Gautam Adani: ‘मुंबई मेरा दूसरा घर’ धारावी पर बोले गौतम अदाणी

Gautam Adani: उन्होनें कहा कि हमारे ग्रुप द्वारा किए जा रहे सभी कामों में से धारावी मेरे दिल के सबसे करीब है। मेरे लिए, धारावी पैसा कमाने का प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि वापस देने और इस धरती पर अब तक देखे गए सबसे बड़े मानव केंद्रित बदलाव का हिस्सा बनने का एक अवसर है।

Newstrack :  Network
Update:2024-03-19 19:08 IST

Gautam Adani (Pic:Newstrack)

Gautam Adani: धारावी जिसे मुंबई का ‘दिल’ और ‘छोटा इंडिया’ भी कहा जाता है। ये बस्ती मुंबई की ऊंची-ऊंची इमारतों के बीच बसी हुई है। 1882 में अंग्रेजों ने धारावी को बसाया था। इसे बसाने का मकसद ये था कि मजदूरों को किफायती ठिकाना दिया जा सके। धीरे-धीरे यहां लोग बसने लगे और और झुग्गी-बस्तियां बन गईं। एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बस्ती है जहां 2.5 वर्ग किलोमीटर में 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। धारावी में 58 हजार परिवार और करीब 12 हजार कमर्शियल कॉम्प्लेक्स हैं। 1999 में जब महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन की सरकार थी, तब पहली बार धारावी को रिडेवलप करने का प्रस्ताव रखा गया। इसके बाद 2003-04 में महाराष्ट्र सरकार धारावी का रिडेवलपमेंट प्लान लेकर आई।

गौतम अदाणी के लिए धारावी सिर्फ बिजनेस मॉडल नहीं है वो उस दौर के गवाह भी रहे हैं जब इस मलीन झुग्गी-बस्ती में लोग बे-हिसाब परेशानियों के साथ अपने जीवन के सपनों को बुनने में लगे रहते थे। वो कहते है, ‘मुंबई मेरा दूसरा घर है। मैं यह नहीं मानता कि मैं यहां बाहरी हूं। मुंबई में कोई बाहरी नहीं होता क्योंकि मुंबई सभी का खुले दिल से स्वागत करती है। मुंबई के बारे में बात करते हुए, मुझे गर्व और सौभाग्य का अनुभव होता है कि मुझे धारावी के पुनर्विकास का नेतृत्व करने का मौका मिला है।

हमारे ग्रुप द्वारा किए जा रहे सभी कामों में से धारावी मेरे दिल के सबसे करीब है। मेरे लिए, धारावी पैसा कमाने का प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि वापस देने और इस धरती पर अब तक देखे गए सबसे बड़े मानव केंद्रित बदलाव का हिस्सा बनने का एक अवसर है। मैं लाखों लोगों के जीवन को बदलने और सम्मान, सुरक्षा व सबको साथ लेकर चलने वाली नई धारावी के निर्माण को अपनी जिम्मेदारी मानता हूं।‘

बता दें, 70 के दशक के आखिर में जब देश के तमाम युवाओं की तरह गौतम अदाणी भी जीवन में कुछ कर गुजरने का सपना लिए मुंबई में कदम रखा था और उनका सपना हीरों के कारोबार में कुछ बड़ा कर दिखाने का था। उन्हीं सपनों को पूरा करने की आपाधापी में उनका वास्ता धारावी से भी पड़ा। उस दौर में वहां सिर्फ इंसानों की भीड़ विपरित परिस्थितियों में अपने सपनों को जिंदा रखने के लिए लगातार संघर्ष कर रही थी। उस समय भी धारावी एक ऐसा जन समुद्र था, जिसमें देशभर की विविध मान्यताएं, संस्कृतियां और भाषाएं मिलती जाती थीं और फिर एकसार भी हो जाती थीं।

दरअसल, धारावी का गौतम अदाणी के जीवन में जमीनी सच्चाई को जानने का बड़ा योगदान रहा है। इंसान का जीवन किन विषमताओं, परेशानियों, कठिनाइयों से गुजरता हुआ अपने वजूद को बचाने और संवारने के लिए किस हद तक संघर्ष कर सकता है, यह धारावी की गलियों से गुजरकर उन्होनें काफी सहजता से जाना है। गौतम अदाणी कहते है कि,’ हीरे के कारोबार में मुंबई में चार साल तक काम किया। मुंबई एक अनोखी जगह है, यह एक ऐसा शहर है, जहां हर दिल की धड़कन गूंजती है। बड़ा सोचो-बड़ा सपना देखो और वास्तव में मुंबई क्या है, मुझे सिखाया।’

धारावी से क्या है अदाणी का वादा?

अदाणी ग्रुप को धारावी रीडेवलपमेंट का ठेका मिला है, ग्रुप का वादा है कि वह यहां बसने वाले लोगों को ना सिर्फ बेहतर रहने की जगह देगा, बल्कि यहां की छोटी और लघु इकाइयों का संरक्षण और उन्हें आगे बढ़ाने का भी काम करेगा। मुंबई के धारावी को अदाणी ग्रुप एक ‘मॉर्डन सिटी सेंटर’ में बदलने का इरादा रखता है। यहां के लोगों के पुनर्वास में कई बातें शामिल हो सकती हैं, जैसे कि अपस्किलिंग के लिए ट्रेनिंग सेंटर, प्रोडक्ट और सर्विस बेस्ड कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनना, रिसर्च सेंटर, डेटा सेंटर, एमएसएमई हेल्प डेस्क इत्यादि को डेवलप किया जाना। ताकि यहां के उद्योग को बचाया जा सके और उनके लिए एक ऑनलाइन मार्केट प्लेस भी तैयार किया जा सके।

वहीं रहने के लिए गैस, पानी, बिजली, साफ-सफाई, ड्रेनेज, स्वास्थ्य, मनोरंजन की सुविधाओं समेत खुला एरिया और एक वर्ल्ड क्लास स्कूल और हॉस्पिटल भी इस एरिया में डेवलप किया जा सकता है। हो सकता है कि ये आपको असंभव लग रहा हो क्योंकि ये काम करीब 7 लाख लोगों के लिए किया जाना है, लेकिन बड़े प्रोजेक्ट्स संभालने में अडानी ग्रुप को महारत हासिल है। इसे उन्होंने कई मौकों पर साबित भी किया है।

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