पुण्यतिथि विशेष: डॉक्टर कलाम से जुड़ीं कुछ रोचक कहानियां, जो देती हैं सीख
आज पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि है। एपीजे अब्दुल कलाम अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बातें हमेशा लोगों का मार्गदर्शन करती रहेंगी।
नई दिल्ली: आज पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि है। एपीजे अब्दुल कलाम अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बातें हमेशा लोगों का मार्गदर्शन करती रहेंगी।
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अपना जीवन उन्होंने पूरी सादगी के साथ जीया
बता दें कि देश के 11वें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि भले ही वे देश की सर्वोच्च संवैधानिक पद पर विराजमान रहे, लेकिन अपना जीवन उन्होंने पूरी सादगी के साथ जीया। एक वैज्ञानिक रूप में उन्होंने देश को मिसाइल टेक्नोलॉजी में विश्व स्तरीय बना दिया। उनसे जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जो बताते हैं कि किस प्रकार वे दूसरों से अलग थे।
जब कुछ रिश्तेदार उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचे
एक बार कि बात है जब उनके राष्ट्रपति रहने के दौरान कुछ रिश्तेदार उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे, उनका कुछ दिनों तक रुकने की तैयारी थी। वे जितने दिन रुके, उनके आने-जाने और रहने-खाने का सारा खर्च कलाम ने खुद अपनी जेब से दिया। उन्होंने अधिकारियों को साफ निर्देश दिया था कि इन मेहमानों के लिए राष्ट्रपति भवन की कारें इस्तेमाल नहीं की जाएंगी। इसके साथ रिश्तेदारों के रहने और खाने-पीने के खर्च का ब्यौरा अलग से रखने के निर्देश दिए थे।
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...उन्होंने कुर्सी पर बैठने से साफ मना कर दिया
इसी तरह, एक बार राष्ट्रपति कलाम को आईआईटी के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया, तो उन्होंने देखा कि मंच पर पांच कुर्सियां रखी हुई थीं, जिसमें से एक कुर्सी का आकार बड़ा, जो कि उनके लिए थी। उन्होंने उस पर बैठने से साफ मना कर दिया।
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नहीं भूले थे मोची को
तीसरा किस्सा बेहद रोचक है। ये उस समय की बात है, जब राष्ट्रपति बनने के बाद वे पहली बार केरल गए थे। वहां राजभवन में उसने मिलने वाले पहला लोग कोई नेता या अधिकारी नहीं बल्कि सड़क पर बैठने वाला मोची था। दरअसल, एक वैज्ञानिक के तौर पर कलाम ने त्रिवेंद्रम में काफी समय बिताया था। इस दौरान इसी मोची ने कई बार उनके जूते सिले थे।
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