Madhya Pradesh Electionआपस में ही उलझने लगे INDIA के घटक दल,मध्यप्रदेश के चुनाव में कांग्रेस के लिए मुसीबत पैदा करेगी आप
Madhya Pradesh Elections: आप ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान सभी विधानसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
Madhya Pradesh Elections: 2024 की सियासी जंग में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के खिलाफ भले ही विपक्षी मोर्चे ने गठबंधन बना लिया है मगर गठबंधन में शामिल घटक दल अब आपस में ही एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकने में जुट गए हैं। पश्चिम बंगाल में विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA में शामिल टीएमसी और कांग्रेस के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है तो आम आदमी पार्टी ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर दी है।
आप ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान सभी विधानसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है मगर इस बीच आप ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा से कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि आप के चुनाव लड़ने से मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सियासी नुकसान हो सकता है जबकि विपक्षी मतों के बंटवारे से भाजपा को फायदा होगा।
बंगाल के बाद मध्य प्रदेश में भी टकराव
बेंगलुरु में हाल में हुई विपक्षी दलों की बैठक के दौरान एनडीए के खिलाफ मजबूत मोर्चा का गठन किए जाने का ऐलान किया गया था। दरअसल विपक्ष भाजपा के खिलाफ मजबूत साझा उम्मीदवार उतारने की बात कर रहा है मगर घटक दलों के आपसी संघर्ष के कारण ऐसा होना मुमकिन नहीं दिख रहा है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने ममता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी को भ्रष्ट नेताओं की पार्टी के तक बता डाला है।
चौधरी का कहना है कि बंगाल में टीएमसी के प्रति लोगों में नाराजगी दिख रही है। कांग्रेस से हाथ मिलाना टीएमसी की मजबूरी है नहीं तो पार्टी टूट जाने का खतरा दिख रहा है। मध्यप्रदेश में भी विपक्षी मोर्चे के दो मजबूत घटक दल आपस में ही लड़ते हुए नजर आ रहे हैं। आप का कहना है कि मध्य प्रदेश की जनता भाजपा और कांग्रेस दोनों से संतुष्ट नहीं है और ऐसी स्थिति में पार्टी मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
एमपी की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी आप
कांग्रेस की पंजाब इकाई ने राज्य में आप के साथ किसी भी प्रकार के गठबंधन से इनकार किया है तो आप मध्यप्रदेश में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। मध्यप्रदेश में आप के प्रभारी बीएस जून का कहना है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
उन्होंने कहा कि पार्टी की ओर से जल्द ही प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हम राज्य में है पूरी मुस्तैदी के साथ चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं और दमदार प्रत्याशियों को उतारने के लिए चयन की प्रक्रिया जारी है।
भाजपा और कांग्रेस का विकल्प होने का दावा
पार्टी की ओर से पूरे देश के विभिन्न हिस्सों में सर्वेक्षण कराया जा रहा है और इसी के आधार पर प्रत्याशियों के नाम तय किए जाएंगे। आम आदमी पार्टी की ओर से राज्य के हर जिले में परिवर्तन यात्रा भी निकाली जा रही है और इसका समापन 4 अगस्त को होने वाला है।
आप नेता ने दावा किया कि परिवर्तन यात्रा के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में पार्टी को व्यापक जनसमर्थन हासिल हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश की जनता कांग्रेस और भाजपा दोनों का विकल्प चाहती है और ऐसे में आम आदमी पार्टी मजबूत विकल्प बनकर उभर रही है।
आप की शर्त मानने को कांग्रेस तैयार नहीं
आम आदमी पार्टी के नेताओं की ओर से पहले यह शर्त रखी गई थी कि यदि कांग्रेस पंजाब और दिल्ली में अपने न प्रत्याशी उतारे तो आम आदमी पार्टी भी राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनावों में अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी। कांग्रेस इस घोषणा को करने के लिए तैयार नहीं है।
पंजाब कांग्रेस के नेता राज्य में आप के साथ किसी भी प्रकार के गठबंधन का विरोध कर रहे हैं तो दूसरी ओर दिल्ली कांग्रेस के नेता भी आप का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में आप ने भी मध्यप्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में अपने प्रत्याशी उतारने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
भाजपा को हो सकता है सियासी फायदा
सियासी जानकारों का कहना है कि बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक के दौरान भले ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता एक मंच पर दिखे हों और उन्होंने INDIA का गठन करने का ऐलान किया हो मगर व्यवहारिक धरातल पर इसे उतारना काफी मुश्किल दिख रहा है। कई राज्यों में विपक्षी दलों में आपस में ही टकराव दिख रहा है।
मध्यप्रदेश और राजस्थान में आप प्रत्याशियों के उतरने से कांग्रेस को नुकसान और भाजपा को सियासी फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है। चुनाव नजदीक आने पर विपक्षी दलों के बीच यह खींचतान और तेज हो जाने की संभावना है।