ऑक्सीजन कांड : ...तो आजीवन जेल में रहेंगे मासूमों की हत्या के गुनहगार

Update: 2017-12-02 07:12 GMT

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन कांड के गुनहगारों को पूरी जिन्दगी जेल में काटनी पड़ सकती है। इनता ही नहीं पूर्व प्राचार्य समेत कई अन्य डॉक्टर भी जांच की जद में फंस रहे हैं। आरोपित डॉक्टरों के परिजन प्रशासनिक अफसरों को भी जांच की जद में लाने की मांग कर रहे हैं।

आक्सीजन संकट के कारण बच्चों की मौत के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार सभी नौ लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। पुलिस ने चार्जशीट में कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्र और तत्कालीन एनएचएम नोडल अधिकारी डा.कफील खान पर सरकारी धन के गबन का भी आरोप लगाते हुए आईपीसी की धारा 409 जोड़ी है। इस अपराध में आजीवन कारावास की सजा है। सात अन्य आरोपियों पर जो धाराएं लगायी गई हैं उनमें पांच वर्ष से कम की सजा का प्रावधान है।

यह भी पढ़ें : यूपी बोर्ड परीक्षा : जर्जर लैबों में प्रैक्टिकल करने को मजबूर छा

जांच समिति की संस्तुति के बाद कार्रवाई बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त की रात लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूॢत बाधित हो गई थी जो 13 अगस्त की सुबह बहाल हो सकी थी। तीन दिनों के अंदर 56 मासूमों समेत 18 वयस्क मरीजों की भी मौत हो गई थी। प्रदेश सरकार ने शुरू से ही ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत होने से इनकार किया था। प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने दावा किया था कि लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई जरूर बाधित हुई थी, लेकिन जम्बो ऑक्सीजन सिलेण्डर की पर्याप्त व्यवस्था थी और इस कारण किसी मरीज की मौत नहीं हुई। सरकार द्वारा गठित जांच समितियों ने भी सरकार की ही बात की अपनी जांच रिपोर्ट में तस्दीक की।

इस मामले में डीएम द्वारा गठित जांच समिति और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की संस्तुतियों के आधार पर ऑक्सीजन कांड के लिए पूर्व प्राचार्य डॉ राजीव मिश्र, नोडल अधिकारी एनएचएम 100 बेड इंसेफेलाइटिस वार्ड डॉ कफील खान, एचओडी एनस्थीसिया विभाग एवं आक्सीजन प्रभारी डॉ सतीश कुमार, चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल, सहायक लेखा अनुभाग उदय प्रताप शर्मा, लेखा लिपिक लेखा अनुभाग संजय कुमार त्रिपाठी, सहायक लेखाकार सुधीर कुमार पांडेय, ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनीष भंडारी और पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्र की पत्नी डॉ पूॢणमा शुक्ला को दोषी ठहराया। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर इन्हें गिरफ्तार किया गया।

आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल

विवेचना अधिकारी सीओ कैंट अभिषेक सिंह ने सभी आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। पहले डा.राजीव मिश्र और डा.कफील खान को छोड़ सात आरोपियों के खिलाफ अक्टूबर माह में चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी। डा.राजीव मिश्र और डा.कफील के खिलाफ दो दिन पहले चार्जशीट दाखिल की गई है। सीओ कैंट अभिषेक सिंह का कहना है कि विवेचना में पूर्व प्राचार्य डा.राजीव मिश्र और डॉ.कफील खान के खिलाफ सरकारी धन के गबन के साक्ष्य मिले हैं। इसलिए दोनों पर आईपीसी की धारा 409 भी लगाई गई है। दोनों ने सरकारी धन का व्यक्तिगत हित में उपयोग किया। इस धारा में आजीवन कारावास की सजा है।

इसके अलावा डॉ.कफील पर आईपीसी की धारा 308 यानी आपराधिक मानव वध का प्रयास और धारा 120 बी आपराधिक षडयंत्र लगाई गयी है। आईपीसी की धारा 308 में अधिकतम पांच वर्ष की सजा का प्रावधान है। डॉ.कफील खान पर ऑक्सीजन की कमी को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में न लाने, उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत न होने के बावजूद अपनी पत्नी के नर्सिंगहोम में प्राइवेट प्रैक्टिस करने, मेडिकल कॉलेज में मरीजों के इलाज में अपेक्षित सावधानी और उनके जीवन को बचाने के लिए अपेक्षित प्रयास नहीं करने तथा संचार एवं डिजिटल माध्यम से धोखा देने के इरादे से गलत तथ्यों को संचार माध्यम से प्रसारित करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया गया था। विवेचना में डा. कफील पर आईटीएक्ट की धारा 66 में कोई आपराधिक कृत्य का साक्ष्य नहीं मिला। इसलिए इसे हटा लिया गया। प्राइवेट प्रैक्टिस चूंकि क्रिमिनल केस नहीं है, इसलिए इसे चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया है। इस मामले में विभागीय कार्रवाई चल रही है।

डा.राजीव मिश्र पर भी 409, 308, 120 बी और 713 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा लगाई गई है। अन्य आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धोखाधड़ी, रिकार्ड में कूटरचना, आपराधिक षडयंत्र के आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों में अधिकतम पांच वर्ष की सजा हो सकती है।

पूर्व प्राचार्य डॉ केपी कुशवाहा भी जांच के दायरे में

बीआरडी ऑक्सीजन कांड में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ केपी कुशवाहा समेत पांच अन्य भी जांच के दायरे में आ गए हैं। पुलिस का आरोप है कि डॉ कुशवाहा, कॉलेज के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ एपी सिंह, पूर्व एसआईसी डॉ एके श्रीवास्तव, मुख्य कोषाधिकारी विनोद, वित्त नियंत्रक नीरज कुमार की भूमिका भी संदिग्ध है। विवेचक का कहना है कि ऑक्सीजन सप्लाई की टेंडर कमेटी में ये पांच लोग भी शामिल थे।

Tags:    

Similar News