Ramcharitmanas Controversy: स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ अब दिल्ली में केस दर्ज, इससे पहले कई अन्य जगह FIR

Ramcharitmanas Controversy: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू धर्मग्रंथ रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान हुआ है। जिसके बाद से स्वामी प्रसाद मौर्य का हिंदू संगठनों के निशाने पर हैं।

Report :  Prashant Dixit
Update:2023-02-06 08:41 IST

SP Leader Swami Prasad Maurya (Social Media)

Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के विरुद्ध दिल्ली के पश्चिम विहार ईस्ट थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार महादेव सेना अध्यक्ष पंकज नंदा ने यह शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरित मानस का अपमान किया है। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। जिसके बाद दिल्ली पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है।

क्या कहा गया शिकायत में

इस शिकायत में कहा गया पिछले कुछ दिनों से टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर स्वामी प्रसाद मौर्य व उनके कार्यकर्ताओं द्वारा रामचरितमानस के पन्ने फाड़ने के वीडियो की बढ़ गए है। जिसने हिंदुओं और सनातन धर्म को मानने वालों की भावनाओं को आहत किया है। उस शिकायत में आगे कहा गया कि हमारा संविधान हमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है। जबकि किसी दूसरे व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना संविधान के खिलाफ है।

शिकायत में कड़ी सजा की मांग

अपनी शिकायत में पंकज नंदा ने सपा पर इस विवाद में स्वामी के रुख का समर्थन करने का आरोप लगाया हैं। क्योंकि इस बवाल के बावजूद पार्टी ने उन्हें महासचिव नियुक्ति किया। इस शिकायत में मौर्य के खिलाफ कड़ी सजा की मांग की गई है। दिल्ली पुलिस से भविष्य में ईशनिंदा के ऐसे कृत्यों को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा गया है। इससे पहले एमपी के ग्वालियर में भी मौर्य और सपा के आठ अन्य लोगों के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।

स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयान

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था, कि रामचरितमानस में जो आपत्तिजनक चौपाइयां हैं। उन्हें हटाना चाहिए। रामचरितमानस में जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया गया और उन शब्दों से हमको आपत्ति है। रामचरितमानस में जितनी जातियों का जिक्र किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने अपने पहले ही बालकांड में ही लिख दिया कि सरता सुखाय तुलसीदास यानी कि रामचरितमानस तुलसीदास के खुशी के लिए लिखी गई है।

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