Fathima Beevi Death: दुखद खबर! नहीं रहीं सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज फातिमा बीबी
Fathima Beevi Death News: भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 1950 में हुई थी । लेकिन पहली महिला जज की नियुक्ति 39 साल बाद हुई जब एम. फातिमा बीबी को 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज़ नियुक्त किया गया।
Fathima Beevi Death News: मुम्बई। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश एम. फातिमा बीबी का आज निधन हो गया। फातिमा बीबी एक ऐसा नाम है जो भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा। फातिमा बीबी भारत के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज थीं। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि समूचे एशिया की उच्च न्यायपालिका में फातिमा बीबी पहली महिला जज थीं। फातिमा बीबी उच्च न्यायपालिका में पहली मुस्लिम महिला जज थीं।
केरल में हुआ था जन्म
फातिमा बीबी का जन्म 30 अप्रैल, 1927 को त्रावणकोर (वर्तमान में केरल) के पठानमथिट्टा में खदीजा बीबी और सरकारी कर्मचारी मीरा साहिब के घर हुआ था। फातिमा छह बहनों और दो भाईयों में सबसे बड़ी थीं। उन्होंने 1943 में कैथोलिकेट हाईस्कूल, पठानमथिट्टा से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और उच्च शिक्षा के लिए तिरुवनंतपुरम चली गईं। वहां छह साल तक रहीं। इसके बाद बी.एस.सी. यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से करके गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से कानून की पढ़ाई की। फातिमा बीबी ने बताया था कि वह विज्ञान की पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन उनके पिता जस्टि स अन्ना चांडी (भारत की पहली महिला न्यायाधीश और उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश) की सफलता से प्रेरित थे। सो उन्होंने अपनी बेटी को भी कानून की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया। 1950 में फातिमा बार काउंसिल ऑफ इंडिया की परीक्षा में टॉप करने वाली पहली महिला बनीं। उसी वर्ष नवंबर में, उन्होंने एक वकील के रूप में नामांकन किया और केरल की निचली न्यायपालिका में अपना करियर शुरू किया। अगले तीन दशकों में, फातिमा ने केरल उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले, केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं में मुंसिफ, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जिला और सत्र न्यायाधीश और आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में कार्य किया।
1889 में बनीं थीं जज
भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 1950 में हुई थी । लेकिन पहली महिला जज की नियुक्ति 39 साल बाद हुई जब एम. फातिमा बीबी को 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज़ नियुक्त किया गया। इससे पहले वह 1983 में केरल हाई कोर्ट में जज के पद पर नियुक्त की गई थीं। वहां उन्होंने 6 साल यानी 1989 तक अपनी सेवा दी। हाई कोर्ट के जज़ के पद से रिटायर होने के महज 6 महीने बाद ही उन्हें 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज़ नियुक्त किया गया।
तमिलनाडु की राज्यपाल भी रहीं
फातिमा बीबी को 3 अक्टूबर, 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का भी सदस्य बनाया गया। वह 1997 से 2001 तक तमिलनाडु की राज्यपाल भी रहीं थीं। 1989 में उनकी नियुक्ति के बाद से, केवल छह और महिला न्यायाधीशों को भारत की शीर्ष अदालत में नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, केवल दो ही ऐसे समय रहे हैं जब एक ही समय में दो से अधिक महिला न्यायाधीश रहीं।
फातिमा ने ‘द वीक’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि न्यायाधीशों के पद पर अधिक महिलाओं को पदोन्नत करने की आवश्यकता है। यहां तक कि उच्च न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए आरक्षण पर भी विचार किया जाना चाहिए।