Kota Suicide Prevention: छात्रों की खुदकुशी को रोकने के लिए ‘एवरी चाइल्ड मैटर्स’ लागू

Kota Suicide Prevention: दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जो छात्र डिप्रेशन , अकेलेपन के संकेत प्रदर्शित करते हैं, उनकी तुरंत मदद की जानी चाहिए। दिशानिर्देशों में जोखिम को दो स्तरों में वर्गीकृत किया गया है

Written By :  Nirala Tripathi
Update:2023-10-08 08:51 IST

सांकेतिक तस्वीर (सोशल मीडिया)

Kota Suicide Prevention: बच्चों की मनोदशा को समझने और उन्हें आत्महत्या जैसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाने से रोकने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही मे सभी स्कूलों के लिए सुसाइड प्रिवेंशन गाइडलाइन जारी की हैं। जब 2023 में छात्रों की खुदकुशी के मामले रिकॉर्ड संख्या पर पहुंच गए। खासकर कोटा में,इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों में खुदकुशी के मामले बेहद बढ़े हैं ।

कोटा में जनवरी से लेकर अब तक इसी साल 27 छात्र खुदकुशी कर चुके हैं। अगस्त और सितंबर के महीने में कोटा में इंजीनियरिंगग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे 9 छात्रों ने अपनी जान गवां दी । एक विश्लेषण के मुताबिक मरने वालों में ज़्यादातर छात्र पुरुष थे , जो नीट की तैयारी कर रहे थे। उनमें से कई छात्र गरीब और लोअर मिडिल क्लास परिवारों से आते थे।


एक आंकड़े के मुताबिक कोटा शहर में रह कर कोचिंग कर रहें ज़्यादातर छात्रों की उम्र 17 से 20 वर्ष के बीच में है , उनके लिए शहर में अकेले रहना, अभिभावको की उम्मीदें, हर दिन 13-14 घंटों की पढ़ाई, टॉपर्स के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा के दबाव के साथ रहना आसान नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, भारत में साल 2021 में लगभग 13 हज़ार छात्रों ने आत्महत्या की थी। ये आंकड़े साल 2020 के आंकड़े से 4.5 प्रतिशत ज़्यादा हैं।


विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, हर साल करीब सात लाख लोग आत्महत्या करते हैं और 15-29 साल के उम्र में आत्महत्या मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है। मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन द्वारा मंगलवार को ‘उम्मीद’( समझें, प्रेरित करें, प्रबंधित करें, सहानुभूति रखें, सशक्त बनाएं, विकसित करें) दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया गया ।

क्या है UMEED का मतलब?

U – Understand – समझना

M – Motivate – प्रोत्साहित करना

M – Manage – संभालना

E – Empathise – सहानुभूति

E – Empower – सशक्त

D – Develop – विकसित

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि स्कूल वेलनेस टीम (एसडब्ल्यूटी) का गठन स्कूल प्रिंसिपल के नेतृत्व में किया जाना चाहिए । अगर कोई मुश्किल की स्थिति होती है तो यह टीम तुरंत प्रभाव से जरूरी कार्रवाई करे । ड्राफ्ट मसौदे में कहा गया है कि स्कूल और अभिभावक के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए। निर्देशों में यह भी कहा गया है कि ऐसे छात्रों की पहचान के लिए गंभीर उपाय किए जाएं, जो खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

ड्राफ्ट गाइडलाइंस में कहा गया है कि छात्रों के बीच तुलना बंद होनी चाहिए और स्कूलों की जिम्मेदारी है कि बच्चों के बीच हीनभावना न पनपने दे । दिशानिर्देशों में स्कूल वेलनेस टीम, खुदकुशी रोकने के लिए एक एक्शन प्लान और प्रभावित छात्रों के शुरुआती चेतावनी संकेतों का पता लगाने के लिए स्कूलों को कदम उठाने के लिए कहा गया है

स्कूल के लिए जरुरी निर्देश

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जो छात्र डिप्रेशन , अकेलेपन के संकेत प्रदर्शित करते हैं, उनकी तुरंत मदद की जानी चाहिए। दिशानिर्देशों में जोखिम को दो स्तरों में वर्गीकृत किया गया है पहला, उन छात्रों से संबंधित है जो चेतावनी के संकेत प्रदर्शित कर रहे हैं। दूसरा, उन छात्रों को संबोधित करता है जो सक्रिय रूप से खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए कदम उठा रहे हैं या संकट के लक्षण प्रदर्शित कर रहे हैं। साथ ही दिशानिर्देशों में कहा गया है कि खाली व बंद पड़े कमरों में ताला लगाएं , स्कूल के हर हिस्से में रोशनी का पर्याप्त इंतजाम हो और अतिरिक्त पेड़ - पौधों व झाड़ियों वाले क्षेत्रों को साफ किया जाए ताकि पूरे स्कूल का वातावरण बेहतर बनाया जा सके।


यह मानते हुए कि छात्रों को अपने स्कूली जीवन के दौरान विभिन्न बदलावों का सामना करना पड़ता है जो अत्यधिक तनाव का कारण बन सकता है, ड्राफ्ट दिशानिर्देशों में शिक्षकों, स्कूल कर्मचारियों, छात्रों और परिवारों समेत सभी की उच्च छमताओं का निर्धारण करने ,छात्रों के बीच आपसी समन्वय को बढ़ावा देना, तनाव रहित स्वस्थ गतिविधियों का आयोजन करना और स्कूल के कामकाज में मानसिक कल्याण को एकीकृत करने की भी सिफारिश की गई है। 

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