Zoravar Light Tank: आधुनिक तकनीक से लैस होगा "जोरावर लाइट टैंक"

Zoravar Light Tank: डीआरडीओ द्वारा विकसित किया जा रहा ज़ोरावर लाइट टैंक उच्च स्तर की स्थितिजन्य जागरूकता और जल-थल संचालन क्षमता जैसी सभी आधुनिक तकनीकों से लैस होगा।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2023-01-28 08:40 IST

Zoravar Light Tank (Pic: Social Media)

Zoravar Light Tank: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया जा रहा "ज़ोरावर लाइट टैंक" आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन इंटीग्रेशन, उच्च स्तर की स्थितिजन्य जागरूकता और जल-थल संचालन क्षमता जैसी सभी आधुनिक तकनीकों से लैस होगा। साथ ही दुश्मन की गनशिप से बचाव में भी इसकी अहम भूमिका होगी।

आर्मी जनरल के नाम पर टैंक 

डीआरडीओ द्वारा डेवलप किये जा रहे लाइट टैंक का नाम डोगरा आर्मी जनरल के नाम पर रखा गया है। टैंक का नाम पौराणिक तत्कालीन डोगरा सैन्य जनरल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने तिब्बत में कई जीत का नेतृत्व किया था। वह इलाका अब चीन के नियंत्रण में है।

ऊंचाई वाले क्षेत्र की दिक्कतें

आमतौर पर ऊंचाई वाले क्षेत्र समुद्र तल से 11,000-16,500 फीट की ऊंचाई पर होते हैं और अत्यधिक एक्ट्रीम मौसम की स्थिति की चपेट में होते हैं। उत्तर-पूर्वी सीमाओं में ट्रैक किए गए वाहनों के संचालन और रखरखाव में आने वाली कठिनाइयों को रोकने के लिए ही स्पेशल हल्के टैंक विकसित किए जा रहे हैं।

लार्सन एंड टुब्रो का सहयोग

लाइट टैंक के सबसे बड़े फायदों में से एक यह है कि वे "पोर्टेबल" हैं। आसानी से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तैनात किए जा सकते हैं। डीआरडीओ के तहत लड़ाकू वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) को लीड सिस्टम इंटीग्रेटर (लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड, मुंबई) के सहयोग से एक हल्के टैंक के विकास की जिम्मेदारी दी गई है। लाइट टैंक में उच्च शक्ति-से-भार अनुपात, बेहतर मारक क्षमता, सुरक्षा, निगरानी और अधिक संचार क्षमता जैसी कई विशेषताएं होंगी। कम ऊंचाई वाले हेलीकॉप्टरों के कवच को हराने के लिए इसमें घातक मारक क्षमता भी होगी।

क्यों पड़ी जरूरत

मुख्य रूप से दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में सुरक्षा स्थितियों के कारण, हाल के दिनों में हल्के टैंकों पर नए सिरे से ध्यान और रुचि मिली है। लद्दाख की अत्यधिक ऊंचाई पर, मध्यम टैंकों जैसे टी 72 और टी-90, या अर्जुन एमके1, अर्जुन एमके2 जैसे भारी या मुख्य युद्धक टैंकों को संचालित करना बहुत मुश्किल है। ये टैंक न तो कठोर परिस्थितियों को संभालने के लिए बनाए गए थे और न ही सुसज्जित थे।

संचालन में चुनौतियां

उच्च ऊंचाई पर संचालन में विभिन्न चुनौतियां हैं। पारंपरिक सैन्य प्लेटफॉर्म जैसे टैंक, पैदल सेना से लड़ने वाले वाहन (आईएफवी), स्व-चालित तोपखाने आदि हमेशा ऊंचाई पर हवा और ऑक्सीजन की कमी के कारण युद्धाभ्यास करने के लिए पर्याप्त शक्ति उत्पन्न करने में सक्षम नहीं होते हैं। या अन्य रसद और परिचालन चुनौतियों का सामना करते हैं। यह अफगानिस्तान पर अमेरिकी आक्रमण, ऑपरेशन मेघदूत, भारत पाकिस्तान सियाचिन संघर्ष, कारगिल युद्ध और अब फिर से गलवान युद्ध के साथ देखा गया था।

इस तरह के प्लेटफार्मों को अत्यधिक ऊंचाई पर तैनात करने के लिए विशेष संशोधनों, विशेष प्रकार के ईंधन आदि की आवश्यकता होती है, जो इस क्षेत्र के रसद पर दबाव डालता है। इन सब हालातों और चुनौतियों को देखते हुए हल्के टैंकों का डेवलपमेंट और तैनाती महत्वपूर्ण है। इस दिशा में भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है।

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