Subrata Roy: कौन थे सुब्रत रॉय ? जानें उनकी अर्श से फ़र्श तक की पूरी कहानी
Subrata Roy Biography : सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय ने गोरखपुर से अपने सफर की शुरूआत की थी। साल 1978 में उन्होंने एक छोटे से दफ्तर से सहारा इंडिया परिवार की शुरूआत की थी।
Subrata Roy. देश के सबसे चर्चित और फिर विवादों में घिरने वाले सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय का मंगलवार रात मुंबई के एक अस्पताल में देहांत हो गया। आज के समय में जब उद्योगपतियों को विभिन्न राजनीतिक दलों से उनके संबंधों के आधार पर वर्गीकृत कर दिया गया है, रॉय ऐसे कारोबारी थे जिनकी नजदीकी लगभग तमाम सियासी दलों और उसके बड़े नेताओं के साथ रही। उनके अर्श से फ़र्श तक की कहानी बेहद दिलचस्प रही है। तो चलिए एक नजर उनके सफर पर डालते हैं।
बंगाली परिवार में हुआ था जन्म
सुब्रत रॉय का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया जिले में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सुधीर चंद्र रॉय और मां का नाम छवि रॉय है। उनके माता-पिता पूर्वी बंगाल के विक्रमपुर के थे, जो अब बांग्लादेश का हिस्सा है। दोनों एक बड़े जमींदार परिवार से आते थे। रॉय की स्कूली शिक्षा कोलकाता के होली चाइल्ड स्कूल से हुई थी। इसके बाद उन्होंने गोरखपुर के गवर्नमेंट टेक्निकल इंस्टिट्यूट से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी। उनकी पत्नी का स्वप्ना है, जो कि कोलकाता की रहने वाली हैं।
गोरखपुर से की थी व्यापार की शुरूआत
गोरखपुर में कॉलेज पूरा करने के बाद सुब्रत रॉय ने यहीं से व्यापार की शुरूआत की थी। रॉय ने सबसे पहले नमकीन स्नैक्स में अपनी किस्मत आजमाई। इसे वह लैंब्रेटा स्कूटर पर जया प्रोडक्टस् नाम से बेचते थे। 1976 में उन्होंने चिट फंड चलाने वाली एक कंपनी सहारा फाइनेंस ज्वाइन की और बाद में इसका अधिग्रहण कर लिया। 1978 में रॉय ने कंपनी का फाइनेंशियल मॉडल बदलते हुए सहारा इंडिया परिवार की स्थापना की। 1990 के दशक में वो गोरखपुर से लखनऊ शिफ्ट हो गए, जो उनके ग्रुप का आधार बन गया।
सुब्रत रॉय ने इसके बाद कई बिजनेस में सहारा का विस्तार किया। उनका कारोबार रियल एस्टेट, फाइनेंस, मीडिया, एयरलाइन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और हॉस्पिटैलिटी से लेकर अन्य सेक्टर्स में फैला हुआ था। सहारा ग्रुप 2001 से 2013 तक टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा। सहारा की टीम पुणे वॉरियर्स 2011 में आईपीएल में भी शामिल हुई थी।
साल 1992 में खबरों की दुनिया में कदम रखते हुए उन्होंने हिंदा भाषा का समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा लॉन्च किया। 2000 में सहार ग्रुप ने टीवी मीडिया में प्रवेश किया और सहारा टीवी नाम से चैनल लॉन्च किया। जिसे बाद में सहारा वन नाम दिया गया। 2010 में सहारा ने लंदन स्थित सवेनर हाउस होटल और 2012 में न्यूयॉर्क स्थित ऐतिहासिक प्लाजा होटल और ड्रीम डाउनटाउन होटल जैसी प्रतिष्ठित संपत्तियों का अधिग्रहण कर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोरी थीं।
मिले थे कई पुरस्कार
सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय की कामयाबी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंज चुकी है। प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने सहारा इंडिया परिवार को एक समय भारतीय रेलवे के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़े नियोक्ता करार दिया था, जिसमें करीब 12 लाख कर्मचारी काम करते थे। साल 2012 में इंडिया टुडे की ओर से उन्हें भारत के 10 सबसे शक्तिशाली लोगों में नामित किया गया था।
व्यापार के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए सुब्रत रॉय को कई पुरस्कार और सम्मान हासिल हुए थे। जिनमें ईस्ट लंदन विश्वविद्यालय से बिजनेस लीडरशिप में मानद डॉक्टरेट की उपाधि और लंदन में पॉवरब्रांड्स हॉल ऑफ फेम अवार्ड्स में बिजनेस आइकन ऑफ द ईयर पुरस्कार शामिल हैं।
2004 में की थी बेटे की शाही शादी
सहाराश्री के नाम से मशहूर हुए सुब्रत रॉय लग्जरी लाइफस्टाइल के लिए भी जाने जाते थे। उनके दो बेटे शुशांतो रॉय और सीमांतो रॉय हैं। जिनकी शादी की काफी चर्चा हुई थी। साल 2004 में लखनऊ के एक स्टेडियम में दोनों की भव्य शादी हुई थी। शादी में नेताओं, सितारों, कारोबारियों और अन्य क्षेत्रों के तमाम बड़ी हस्तियों ने शिरकत की थी। इस विवाद समारोह पर 500 करोड़ रूपये खर्च हुए थे।
अर्श से फर्श पर पहुंचे रॉय
सामान्य परिवेश से उठकर बुलंदियां छूने वाले सुब्रत रॉय अपनी जीवन की उपलब्धि को बरकरार नहीं रख सके। साल 2014 आते-आते उनका बुरा दौर शुरू हो चुका था। उन पर नियमों के खिलाफ जाते हुए अपनी दो कंपनियों के लिए आम जनता से पैसा जुटाने के आरोप लगे। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ उनका इसको लेकर टकराव आया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें हिरासत में लिया गया था, जिसके बाद उन्हें लंबा समय तिहाड़ जेल में बिताना पड़ा। फिलहाल वे पेरोल पर बाहर आए थे। 28 फरवरी 2014 को सर्वोच्च न्यायालय ने सुब्रत रॉय को 24,400 करोड़ रूपये निवेशकों को लौटाने को कहा था। तब से लेकर आज तक ये केस चल रहा है।