गुजरात में जुबानी जंग तेज : कांग्रेस-हार्दिक के समझौते को भाजपा ने बताया मजाक
अहमदाबाद/नई दिल्ली। गुजरात में भाजपा को कड़ी चुनौती दे रही कांग्रेस और हार्दिक पटेल के बीच बात बन गयी है। पाटीदारों के नेता हार्दिक पटेल के साथ कांग्रेस के हाथ मिलाने के बाद गुजरात में नई सियासी सुगबुगाहट तेज हो गई है। दोनों के हाथ मिलाने के बावजूद कानून के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस और हार्दिक के बीच पाटीदार आरक्षण पर जो प्रस्ताव मंजूर हुआ है, वह 50 फीसदी आरक्षण की न्यायिक बाध्यता के पैमाने पर फेल हो जाएगा।
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पाटीदारों को आरक्षण देने पर इस डील को लेकर कांग्रेस व बीजेपी के बीच जुबानी जंग तेज हो गयी है। बीजेपी ने इस डील को पाटीदार समाज के साथ बड़ा मजाक और धोखाधड़ी करार दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने सत्ताधारी पार्टी पर लोगों को मूर्ख बनाने का आरोप लगाया है। गुजरात में 9 और 14 दिसंबर को दो चरणों में विधानसभा की 182 सीटों पर मतदान होना है। राज्य में वोटों की गिनती 18 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के साथ ही होगी। पिछले 22 साल से राज्य में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार है।
हार्दिक की दलील से सहमत नहीं कानून के जानकार
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने कहा है कि सर्वोच्च अदालत ने 50 फीसदी आरक्षण की जो सीमा रखी है, वह एक सलाह थी। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की तरफ से उनके समुदाय को आरक्षण का जो फार्मूला दिया गया है, वह एससी-एसटी और ओबीसी के 50 फीसदी आरक्षण के कोटे से ऊपर होगा। पटेल ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो पाटीदारों को आरक्षण दिलाने के लिए एक सर्वे कराया जाएगा। इसके बाद कांग्रेस विधानसभा में बिल पास कराकर पाटीदारों को आरक्षण देगी।
वैसे मंडल आयोग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी और ओबीसी या विशेष कैटेगरी की जातियों का आरक्षण 50 फीसदी से ऊपर नहीं होना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि पार्टी संवैधानिक दायरे में रहते हुए पाटीदारों को आरक्षण देगी। वहीं कानूनी जानकारों का कहना है कि पाटीदारों को आरक्षण देने का कांग्रेस का वादा तभी अमल में आ सकता है जब सुप्रीम कोर्ट 1992 के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। कानून के जानकार हार्दिक की इस दलील से सहमत नहीं हैं कि 1992 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक सलाह थी। उनका मानना है कि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाया गया कानून था। इस सीमा को नहीं लांघा जा सकता।
जेटली का एक-दूसरे को छलने का आरोप
इस बीच केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस और हार्दिक पटेल के बीच हुए समझौते पर सवाल उठाते हुए दोनों पर एक-दूसरे को छलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता कानूनी रूप से टिकने योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि कानूनी और संवैधानिक रूप से यह आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन है और कानून के हिसाब से यह संभव ही नहीं है।
जेटली ने कहा कि चुनाव में ऐेसे वादे नहीं किए जाने चाहिए जिन्हें लागू न किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस बाबत सुप्रीमकोर्ट का आदेश पूरी तरह स्पष्ट है। राजस्थान में गुर्जरों के आरक्षण के असफल प्रयास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने पुन: पुष्टि की है कि 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाया नहीं जा सकता है। गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने कहा कि आरक्षण का यह फार्मूला मूर्खों की तरफ से मूर्खों को मंजूर प्रस्ताव है। हार्दिक कांग्रेस के प्रस्ताव के जरिए पाटीदार समुदाय को भ्रमित कर रहे हैं। नितिन पटेल ने दावा किया कि कपिल सिब्बल जैसे कांग्रेस नेताओं ने हार्दिक को बेवकूफ बनाया है।
ठाकोर ने किया हार्दिक का समर्थन
इस बीच ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने आरक्षण के मुद्दे पर पाटीदार समुदाय के नेता हार्दिक पटेल का समर्थन किया है। ठाकोर ने गैर आरक्षित समुदायों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के हार्दिक पटेल के बयान का समर्थन किया है। ठाकोर ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बाकी महत्वपूर्ण मुद्दों को दबाने के लिए कोटा का मुद्दा सामने ला रही है। उन्होंने बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया। ठाकोर ने कहा कि गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना के सदस्यों को पैसों की पेशकश की गई और डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने पटेल समुदाय को मूर्ख मान लिया।
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हाईटेक ढंग से चुनाव लड़ रही भाजपा
गुजरात में भाजपा पूरे हाईटेक ढंग से चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस को पटखनी देने के लिए भाजपा ने साल भर पहले ही चुनावी तैयारियां शुरू कर दी थीं। भाजपा ने प्रदेश कार्यालय के साथ ही जिला, तहसील व ब्लाक स्तर पर कार्यालय खोलकर इन्हें पूरी तरह सक्रिय कर दिया है। ये सभी कार्यालय लगातार एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं। कार्यालयों से मिलने वाली रिपोर्ट पर कई स्तरों पर अमल किया जाता है।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुद वार रूम और भाजपा के मीडिया कार्यालय में पूरे दिन की रिपोर्ट का मंथन करते हैं और फिर आगे की रणनीति तय की जाती है। भाजपा मुख्यालय तो इतना हाईटेक है कि उसमें मीडिया को रिसर्च सामग्री और इलेक्ट्रानिक मीडिया को हर संभव फीड मुहैया कराई जा रही है। भाजपा कार्यालयों में 24 घंटे काम हो रहा है। पार्टी ने मतदाता सूची के आधार पर पन्ना प्रमुखों तक की नियुक्ति की है और उन्हें पार्टी के पक्ष में मतदान कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। दूसरी ओर कांग्रेस पारंपरिक नुस्खे ही अपना रही है।
पहले चरण के लिए 1703 ने भरा पर्चा
गुजरात विधानसभा के लिए पहले चरण का मतदान नौ दिसम्बर को होना है और पहले चरण के लिए 1703 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। पहले चरण में 89 सीटों पर चुनाव होना है। सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के 19 जिलों में प्रथम चरण में चुनाव हो रहा है। गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी बीबी स्वैन के मुताबिक इनमें 788 निर्दलीय, 523 राष्ट्रीय दलों के और शेष 392 उम्मीदवार या तो राज्यस्तरीय दलों या छोटे गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों के उम्मीदवार हैं।