धमाके में उड़ेगा चीन-पाक: अब भारत मारेगा नापाक के लाखों सैनिक, कांपे दुश्मन देश

भारतीय सेना की ताकत में बढ़ोत्तरी करने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा ये सौदा किया गया है। इन हैंड ग्रेनेड को मारने और शॉक देने के लिए सेना द्वारा इस्तेमाल होगा। ग्रेनेड नए 10 लाख हैंडग्रेनेड मल्टीमोड हैंडग्रेनेड होंगे।

Update:2020-10-02 11:57 IST
धमाके में उड़ेगा चीन-पाक: अब भारत मारेगा नापाक के लाखों सैनिक, कांपे दुश्मन देश

नई दिल्ली। चीन से बिगड़ते हालातों को देखते हुए भारत खुद को पूरी तरह से तैयार कर रहा है। दुनियाभर में तमाम देशों से विश्वयुद्ध के संकते मिल रहे हैं। ऐसे में रक्षा मंत्रालय ने आज भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ाने के लिए 10 लाख मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति के लिए इकनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड (ईईएल), (सोलर ग्रुप) नागपुर के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। सेना के लिए किया जा रहा ये सौदा करीब 409 करोड़ रुपये का है।

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10 लाख मल्टीमोड हैंडग्रेनेड

भारतीय सेना की ताकत में बढ़ोत्तरी करने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा ये सौदा किया गया है। इन हैंड ग्रेनेड को मारने और शॉक देने के लिए सेना द्वारा इस्तेमाल होगा। ग्रेनेड नए 10 लाख हैंडग्रेनेड मल्टीमोड हैंडग्रेनेड होंगे। इनका इस्तेमाल बस शॉक करने के लिए और घातक हथियार दोनों तरह से किया जा सकेगा।

मल्टी मोड हैंडग्रेनेड में एक कवर होगा, जिसके साथ हैंडग्रेनेड जानलेवा बनेगा। जी हां इसका इस्तेमाल दुश्मन के खात्मे के लिए किया जा सकेगा। बिना कवर के यह हैंडग्रेनेड नॉनलीथल होगा यानी घातक नहीं होगा।

फोटो-सोशल मीडिया

इस्तेमाल उस परिस्थिति में

बताया जा रहा है कि इसका इस्तेमाल उस परिस्थिति में किया जा सकता है जब सैनिकों को किसी संदिग्ध जगह पर घुसना है और वहां मौजूद लोगों को बस एक गैरघातक ब्लास्ट से चौंकाना है।

वैसे तो फौज में हर राइफलमैन अपने साथ दो ग्रेनेड रखता है। अभी तक जो ग्रेनेड इस्तेमाल हो रहे हैं उनमें काफी शिकायतें आ रही हैं। लेकिन मौजूदा ग्रेनेड को हैंडग्रेनेड और राइफल ग्रेनेड, दोनों तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।

फोटो-सोशल मीडिया

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दुश्मन के टुकड़े-टुकड़े

हालाकिं सेना को जो नए 10 लाख ग्रेनेड मिल रहे हैं वे मल्टी मोड तो हैं लेकिन वे हैंडग्रेनेड की तरह ही इस्तेमाल हो सकेंगे। भारतीय सेना को राइफल ग्रेनेड की भी जरूरत है और नए राइफल ग्रेनेड की खोज अभी जारी है। जिससे पल भर में ही दुश्मन के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे।

ऐसे में आइटीआइ(ITI) ने रक्षा मंत्रालय से 7796 करोड़ रुपये का करार किया है। इसके तहत आइटीआइ को समूचे देश में भारतीय सेना के लिए रणनीतिक और सुरक्षित संचार नेटवर्क बनाना है। सुरक्षा कैबिनेट कमेटी ने इस संवेदनशील नेटवर्क के लिए मंजूरी दे दी है।

आर्मी स्टेटिक स्विच्ड कम्यूनिकेशन नेटवर्क (एस्कॉन) फेज-4 को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के खिलाफ तैयारियों के तौर पर देखा जा रहा है। जिससे चीनी सैनिकों को उनकी साजिश में फेल किया जा सके।

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