पीके यानी प्रशांत किशोर......... तेरा जादू चल गया!

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश की बागडोर दिलवाने में मददगार रहे प्रशांत किशोर ने एक बार फिर दिल्ली में आम आदमी पार्टी को सत्ता दिलवाने में बड़ी भूमिका निभाने का काम किया है।

Update:2020-02-11 13:19 IST

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपार सफलता दिलाने के साथ ही गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश की बागडोर दिलवाने में मददगार रहे प्रशांत किशोर ने एक बार फिर दिल्ली में आम आदमी पार्टी को सत्ता दिलवाने में बड़ी भूमिका निभाने का काम किया है। आम आदमी पार्टी को मिली इस सफलता के बाद पीके को फिर से राजनीतिक का कुशल रणनीतिकार कहा जाने लगा है।

स्टालिन और ममता बनर्जी के लिए भी काम कर सकते हैं पीके

इसके बाद 2015 में हुए चुनाव में बिहार में महागठबंधन की जीत में प्रशांत किशोर को ही मिला। जबकि पिछले साल आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और पंजाब में कांग्रेस की जीत में भी उनकी भूमिका रही। फिलहाल प्रशांत किशोर उर्फ पीके की कंपनी बंगाल में टीएमसी के लिए काम करेगी।

कहा जा रहा है कि एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके ने अगले साल तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान के लिए रणनीतिकार प्रशांत किशोर से हाथ मिलाया है। चर्चा है कि विधानसभा चुनाव की जीत हासिल करने के लिए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की संस्था की सहायता लेगी।

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सारथी अच्छा हो तभी जीत संभव

यह बात अलग है कि दिल्ली में केजरीवाल की जीत में महती भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर ने बता दिया कि यदि सारथी अच्छा हो तो विजय रथ को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। यूपी में कांग्रेस ने उनके साथ 2017 में राहुल गांधी को साथ लेकर यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ा था। पर कांग्रेस को सफलता नहीं मिल सकी थी।

देखने वाली बात यह रही कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने उनको अपनी पार्टी से बाहर कर दिया था जिसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया। जिसका लाभ आम आदमी पार्टी को पूरा मिला है।

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कौन है पीके यानी प्रशांत किशोर?

पीके का पूरा नाम प्रशांत किशोर पाण्डेय है। उनका जन्म बिहार के बक्सर जिले में हुआ था। उनकी मां उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की हैं वहीं पिता बिहार सरकार में डॉक्टर हैं। उनकी पत्नी का नाम जाह्नवी दास है। इसके अलावा पीके एक बेटे के पिता भी है। प्रशांत की एक पीआर कम्पनी भी है। प्रंशांत किशोर ने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (कैग) की स्थापना की थी। जिसे भारत की पहली राजनीतिक एक्शन कमिटी माना जाता है। यह एक एनजीओ है जिसमें आईआईटी और आईआईएम में पढ़ने वाले युवा प्रोफेशनल्स शामिल थे।

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मुख्यमंत्री से लेकर प्रघानमंत्री तक बना चुके हैं पीके

पीके यानी प्रशांत किशोर कई राजनेताओं को अपनी रणनीतिक सूझबूझ के दम पर मुख्यमंत्री तक बना चुके हैं। 2015 के पिछले विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने बिहार में नीतीश कुमार को चुनाव जीतने में मदद की थी जिसके बाद उन्हे जनता दल यू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। प्रशात किशोर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के इतने करीबी हो गए थें कि उन्हे पार्टी का उपाध्यक्ष बना दिया गया था। बाद में प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया।लेकिन कुछ दिनों पहले ही उन्हे नीतिश कुमार ने पार्टी से बाहर कर दिया था जिसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया।

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