Air Pollution in Delhi-NCR: दिल्ली एनसीआर की हालात खराब, नोएडा में 8वीं तक क्लास चलेंगे ऑनलाइन

Air Pollution in Delhi-NCR: आज यानी शुक्रवार चार अक्टूबर की सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर एक्यूआई 489 दर्ज किया गया। राष्ट्रीय राजधानी में पॉल्युशन इमरजेंसी जैसे हालत हो गए हैं।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-11-04 09:14 IST

Air Pollution in Delhi-NCR (photo: social media )

Air Pollution in Delhi-NCR: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली गैस चैंबर बन चुकी है। यहां खुले में सांस लेना कई गंभीर बीमारियों को दावत देना जैसा हो गया है। दिल्ली –एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर अति गंभीर श्रेणी में पहुंचने को बेताब है। गुरूवार शाम को राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 दर्ज किया गया था। वहीं, आज यानी शुक्रवार चार अक्टूबर की सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर एक्यूआई 489 दर्ज किया गया। इसके बाद से राष्ट्रीय राजधानी में पॉल्युशन इमरजेंसी जैसे हालत हो गए हैं।

वहीं, दिल्ली से सटे नोएडा की हालत तो और बदतर है। नोएडा में आज सुबह एक्यूआई 562 दर्ज किया गया, जो कि अति गंभीर श्रेणी में आता है। नोएडा में प्रदूषण के बेकाबू होते स्तर को देखते हुए 8वीं तक के क्लासेज ऑनलाइन मोड में चलाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, जरूरत पड़ने पर 9वीं से 12वीं तक की क्लास भी ऑनलाइन चलाई जा सकती है। इसके अलावा स्कूलों में अगले आदेश तक सभी आउटडोर गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है।

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सख्ती

बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण को लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत दिल्ली और आसपास के एनसीआर जिलों में डीजल से चलने वाले चार पहिया हल्के वाहनों और ट्रकों के एंट्री पर रोक लगा दी है। हालांकि, इसमें बीएस-6 मानक वाले वाहनों और आवश्यक व आपातकालीन सेवाओं में इस्तेमाल हो रहे वाहनों को छूट दी गई है। वहीं, इस दौरान कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन एक्टिविटी पर भी रोक रहेगी।

इसके अलावा एनसीआर में स्वच्छ ईंधन से न चलने वाले सभी उद्योगों को बंद करने का आदेश दिया गया है। हालांकि, दूध और डेयरी इकाइयों जैसे उद्योगों और जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरणों या यंत्रों, औषधियों और दवाओं के निर्माण में शामिल लोगों को इन प्रतिबंधों से छूट दी जाएगी।

बता दें कि राजधानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से अस्पतालों की ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। पहले ओपीडी में हर रोज 20-25 सांस के मरीज आते थे, जो अब बढ़कर 70-75 के आसपास पहुंच गई है।

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