Ghulam Nabi Azad: गुलाम नबी ने खत में लिखा- कांग्रेस में अब राहुल गांधी के पीए और सुरक्षाकर्मी ले रहे फैसले

Ghulam Nabi Azad: कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने 5 पन्नों के इस्तीफे में सबसे बड़ा हमला राहुल गांधी पर किया। आज़ाद ने पत्र में राहुल गांधी के आगामी 'भारत जोड़ो यात्रा' पर भी टिप्पणी की।

Written By :  aman
Update: 2022-08-26 09:49 GMT

गुलाम नबी आजाद और राहुल गांधी 

Ghulam Nabi Azad Letter: राजनीतिक संकट से जूझ रही कांग्रेस पार्टी के लिए शुक्रवार का दिन कुछ स्याह रहा। पार्टी को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पांच पन्नों का एक पत्र लिखा। इस पत्र में गुलाम नबी ने पार्टी के अंदर के कई मुद्दे उठाए और भारी मन से खुद के 'आज़ाद' होने की बात कही।

कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने पांच पन्नों के इस्तीफे में सबसे बड़ा हमला राहुल गांधी पर किया। आज़ाद ने पत्र में राहुल गांधी के आगामी 'भारत जोड़ो यात्रा' पर भी तल्ख़ टिप्पणी की। उन्होंने लिखा, 'कांग्रेस को सही दिशा में लड़ाई लड़नी चाहिए। ऐसे में 'भारत जोड़ो यात्रा' (Bharat Jodo Yatra) से पहले कांग्रेस पार्टी को देशभर में जोड़ने की कवायद की जानी चाहिए थी।'

आज़ाद- पहले 'कांग्रेस जोड़ो' यात्रा निकालें

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में गुलाम नबी आजाद ने लिखा कि, 'आज बड़े अफसोस और बेहद भावुक दिल के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से अपना आधा सदी पुराना नाता तोड़ने का फैसला लिया है। कांग्रेस (Congress) ने पार्टी चलाने वाली मंडली के संरक्षण में पूरी तरह इच्छा शक्ति और क्षमता खो दी है।' उन्होंने पार्टी की आगामी 'भारत जोड़ो यात्रा' (Bharat Jodo Yatra) का उल्लेख किया और कहा, यह यात्रा शुरू करने से पहले नेतृत्व को 'कांग्रेस जोड़ो यात्रा' करनी चाहिए।'

राहुल के आते ही पार्टी की कमान 'चाटुकारों के हाथ'  

इस चिट्ठी की खास बात ये है कि इसमें गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष और वायनाड सांसद पर तल्ख़ टिप्पणियां की हैं। उन्होंने राहुल पर निशाना साधते हुए लिखा, राहुल गांधी के उपाध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में सलाह-मशविरे की प्रकिया खत्म हो गई। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को किनारे कर दिया गया। अब पार्टी में अनुभवहीन 'चाटुकारों' ने कमान संभाल ली है।

अध्यादेश फाड़ना राहुल का बचकाना कदम  

इतना ही नहीं, इस पत्र को पढ़ने के बाद ऐसा लगता है कि में गुलाम नबी आज़ाद की बड़ी शिकायत राहुल गांधी से रही है। पत्र में वो आगे भी राहुल पर निशाना साधते दिखे। उन्होंने लिखा, 'राहुल गांधी का अध्यादेश फाड़ना उनकी बड़ी अपरिपक्वता थी। राहुल का ये कदम बेहद बचकाना था।'

'राहुल गांधी के पीए और सुरक्षाकर्मी ले रहे फैसले'

इतना ही नहीं उन्होंने लिखा, 2019 में इस्तीफे के बाद राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेताओं का अपमान किया।' गुलाम नबी आज़ाद ने यूपीए सरकार के 'रिमोट कंट्रोल मॉडल' की भी चर्चा की। लिखते हैं, वह सिस्टम (रिमोट कंट्रोल मॉडल) अब कांग्रेस में भी लागू हो चुका है। अब तो राहुल गांधी के पीए और सुरक्षाकर्मी फैसले ले रहे हैं।'

इंदिरा-संजय-राजीव को किया याद 

हालांकि, अपने इस पत्र में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस में बिताए अपने पांच दशक के राजनीतिक जीवन का भी जिक्र किया। इस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), संजय गांधी (Sanjay Gandhi) और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की तारीफ भी की। अपने इतने लंबे समय को उन्होंने खूबसूरती से याद किया। 

राहुल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनते ही पार्टी में 'बातचीत' बंद

मगर, गुलाम नबी आज़ाद के इस पत्र में जगह-जगह राहुल गांधी को लेकर उनका गुस्सा, सवाल और फैसलों को दुर्भाग्यपूर्ण बताना देखा जा सकता है। आज़ाद ने कहा, कि 'दुर्भाग्य से जब से पार्टी में राहुल गांधी की एंट्री हुई खासतौर पर 2013 में जब उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया तब से उन्होंने पार्टी में 'बातचीत का खाका' ही ध्वस्त कर दिया।' 

सीनियर और अनुभवी नेताओं को साइड कर दिया

गुलाम नबी ने लिखा कि, 'राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी के सभी सीनियर और अनुभवी नेताओं को कांग्रेस में पूरी तरह से साइड लाइन कर दिया गया। पार्टी के अनुभवहीन नेता मामले को देखने लगे। जिसके बाद से लगातार कांग्रेस को चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा। साल 2014 से लेकर अब तक कांग्रेस दो लोकसभा चुनाव हार चुकी है।'

आपको बता दें कि, इससे पहले गुलाम बनी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने के महज दो घंटे बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था। जानकार बताते रहे हैं कि गुलाम नबी आजाद कमेटियों के गठन से नाराज थे। आजाद की पार्टी से शिकायत रही है कि कमेटियों का गठन करते समय उन्हें भरोसे में नहीं लिया गया। 

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