Lucknow Kalibari Temple: दशहरा के मौके पर भव्य सजा लखनऊ का कालीबाड़ी मंदिर, जगमगाती रौशनी कर रही भक्तों को आकर्षित

Lucknow Kalibari Temple: दशहरा के मौके पर देशभर में मंदिरों और पंडालों को भव्य और खूबसूरत सजाया जाता है। इस साल भी लखनऊ के कालीबाड़ी मंदिर को भी काफी खूबसूरत और भव्य सजाया गया है।

Written By :  Anupma Raj
Update: 2022-10-03 05:53 GMT

Lucknow Maa Kalibari Temple (Image: Social Media)

Lucknow Kalibari Temple: दशहरा के मौके पर देशभर में मंदिरों और पंडालों को भव्य और खूबसूरत सजाया जाता है। इस साल भी लखनऊ के कालीबाड़ी मंदिर (Kalibari Temple) को भी काफी खूबसूरत और भव्य सजाया गया है। भक्तों के लिए कालबाड़ी मंदिर आकर्षण का केंद्र बना है। बता दे यहां हर साल मातारानी के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है। इस साल भी काफी खूबसूरत सजा है।

दरअसल बता दे कि पहले की तरह ही घसियारी मंडी के पास 159 साल पुरानी काली बाड़ी मंदिर की भव्य रोशनी सभी को आकर्षित कर रही है। बता दे यहां, भगवान शिव के सिर के मुकुट से बहने वाली गंगा और पृथ्वी पर नदी लाने के लिए उनकी पूजा करने वाले ऋषियों का चित्रण देखा जा सकता है। दरअसल भगवान शिव के सिर के मुकुट से बहने वाली गंगा का चित्रण और महादेव की पूजा करने वाले संतों ने आगंतुकों को काफी आकर्षित किया है। बता दे इसे मंदिर के प्रवेश द्वार पर एलईडी लाइटों के माध्यम से दर्शाया गया है। दरअसल नवरात्रि और दुर्गा पूजा के एक हिस्से के रूप में, मंदिर ट्रस्ट ने बंगाल के सज्जाकारों द्वारा रोशनी की व्यवस्था की है। वहीं मां काली की प्रबंध समिति के अध्यक्ष गौतम भट्टाचार्य ने कहा कि, "हमने एक विशाल स्वागत द्वार स्थापित किया है, जिसकी ऊंचाई 25 फीट है और ये सभी द्वार एलईडी बल्बों से जगमगाते हैं, जिसमें राधा कृष्ण हमारे कई हिंदू देवी-देवताओं के साथ नृत्य यानी रास लीला करते देख सकते हैं।

बता दे मुख्य चौराहे से मंदिर तक, हमने हिंदू देवताओं की छवियां लगाई हैं जो भक्तों को बहुत पसंद आ रही है। साथ ही, यहां लोकप्रिय कार्टून चरित्रों की तस्वीरें भी हैं।" बता दे रोशनी पर मंदिर ने करीब 3 लाख रुपए खर्च किए हैं और इसे बनाने में करीब 10 दिन लगे हैं। बता दे काली बारी मंदिर सोमवार (26 सितंबर) से 4 अक्टूबर तक नवरात्रि और शारदीय दुर्गा पूजा मनाया जा रहा है। वहीं रविवार शाम को, देवता का आह्वान करने के लिए "महिषासुर मर्दिनी महालय" (चंडीपाठ) का पाठ किया गया, जो लखनऊ के "गीती चोंडो" मंडली द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें 20 गायक और संगीतकार शामिल हुए थें। 

जानकारी के लिए आपको बता दे कि साल 2016 में LOC के पार आतंकियों के कैंपों पर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद काली बाड़ी मंदिर ट्रस्ट ने अपने बेहतरीन तरीके से वीर जवानों को सलामी दी थी, उस दौरान भी तब मंदिर को भव्य रूप से रोशन किया गया था और आसपास के पूरे हिस्से को सजाया गया था। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शारदीय नवरात्रि के अवसर पर राज्य के लोगों को बधाई और शुभकामनाएं भी दी थी। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि भारतीय संस्कृति में देवी दुर्गा की पूजा का अत्यधिक महत्व है क्योंकि मां दुर्गा शक्ति की देवी हैं।

दरअसल ऐसी मान्यता है कि चौक के इस बड़ी काली मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने आज से 2500 साल पहले की थी। बता दे ये मंदिर बिहार स्थित बोधगया में शंकराचार्य मठ की ही एक शाखा है और इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि जब तकरीबन हजार साल पहले कुछ लोगों ने मंदिरों को तहस-नहस करना शुरू किया तब यहां के पुजारी ने भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को यहां स्थित एक कुएं में उनसे बचाने के लिए डाल दिया। बता दे जब लंबे समय बाद उस कुएं से मूर्तियां निकाली गई तो इन मूर्तियों का स्वरूप बदल गया था और इसमें मूर्ति मां काली की मूर्ति के रूप में निकली, तभी से ऐसा माना जाता है कि मां काली के यहां प्राण प्रतिष्ठा हुई और इस मंदिर यानी मां कालीबाड़ी की इस भव्य मंदिर को 1 शक्तिपीठ भी कहा जाता है। यहां हर दिन भक्तों की लंबी लाइन लगती है लेकिन नवरात्रि के समय यहां भारी संख्या में भक्त मां काली की दर्शन के लिए आते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि मां काली अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं।

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