Atal Bihari Vajpayee Ki Yojana: 25 दिसंबर को शुरू हुई थी अटल जी की यह महती योजन, देखें बीते 24 साल में क्या क्या हुआ ?
Atal Bihari Vajpayee PMGSY Scheme: पिछले 24 वर्षों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रारंभ में योजना का उद्देश्य लगभग 1.7 लाख गांवों को कनेक्टिविटी प्रदान करना था।
Atal Ji Ki PMGSY Yojana: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक ऐतिहासिक योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को बेहतर सड़क नेटवर्क से जोड़ना है। यह योजना 25 दिसंबर, 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए सड़क कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना और उन्हें मुख्यधारा के विकास से जोड़ना है। 2024 में इस योजना को शुरू हुए 24 साल हो चुके हैं।
शुरुआत और उद्देश्य-
2000 में जब इस योजना की शुरुआत हुई, तो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी की स्थिति काफी दयनीय थी। सड़कें न केवल टूटी-फूटी थीं, बल्कि कई गांवों तक सड़क पहुंची ही नहीं थी। इसके चलते किसानों को अपने उत्पाद बाजारों तक पहुंचाने में दिक्कत होती थी और बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी होती थी।
स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य बुनियादी सेवाएं भी गांवों तक आसानी से नहीं पहुंच पाती थीं।
इस योजना का प्रमुख उद्देश्य था-
हर मौसम में सड़क कनेक्टिविटी: 500 से अधिक जनसंख्या वाले गांवों और पहाड़ी क्षेत्रों में 250 से अधिक जनसंख्या वाले गांवों को सड़क नेटवर्क से जोड़ना।
आर्थिक और सामाजिक विकास: ग्रामीण सड़कें केवल परिवहन का साधन नहीं होतीं, बल्कि वे आर्थिक और सामाजिक प्रगति के साधन भी होती हैं।
ग्रामीण-शहरी अंतर को कम करना: ग्रामीण भारत को शहरी भारत के साथ जोड़ने से विकास का दायरा बढ़ता है।
योजना का क्रियान्वयन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत, केंद्र सरकार ने सड़क निर्माण के लिए विशेष रूप से धन आवंटित किया।योजना के तहत केंद्र सरकार 100 फीसदी धनराशि प्रदान करती है। बाद में, इसमें राज्य सरकारों को भी अपनी सहभागिता देनी पड़ी।सड़कों के निर्माण में उच्च गुणवत्ता और टिकाऊपन सुनिश्चित करने के लिए विशेष तकनीकी मापदंडों का पालन किया गया।ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों की भागीदारी से यह योजना जमीनी स्तर पर प्रभावी बनी।
विस्तार और प्रगति:
पिछले 24 वर्षों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रारंभ में योजना का उद्देश्य लगभग 1.7 लाख गांवों को कनेक्टिविटी प्रदान करना था। 2024 तक, लगभग 97 फीसदी योग्य गांव इस योजना के तहत जुड़ चुके हैं।2024 तक इस योजना के तहत 7 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया जा चुका है।इस योजना का प्रभाव देश के हर कोने में देखा जा सकता है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम और झारखंड जैसे राज्यों में इसका विशेष महत्व है।पहाड़ी राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में भी कठिन भूगोल को पार करते हुए सड़कें बनाई गईं।योजना ने जनजातीय और सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक पहुंच को प्राथमिकता दी।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का ग्रामीण भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है।बेहतर सड़कें किसानों को बाजारों तक आसानी से पहुंचने में मदद करती हैं।कृषि उत्पादों के परिवहन की लागत कम हो गई है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है।गांवों में स्कूल और स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंच आसान हुई है।एम्बुलेंस सेवाएं और चिकित्सीय सहायता समय पर पहुंचने लगी हैं।निर्माण कार्यों में स्थानीय मजदूरों को रोजगार मिला।बेहतर सड़कों से पर्यटन स्थलों तक पहुंच बढ़ी है, जिससे स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिला।सड़क कनेक्टिविटी ने महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराए।
चुनौतियां और आलोचना
