखिलेश में एक को चुनने की नौबत आयी तो राहुल गांधी अखिलेश के साथ गठबंधन करने को ही प्राथमिकता देंगें।

कांग्रेस का असमंजस

कांग्रेस जो अब तक, '27 साल-यूपी बेहाल' के नारे पर मैदान में उतरकर सपा, बसपा व भाजपा के ढाई दशक में यूपी में व्याप्त जंगल राज के खिलाफ जनता के बीच पिछले तीन-चार माह से सक्रिय है, अब उसे लगता है कि अपनी इस रणनीति में कुछ बदलाव लाने को विवश होना पड़ सकता है। बिहार में नीतीश लालू की तर्ज पर कांग्रेस सपा के नेतृत्व वाले मोर्चे के साथ महागठबंधन में शामिल होती है तो इस सूरत में कांग्रेस को अपने उपरोक्त नारे को बदलने को विवश होना पड़ेगा।

सीटें जीतना मुश्किल

कांग्रेस ने राज्य में जो आंतरिक फीडबैक स्वतंत्र स्रोतों से प्राप्त किया है, उस हिसाब से कांग्रेस को अपने बूते पर चुनाव में उतरने से कोई लाभ नहीं होने वाला। भले ही राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस अपने वोट बैंक में इजाफा कर ले लेकिन असल में सीटों पर जीत के मामले में वह बुरी तरह पिछड़ सकती है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को भी इस बात का बखूबी इल्म है कि प्रियंका को अगले माह से उप्र में जन संपर्क व रोड शो में उतारने का तात्कालिक लाभ इसलिए नहीं मिलने वाला क्योंकि ग्रासरूट स्तर पर कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा पस्त हालत में है।

संभावनाओं की तलाश

कोई बड़ा व प्रभावी जाति वर्ग समूह कांग्रेस के साथ खुलकर खड़ा नहीं है। यह महसूस करने के बाद ही कांग्रेस ने सपा के अंदरूनी झगड़े को लेकर अपनी संभावनाएं तलाश करनी शुरू की हैं।

यूपी की राजनीति से जुड़े कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि सीमा पर पाकिस्तान के साथ ताजा टकराव के बाद शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा व मोदी का ग्राफ बढ़ा है। दूसरी ओर मुसलमान भले ही सपा में बवाल के बाद दुविधा में पड़े हों और कई क्षेत्रों में बसपा के बाद कांग्रेस उनकी दूसरी पंसद हो सकती है, लेकिन जाहिर है, कि मुसलमान वोटर भी कांग्रेस को तभी वोट करेगा जब उसे भरोसा हो कि भाजपा व बाकी उम्मीदवारों को कांग्रेस प्रत्याशी टक्कर दे रहा है।

(फोटोसाभार:बिजिनेसस्टैंडर्ड)

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