VAT Scam Case: वैट घोटाला मामले में ED की बड़ी कार्रवाई, हरियाणा में 14 जगहों पर छापेमारी जारी

VAT Scam Case: ईडी ने मंगलवार को हरियाणा में कई जगहों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी कथित वैट घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई। इस जांच की जिद में हरियाणा के प्रशासनिक सेवा के तीन पूर्व अधिकारी भी आए हैं।

Newstrack :  Network
Update: 2024-07-09 11:23 GMT

VAT Scam Case (सोशल मीडिया) 

VAT Scam Case: प्रवर्तन निदेशायल (ED) ने वैट घोटाले मामले में हरियाणा के कई स्थानों छापा मारा है। ईडी ने मंगलवार को वैट वैट घोटाले मामले में हरियाणा में एक साथ 14 स्थानों में छापा मारी है। यह कार्रवाई ईडी के चंडीगढ़ जोनल कार्यालय द्वारा की गई है। इस सभी स्थानों पर ईडी की तलाशी जारी है। यह घोटाला एक हजार करोड़ रुपये से अधिक है। ईडी आज जिन 14 स्थानों पर कार्रवाई की है, उसमें हरियाणा सरकार के तीन पूर्व अधिकारी और कुछ अन्य लोगों शामिल है।

वैट घोटाले मामले पर हुई कार्रवाई

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने मंगलवार को हरियाणा में कई जगहों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी कथित वैट घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई। इस जांच की जिद में हरियाणा के प्रशासनिक सेवा के तीन पूर्व अधिकारी भी आए हैं। राज्य में करीब 14 जगहों पर ईडी की कार्रवाई जारी है। इस दौरान ईडी इसमें शामिल लोगों के पूछताछ कर रही है और दस्तावेज इक्कठा कर रही है। ईडी ने यह कार्रवाई वैट घोटाले मामले में हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआइआर के आधार पर की है।

तीन अधिकारियों के यहां पर पड़ा छापा

मिली जानकारी के मुताबिक, ईडी ने हरियाणा के जिन तीन पूर्व सिविल सेवा के तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों के यहां छापा मारा है, उसमें आबकारी एवं कराधान अधिकारी अशोक सुखीजा और पूर्व उप आबकारी कराधान आयुक्त नरेंद्र रंगा और गोपी चंद चौधरी शामिल हैं। इसके अलावा ईडी ने कुछ निजी व्यक्तियों के यहां पर रेड मारी है।

2020 में दर्ज हुई थी एफआईआर

हरियाणा पुलिस ने इस मामले में पिछले साल पूर्व अधिकारी सुखीजा और चौधरी को गिरफ्तार किया था। मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला गुरुग्राम में 1,000 करोड़ रुपये के फॉर्म सी को अवैध रूप से जारी करने के मामले से संबंधित हरियाणा पुलिस द्वारा 2020 में दर्ज की गई एफआईआर से जुड़ा है।

जानिए क्या है नियम

नियमों के मुताबिक, फॉर्म सी हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के बाहर माल की बिक्री के खिलाफ जारी किया जाता है और कोई व्यापारी या व्यावसायिक संस्था इसका इस्तेमाल करके रिफंड प्राप्त कर सकती है। आरोप है कि व्यापारियों ने फर्जी बिक्री बिल बनाए थे, जिससे राज्य के खजाने 1,000 करोड़ रुपए को नुकसान हुआ था।


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