जम्मू और कश्मीर, छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्से जैसे मिजोरम और नागालैंड में अभी भी सभी गांव सड़क कनेक्टिविटी से वंचित हैं।दूरस्थ क्षेत्रों में भूगोल और राजनीतिक अस्थिरता बड़ी बाधा साबित हुई है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने उल्लेखनीय प्रगति की है। लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां भी रही हैं।कुछ क्षेत्रों में सड़कों की गुणवत्ता खराब पाई गई।अनुबंधकर्ताओं द्वारा घटिया सामग्री का उपयोग और समय पर रखरखाव न होना बड़ी समस्याएं रहीं।पहाड़ी और दूरदराज के क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण करना कठिन था।बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सड़कों को नुकसान हुआ।राज्यों में धन की कमी और धीमी प्रक्रियाओं के कारण परियोजनाओं में देरी हुई।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजना: 2024 तक, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने अपने लक्ष्यों का अधिकांश हिस्सा पूरा कर लिया है। अब सरकार का ध्यान इस योजना के अगले चरण पर है।सड़कों के दीर्घकालिक रखरखाव के लिए नई नीतियां लागू की जा रही हैं। राज्यों को वार्षिक रखरखाव बजट आवंटित किया जा रहा है।अब सड़कों को स्मार्ट तकनीकों से लैस किया जा रहा है।डिजिटल मैपिंग और जीपीएस आधारित निगरानी की जा रही है।पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, सड़कों के किनारे पेड़ लगाने और जल संरक्षण के उपाय किए जा रहे हैं।सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक सभी गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा जाए।जलवायु अनुकूल निर्माण तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
विपक्ष का दृष्टिकोण - प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को लेकर विपक्ष ने भी समय-समय पर अपनी राय व्यक्त की है। विपक्ष का कहना है कि योजना के तहत बनाए गए सड़कों में गुणवत्ता की कमी है।कुछ राज्यों में धनराशि के वितरण में भेदभाव किया गया है।योजना के रखरखाव में लापरवाही के कारण कई सड़कें खराब हो चुकी हैं।विपक्ष ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार को योजना के तहत वंचित क्षेत्रों और गांवों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि असमानता को कम किया जा सके।
इस साल के सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ग्रामीण विकास विभाग के “वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना - IV (पीएमजीएसवाई-IV) के कार्यान्वयन” के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इस योजना के तहत पात्र 25,000 असंबद्ध बस्तियों को नए संपर्क मार्ग प्रदान करने के लिए 62,500 किलोमीटर सड़क के निर्माण और नए संपर्क मार्गों पर पुलों के निर्माण/उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना का कुल परिव्यय 70,125 करोड़ रुपये होगा।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना - IV वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 के लिए शुरू की गई है। इस योजना का कुल परिव्यय 70,125 करोड़ रुपये है (केंद्र का हिस्सा 49,087.50 करोड़ रुपये और राज्यांश 21,037.50 करोड़ रुपये)।
इस योजना के तहत, जनगणना 2011 के अनुसार, मैदानी क्षेत्रों में 500+ आबादी वाली, पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 250+, विशेष श्रेणी के क्षेत्रों (जनजाति अनुसूची V, आकांक्षी जिले/ब्लॉक, रेगिस्तानी क्षेत्र) और एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में 100+ आबादी वाली 25,000 असंबद्ध बस्तियों को कवर किया जाएगा।
इस योजना के तहत असंबद्ध बस्तियों को 62,500 किलोमीटर की आल वेदर रोड प्रदान की जाएंगी। आल वेदर रोड के संरेखण के साथ आवश्यक पुलों का निर्माण भी किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत अधिकांश राज्यों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। लेकिन कुछ क्षेत्रों में अब भी चुनौतियां बनी हुई हैं। विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत के मिज़ोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे दूरस्थ राज्यों में योजना की धीमी गति और अधूरी परियोजनाओं के कारण लाभार्थियों ने सार्वजनिक रूप से असंतोष व्यक्त किया है।विपक्ष ने सरकार से आग्रह किया है कि उन राज्यों में विशेष पहल की जाए, जहां अब भी गांवों को सड़क संपर्क का लाभ नहीं मिला है। साथ ही, निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए स्वतंत्र एजेंसियों की नियुक्ति की सिफारिश की गई है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने ग्रामीण भारत के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है। इसने न केवल गांवों को जोड़ा, बल्कि ग्रामीण समुदायों की जीवन शैली में सुधार किया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और रोजगार के क्षेत्र में इस योजना का सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। हालांकि कुछ चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। लेकिन सरकार की प्रतिबद्धता और नई पहलों से यह योजना आने वाले वर्षों में और भी प्रभावी साबित होगी। ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने और शहरी-ग्रामीण अंतर को कम करने में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एक मील का पत्थर है।