शर्मनाक! भुखमरी से सैकड़ों मौतें, अनाज के लिए तड़प रहे लोग, जिम्मेदार कौन?

सुशीला देवी की मानें तो उनके पति महेंद्र सिंह की मौत भूख से हुई है। घर में अनाज का एक दाना भी नहीं था। लिहाज़ा, तीन दिनों तक भूखा रहने के बाद उसके पति ने दम तोड़ दिया।

Update: 2020-10-02 04:48 GMT

रांचीः झारखंड में भूख से मौत का मामला कोई नया नहीं है। 11 वर्षीय संतोषी अपनी मां को भात.भात कहते चल बसी। घटना सितंबर 2017 की है। जांच के बाद पता चला किए आधार से लिंक नहीं होने के कारण परिवार का राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था। भोजन का अधिकार को लेकर काम करने वाली संस्था की मानें तो वर्ष 2015 से लेकर साल 2018 तक 56 लोगों की मौत भूख से हुई है। सिर्फ साल 2017-2018 में 42 लोगों की जान भूख की वजह से गई है।

झारखंड में भूख से मौत!

ताज़ा घटना जामताड़ा ज़िला के नारायरणपुर प्रखंड की है। सुशीला देवी की मानें तो उनके पति महेंद्र सिंह की मौत भूख से हुई है। घर में अनाज का एक दाना भी नहीं था। लिहाज़ा, तीन दिनों तक भूखा रहने के बाद उसके पति ने दम तोड़ दिया। पांच बच्चों की मां सुशीला देवी कहती हैं किए घर में न तो राशन कार्ड है और न ही सरकार की किसी योजना का लाभ मिला है। ऐसे में उनके सामने भूखे मरने के अलावा कोई चारा नहीं है।

उपायुक्त से लगाई गई गुहार।

घटना 30 सितंबर को सामने आई। पीड़ित परिवार की ओर से उपायुक्त को लिखित आवेदन दिया गया। आवेदन में मौत के पीछे भूख को कारण बताया गया है। मृतक की पत्नी सुशीला देवी ने कहा है किए स्थानीय अधिकारी से गुहार लगाने के बावजूद अनाज का प्रबंध नहीं हुआ। लिहाज़ाए संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाए। सुशीला ने आगे लिखा है किए उनके पांच बच्चे हैं और कमाने वाला कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में उनके परिवार के भरण-पोषण का प्रबंध हो। साथ ही उन्हे सरकारी नियमों के तहत मुआवज़ा राशी भी दी जाए।

ये भी पढ़ेंः खुले मंदिर-मस्जिद: सभी धार्मिक स्थलों में जाने की इजाजत, सरकार ने किया ये एलान

भूख से मौत को साबित करना मुश्किल।

भोजन के अधिकार को लेकर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं किए भूख से मौत को साबित करना बेहद मुश्किल काम है। अधिकारी मौत को भूख के बजाए बीमारी को कारण बताते हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो राशन कार्ड का न होनाए आधार से लिंक न होना और बायोमेट्रिक आधारित राशन कार्ड होना भी भूख से मौत के लिए ज़िम्मेदार हैं।

 

किसे माना जाए भूख से मौत।

अब सवाल ये है किए भूख से मौत किसे माना जाए। भोजन का अधिकार को लेकर काम करने वाली संस्था कहती है किए अगर कोई व्यक्ति घर में खाना या पैसा न होने के कारण लंबे समय से भूख रहता हो। ऐसे व्यक्ति को अगर समय से भोजन या पैसा मिल जाता तो उस व्यक्ति की मौत नहीं होती। ऐसी परिस्थिति में उसे भूख से मौत माना जाएगा।

ये भी पढ़ें- ट्रंप पर खतरा: ये करीबी महिला कोरोना पॉजिटिव, राष्ट्रपति की जांच रिपोर्ट का इंतज़ार

भूख से मौत मामले की होगी जांच।

झारखंड सरकार के श्रम मंत्री सत्यानंद भोगता ने कहा है किए जामताड़ा में भूख से मौत मामले की जांच कराई जाएगी। उन्होने कहा किए लाक डाउन के दौरान एक.एक परिवार को दो.दो महीने का राशन दिया गया। सरकार किसी को भी भूखा नहीं रहने देगी। उन्होने कहा किए मामला सामने आने के बाद सरकार इसकी जांच कराएगी।

भूख से मौत पर सियासत।

हेमंत सोरेन सरकार के मंत्री भूख से मौत मामले की जांच कराने की बात कह रहे हैं। दूसरी तरफ इसे लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं किए ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। राज्य को बदनाम करने की नीयत से भी ऐसी अफवाह फैलाई जाती है। सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान घर.घर तक अनाज पहुंचाने का काम किया है।

सरकार का रवैया शर्मनाक।

झारखंड की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने भूख से मौत मामले को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा किए राज्य में भूख से मौत के कई मामले सामने आ चुके हैं। सरकार ऐसे मामलो को गंभीरता से लेने के बजाए उसे छिपाने में लगी है। उन्होने कहा किए सरकार का रवैया शर्मनाक है। जामताड़ा में घटना घट जाने के बाद स्थानीय प्रशासन पीड़ित परिवार को अनाज पहुंचा रहा है।

रिपोर्टर- शाहनवाज

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News