मोदी सरकार की बड़ी तैयारी: किसानों को होगा बंपर फायदा, बनाई ये नई योजना

आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़- इन पांच राज्यों ने पहले ही अपने-अपने जिलों में इस पोषणयुक्त चावल का वितरण शुरू कर दिया है।

Update:2020-11-04 12:17 IST
मोदी सरकार की बड़ी तैयारी: किसानों को होगा बंपर फायदा, बनाई ये नई योजना

नई दिल्ली: धान की खेती करने वाले किसानों के लिए केंन्द्र सरकार ने पायलट परियोजना चालू की है। यह पायलट योजना 2019-20 से शुरू हो रहे तीन सालों के लिए मंजूर की गई है और इसके लिए 1746 करोड़ रुपये का कुल बजट आवंटित किया गया है। पोषण सुरक्षा को व्यावहारिक रूप देने की प्रक्रिया के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने ‘चावल को पोषणयुक्त बनाने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए इसके वितरण के वास्ते एक केंद्र प्रायोजित पायलट परियोजना’ लागू की है।

पांच राज्यों ने पोषणयुक्त चावल का वितरण शुरू किया

बता दें कि इस पायलट योजना को लागू करने के लिए 15 राज्य सरकारों ने अपने-अपने जिलों की (प्रति राज्य एक जिला) पहचान की है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़- इन पांच राज्यों ने पहले ही अपने-अपने जिलों में इस पोषणयुक्त चावल का वितरण शुरू कर दिया है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों, रेलवे, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इसी साल 31 अक्टूबर को हुई एक समीक्षा बैठक में देश में इस पोषणयुक्त चावल के वितरण को बढ़ाने पर जोर दिया।

एफसीआई यह योजना मिड-डे-मील के तहत तैयार करेगा

बैठक 2 नवंबर 2020 को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में हुई जिसमें भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से देश के सभी जिलों से इस पोषणयुक्त चावल की खरीद और उसके वितरण के संबंध में एक समन्वित योजना बनाने के लिए कहा गया। एफसीआई यह योजना 2021-22 के लिए समन्वित बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मिड-डे-मील (एमडीएम) योजनाओं के तहत तैयार करेगा।

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योजना की प्रगति और उसमें वृद्धि की संभावनाओं पर चर्चा

देश के 112 विशेष रूप से पहचान किए गए महत्वकांक्षी जिलों में पोषणयुक्त चावल के वितरण पर रहेगा। इस संदर्भ में, नीति आयोग के सीईओ ने आज खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव, एफएसएसएआई के सीईओ तथा अन्य भागीदारों जैसे टाटा ट्रस्ट, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम, पाथ, न्यूट्रिशन इंटरनेशनल आदि से चावल को पोषणयुक्त बनाने की योजना की प्रगति और उसमें वृद्धि की संभावनाओं पर चर्चा की।

देश के महत्वकांक्षी जिलों में समन्वित बाल विकास योजना/मिड-डे-मील योजना के संबंध में ‘चावल को पोषणयुक्त बनाने और उसके वितरण’ की योजना को बढ़ावा देने के लिए आपूर्ति चेन और अन्य लॉजिस्टिक जरूरतों के बारे में भी इस बैठक में चर्चा हुई।

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पोषणयुक्त चावल कार्नेल की आपूर्ति को बढ़ाने की जरूरत

उक्त लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पोषणयुक्त चावल कार्नेल (एफआरके) की आपूर्ति को बढ़ाने की जरूरत है जो कि वर्तमान में मात्र 15,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। पीडीएस, आईसीडीएस और एमडीएम के वास्ते 112 महत्वाकांक्षी जिलों को कवर करने के लिए करीब 130 लाख मीट्रिक टन पोषणयुक्त चावल की जरूरत है।

इसके लिए देश में एफआरके की आपूर्ति क्षमता को करीब 1.3 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ाने की जरूरत है। अगर समूचे पीडीएस की चावल आपूर्ति को, जो कि मौजूदा समय में 350 लाख मीट्रिक टन है, को पोषणयुक्त चावल की आपूर्ति में बदलना है तो उद्योगों को 3.5 लाख मीट्रिक टन एफआरके की आपूर्ति की निरंतरता को बनाना होगा।

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देश में करीब 28,000 चावल मिलें हैं

इसके अलावा इस समय देश में करीब 28,000 चावल मिलें हैं जिन्हें ब्लेंडिंग मशीनों से सुसज्जित करना होगा ताकि वे सामान्य चावल में एफआरके का मिश्रण कर सकें। एफसीआई से कहा गया है कि वह इस संबंध में जरूरी निवेश के लिए विभिन्न क्षेत्रों में स्थित चावल मिलों के साथ गठजोड़ करें। एफसीआई की इस ऑपरेशनल तैयारी से 2021-22 से चरणबद्ध तरीके से पोषणयुक्त चावल की खरीद और आपूर्ति में सफलतापूर्वक वृद्धि की जा सकेगी।

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