IIT खड़गपुर पहुंच सुंदर पिचाई ने याद किए पुराने दिन, कहा- अच्छा इंस्‍टीट्यूट सक्‍सेस की गारंटी नहीं

Update: 2017-01-05 12:28 GMT

कोलकाता: गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई गुरुवार (05 जनवरी) को आईआईटी खड़गपुर पहुंचे। वहां वो छात्रों से मिले। गौरतलब है कि सुंदर पिचाई खुद इसी संस्‍थान के छात्र रहे हैं। इस दौरान पिचाई ने अपनी पुरानी यादें ताजा की।

पिचाई को उनकी कुछ पुरानी तस्‍वीरें दिखाई गईं। उन तस्वीरों में उन्‍होंने अपने दोस्‍तों को पहचाना। इसके बाद वे उस हॉस्‍टल भी गए, जहां पढ़ाई के दौरान वो रहा करते थे। इस मौके पर पिचाई ने 3,500 से ज्‍यादा लोगों को संबोधित किया।

ये सांभर है या दाल

पिचाई से जब ये पूछा गया कि उनके समय में आईआईटी में मेस का खाना कैसा था तो उन्‍होंने कहा, 'हम गेस करते थे कि ये सांभर है या दाल है।' एक अन्य सवाल के जवाब में पिचाई ने कहा, 'हां मैंने मॉर्निंग क्‍लासेज बंक की हैं, पर मैं आपसे यही कहूंगा कि आप मेहनत करें।'

..जब मेरी हिंदी पर हंसने लगे थे सब

आईआईटी के अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए सुंदर पिचाई ने कहा, 'मैंने स्‍कूल में हिन्‍दी पढ़ी थी, पर ज्‍यादा बोल नहीं पाता था। चेन्नई से आया था। यहां दूसरे छात्रों को देख हिन्‍दी बोलना सीख रहा था। एक दिन मैं मेस पहुंचा और वहां खड़े आदमी को अबे साले कहकर बुलाया। सब हंसने लगे। लेकिन तब तक मुझे यही लगता था कि लोगों को हिंदी में ऐसे ही बुलाते हैं।'

आगे की स्लाइड में पढ़ें सुंदर पिचाई ने आईआईटी के छात्रों से दिल की बातें की ...

जिंदगी में हो सही नजरिया

सुंदर पिचाई ने छात्रों से कहा, 'एक अच्‍छे इंस्‍टीट्यूट में जाना सक्‍सेस की गारंटी नहीं है। जिंदगी में एक सही नजरिया होना बहुत जरूरी है। आप जो भी करें उसमें खुश रहें। मैंने सुना है कि बच्‍चे 8वीं से आईआईटी की तैयारी करते हैं। बच्‍चे को ऐसा रास्‍ता दिखाएं कि उसकी उम्‍मीदें खत्‍म ना हों। जिंदगी को बड़े नजरिए से देखना चाहिए।'

यहीं हुई थी अंजलि से मुलाकात

पिचाई से जब एक छात्र ने उनकी पत्नी अंजलि के बारे में पूछा तो उन्‍होंने कहा, 'अंजलि से मेरी मुलाकात यहीं हुई थी। वो यहीं पढ़ती थीं। गर्ल्‍स होस्‍टल में रहती थी। वहां जाकर उनसे मिलना मुश्किल होता था। वहां जाकर किसी से बोलता वो वह तेज आवाज लगाकर बोलता 'अंजलि तुमसे सुंदर मिलने आया है।'

अप्रैल फूल के दिन दिया था गूगल में इंटरव्‍यू

सुंदर पिचाई ने बताया कि गूगल में उनका इंटरव्‍यू 1 अप्रैल 2004 को हुआ था। उस दिन 'अप्रैल फूल डे' था। तीन इंटरव्‍यू में तो मैंने ठीक जवाब नहीं दिए। क्‍योंकि मुझे पता ही नहीं था कि जीमेल है क्‍या। चौथे इंटरव्‍यू में उन्‍होंने मुझे जीमेल दिखाया तो मैंने उसके बारे में बताया कि कैसे जीमेल को और बेहतर किया जा सकता है।

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