राज्यपाल बनाम सरकारः क्यों छिड़ी है राज्यों में जंग
देश में गैर भाजपा दलों के शासन वाले लगभग-लगभग सभी राज्यों में राज्यपाल बनाम सरकार के बीच में जंग छिड़ी हुई है।
Governor vs Goverment : देश में गैर भाजपा दलों के शासन वाले लगभग-लगभग सभी राज्यों में राज्यपाल बनाम सरकार के बीच में जंग छिड़ी हुई है। संवैधानिक मामलों से लेकर सामान्य प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर राज्यपाल और राज्य सरकारें आमने सामने है। पंजाब से लेकर झारखंड, पश्चिम बंगाल और केरल सहित कई राज्यों में राज्यपाल और सरकारों के बीच में टकराव देखने को मिल रहा है। राजधानी दिल्ली में भी आप सरकार और उप राज्यपाल के बीच का झगड़ा आएदिन देखने को मिलता है। महराष्ट्र में भी विवाद देखने को मिलता था, लेकिन वहां पर सत्ता परिवर्तन हो जाने के बाद में विवाद शांत चल रहा है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के देश का उपराष्ट्रपति बन जाने के बाद में राज्य में विवाद शांत चल रहा है। गैर भाजपा राज्यों में चल रहे इस तरह के टकराव से राज्यपाल के संवैधानिक पद की गरिमा पर बड़ा सवाल उठ रहा है।
ताजा मामला अभी पंजाब का है। जहां पर आम आदमी पार्टी और राज्यपाल आमने सामने हो गए हैं। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। हालांकि राज्यपाल ने पहले इसकी मंजूरी दी थी लेकिन बाद में उन्होंने इस मंजूरी को रद्द कर दिया। नियम के मुताबिक कोई भी राज्य सरकार अगर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाती है तो उसे इसका एक कारण देना होता है। राज्य सरकार ने बहुमत साबित करने का कारण दिया था। इसके बावजूद दी गई मंजूरी रद्द कर दी गई। उधर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दोबारा मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर अब 27 सितंबर को विधानसभा का सत्र बुला लिया है। पंजाब सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाने के मुद्दे को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है।
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्य के तौर पर अयोग्यता को लेकर चुनाव आयोग की ओर से भेजी गई रिपोर्ट लंबित है। राज्य में एक खदान का पट्टा अपने नाम कराने के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की शिकायत राज्यपाल से की गई थी, जिसे राज्यपाल ने चुनाव आयोग को भेजा था। आयोग ने मई से लेकर अगस्त तक लंबी सुनवाई के बाद फैसला किया और अपनी रिपोर्ट पिछले 25 अगस्त को राज्यपाल को भेज दी। इसी तरह की शिकायत मुख्यमंत्री के भाई और जेएमएम के विधायक बसंत सोरेन के खिलाफ भी हुई थी और उसकी भी रिपोर्ट आयोग ने राज्यपाल को भेज दी है। चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजे एक महीना होने को है और राज्यपाल ने उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है और कोई फैसला भी नहीं किया है। इस तरह राज्य में असमंजस की स्थिति बनी हुई। राज्य में सरकार चला रहे गठबंधन के नेता राज्यपाल से मिले थे और उनसे जल्दी फैसला करने को कहा था तो राज्यपाल ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वे जल्दी ही फैसला करेंगे लेकिन उसके भी तीन हफ्ते से ज्यादा हो गए। खुद मुख्यमंत्री ने भी राज्यपाल से मिल कर जल्दी फैसला करने को कहा पर राज्यपाल फैसला नहीं कर रहे हैं।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के बीच में भी खींचतान चल रही है। वाम लोकतांत्रिक मोर्चा के संयोजक ईपी जयराजन ने तो यहां तक कह दिया है कि राज्यपाल का काम करने का तरीका सही नहीं है। उन्हे तत्काल पद से हटा देना चाहिए। केरल राज्य में वाम मोर्चा की सरकार और राज्यपाल के बीच में काफे लंबे समय से विवाद चल रहा है। करीब तीन साल पहले राज्य में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी थी तभी से हर एक मुद्दे पर विवाद चल रहा है। नीतिगत मसलों से लेकर निजी स्टाफ तक के मसले पर विवाद राज्य में चल रहा है।
दिल्ली में भी उप राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच आए दिन किसी न किसी मसले पर टकराव होता है। दिल्ली में उप राज्यपाल ने नई शराब नीति की सीबीआई जांच के आदेश दिए, जिसके बाद 19 अगस्त सीबीआई ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के यहां छापा मारा। उसके एक महीने बाद तक न सिसोदिया को पूछताछ के लिए बुलाया गया है और न उनकी गिरफ्तारी हुई है। इस तरीके कई मसले है जिन पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच में आए टकराव होता रहता है।