बड़ी खबर: यादव सिंह जेल से हुए रिहा, भ्रष्टाचार के लगे हैं आरोप

नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य इंजीनियर यादव सिंह को जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। यादव सिंह 10 फरवरी 2020 से जेल में बंद थे।

Update: 2020-07-12 09:03 GMT

नई दिल्ली: नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य इंजीनियर यादव सिंह को जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। यादव सिंह 10 फरवरी 2020 से जेल में बंद थे। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के पांच अलग-अलग मामले दर्ज हैं। इस मामले में सीबीआई की दलील थी कि लॉकडाउन के दौरान अदालतें बंद रहीं। इसलिए वो चार्जशीट फाइल नहीं कर सके।

हाईकोर्ट ने खारिज की सीबीआई की दलील

हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई की दलील को खारिज करते हुए कहा था कि इस दौरान ऐसा तो नहीं है कि कोई अपराध नहीं हुआ और ना ही कोई गिरफ्तारी हुई। इसलिए सीबीआई की यह दलील उचित नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई की दलील खारीज कर दी। इसके साथ ही अदालत ने तय शर्तों को पूरा करने पर यादव सिंह को रिहा करने का आदेश दिया है।

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10 फरवरी यादव सिंह को लिया गया हिरासत

आपको बता दें कि यादव सिंह को 10 फरवरी, 2020 को हिरासत में लिया गया था। इसके बाद सिंह को 11 फरवरी 2020 को CBI की विशेष अदालत में पेश किया गया। जिसके बाद सीबीआई अदालत ने उसे रिमांड पर सीबीआई हिरासत में भेज दिया। हालांकि 60 दिनों की निर्धारित समय के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं किया गया। सीबीआई ने 119 दिन के बाद चार्जशीट दाखिल की है।

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12 अप्रैल को जिला जज के सामने दाखिल की थी जमानत की अर्जी

इसके बाद याचिकाकर्ता (Petitioner) ने एक ईमेल के जरिए 12 अप्रैल, 2020 को गाजियाबाद के जिला जज के सामने जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। जिसके 16 अप्रैल को सीबीआई की विशेष अदालत के पास भेज दिया गया। हालांकि सीबीआई अदालत ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते 60 दिन की सीमा नहीं गिनी जाएगी।

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सीबीआई ने क्या लगाए हैं आरोप?

सीबीआई के मुताबिक, 14 दिसंबर 2011 से 23 दिसंबर 2011 के बीच कई इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट यादव सिंह के कंट्रोल में थे। सिंह नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर थे और उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए 1280 प्रोजेक्ट के लिए 954.38 करोड़ रुपये के एग्रीमेंट बॉन्ड जारी किए। सीबीआई के मुताबिक सिंह ने अप्रैल 2004 से चार अगस्त, 2015 के बीच अपनी आय से लगभग 512 प्रतिशत अधिक 23.15 करोड़ रुपये जमा किए थे। 1 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यादव सिंह को जमानत दी थी।

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