मोदी सरकार का बड़ा निर्णय: अस्थायी कर्मचारियों को पक्की नौकरी, करना होगा ये काम

अगर किसी व्यक्ति को स्थायी किया जाना है, तो उसके लिए ये आवश्यक है कि वह संबंधित पोस्ट के लिए सभी जरुरी अहर्ताएं रखता हो। उसने दस साल तक काम किया हो और उसका केस कोर्ट या फिर ट्रिब्यूनल में नहीं होना चाहिए। 

Update: 2020-10-10 13:42 GMT
30 लाख कर्मचारियों में भारतीय रेल, डाक, रक्षा, ईपीएफओ और ईएसआईसी समेत अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के 16.97 लाख नॉन-गैजेटेड कर्मचारी शामिल हैं।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार में लंबे समय से काम कर रहे अस्थायी कर्मियों को अब पक्का करने की कवायद तेज हो गई है। इसका सीधा-सीधा ये मतलब है कि अब उनकी नौकरी स्थायी हो जाएगी।

लेकिन स्थायी कर्मचारी बनने के लिए उन्हें कुछ शर्तों का पालन करना होगा। सबसे पहली और महत्वपूर्ण शर्त ये होगी कि संबंधित कर्मचारी स्वीकृत पद पर अस्थायी रूप से काम करते हुए दस साल का कार्यकाल पूरा कर चुका हो।

उसे सीधी भर्ती प्रक्रिया के जरिए विभाग में ये नौकरी मिली हो और उसका केस कोर्ट में नहीं चल रहा हो। ऐसे अस्थायी कर्मचारियों को रिटेन एग्जाम या इंटरव्यू जो भी विभाग निर्धारित करेगा। उसे क्वालीफाई करना होगा।

जॉब की प्रतीकात्मक फोटो(सोशल मीडिया)

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डीओपीटी ने सभी मंत्रालयों और विभागों को जारी किया नया आदेश

यदि वह ऐसा कर लेता है तो उसकी नौकरी पक्की कर दी जाएगी। वैसे तो मंत्रालय या विभाग को सामान्य नियमों के अंतर्गत ये नियुक्ति प्रक्रिया छह माह में पूरी करनी पड़ती है, लेकिन यहां कहा गया है कि जब तक ऐसे सभी योग्य कर्मी स्थायी होने की प्रक्रिया में नहीं आ जाते, तब तक इस व्यवस्था को बनाये रखा जाएगा।

यहां ये भी बता दें कि डीओपीटी ने अपने इस नये आदेश के बारें में सभी मंत्रालयों और विभागों को अवगत भी करा दिया हैं। बताया जा रहा है कि ये आदेश इसलिए जारी किए गए हैं, क्योंकि लगातार ये सवाल अनेक विभागों द्वारा डीओपीटी से पूछा जा रहा था कि फलां कर्मचारी इतने वर्षों से अस्थायी पद पर कार्यरत है, उसे स्थायी करना है या नहीं।

यदि ऐसे कर्मचारी को स्थायी करना हो तो उसकी प्रक्रिया क्या होगी। जिसके बाद से अब डीओपीटी ने ये बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेक्रेटरी स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम उमा देवी केस के अंतर्गत की काम करना है।

न्यायालय की प्रतीकात्मक फोटो(सोशल मीडिया)

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संविधान के नियमों का हो पालन

इसमें कहा गया है कि कोई भी नियुक्ति संविधान के नियमों को ध्यान में रखते हुए की जाये। इतना ही नहीं इस फैसले के पैरा 44 में लिखा है कि केंद्र, राज्य सरकार या अन्य कोई संस्थान 'एक बारगी उपाय' के अंतर्गत इसका उपयोग कर सकता है। ऐसे सभी अस्थायी कर्मी उमा देवी केस के आधार नियमित सेवा में आ सकते हैं।

अगर किसी व्यक्ति को स्थायी किया जाना है, तो उसके लिए ये आवश्यक है कि वह संबंधित पोस्ट के लिए सभी जरुरी अहर्ताएं रखता हो। उसने दस साल तक काम किया हो और उसका केस कोर्ट या फिर ट्रिब्यूनल में नहीं होना चाहिए। ऐसे सभी अस्थायी कर्मी उमा देवी केस के आधार नियमित सेवा में आ सकते हैं।

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