Gujarati Boy Viaan Patel: गुजरात के 9 साल के वियान ने भारत का नाम किया रोशन, हिमालय पर 14000 फीट ऊपर पहुंचा
Gujarati Boy Viaan Patel: गुजरात के वडोदरा में रहने वाले नौ साल के लड़के वियान पटेल ने भारत को गौरवान्वित किया है। इस 9 साल के बच्चे ने बड़े-बड़ों के लिए मिसाल कायम कर दी है।
Gujarati Boy Viaan Patel: गुजरात के वडोदरा में रहने वाले नौ साल के लड़के वियान पटेल ने भारत को गौरवान्वित किया है। इस 9 साल के बच्चे ने बड़े-बड़ों के लिए मिसाल कायम कर दी है। जीं हां वियान ने हिमालय के गडसर दर्रे पर 14000 फीट की चोटी को फतह किया है। जिसके बाद वियान जोकि गुजरात का रहना वाला है, उसने सबसे कम उम्र में बड़ी उपलब्धि मात्र सात दिन में हासिल की है।
अपने इस कारनामे को लेकर एक इंटरव्यू में वियान ने कहा, "यह मेरे अब तक के सबसे अच्छे अनुभवों में से एक था। मैं इतनी ऊंचाई तक कभी नहीं चढ़ा था, इसलिए इस दौरान कुछ नर्वस पल थे। लेकिन मुझे चोटी पर पहुंचने का भरोसा था और मैंने ऐसा किया।"
वियान ने भारत का नाम किया रोशन
बता दें, इससे कुछ दिन पहले, वियान ने अपने पिता मित्तल पटेल जोकि स्वयं एक पर्वतारोही (Mittal Patel Mountaineer) भी हैं, उनके साथ 7 से 14 अगस्त तक कश्मीर ग्रेट लेक्स ट्रेक में भाग लिया था।
अपने बेटे द्वारा नया रिकॉर्ड कायम करने को लेकर वियान के पिता मित्तल पटेल (Viaan Patel father Mittal Patel) कहते हैं कि ट्रेक काफी कठिन था लेकिन वह चाहते थे कि उनका बेटा वास्तविक चुनौती लेने से पहले पूरी तरह से तैयार हो जाए और वे पिछले चार महीनों से साहसिक कार्य की तैयारी कर रहे थे।
आगे उन्होंने कहा कि वे हर हफ्ते पावागढ़ पर्वत (गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित) पर चढ़ते हैं और पहाड़ की चोटी तक पहुंचने के लिए सबसे कठिन रास्तों का सहारा लेते हैं।
वियान के पिता एक पर्वतारोही है जिसकी वजह से वियान ने अपने पिता को कई बार पावागढ़ और माउंट आबू पर चढ़ते देखा था। दो साल की छोटी सी उम्र में ही वियान उनके साथ उनके कुछ कारनामों में लगा ही रहता था। बचपन से उसी माहौल में पले-बढ़े वियान को ट्रेकिंग से प्यार हो गया। जब उनके पिता ने उन्हें हिमालय पर चढ़ने की उनकी इच्छा के बारे में बताया, तो उनका बेटा मान गया।
ऐसे में बचपन से ही वियान के पिता ने वियान को कई कड़ी चुनौतियों का सामना करना सिखाया है। उन्होंने अपने बेटे को हर तरह के माहौल जैसे कम भोजन और पानी होने के बावजूद भी पहाड़ों पर जीवित रहने और अंधेरे जंगलों के बीच तंबू में रहने की चुनौतियों का अनुभव करना सिखाया है।
अपनी ट्रैकिंग के दौरान वे सात दिनों तक कठिन इलाकों में प्रतिदिन लगभग आठ घंटे लगातार चलते थे। ट्रेक लीडर, जोया नरूला ने कहा, "जब मैंने वियान को उबड़-खाबड़ इलाकों से निकलते हुए देखा और बिना किसी शिकायत के चोटियों पर चढ़ते हुए देखा तो मैं हैरान रह गया। इस उम्र के बच्चे कभी भी इस ट्रेक को नहीं लेते हैं क्योंकि वे जलवायु के साथ तालमेल बिठाने में सक्षम नहीं होते हैं। कभी-कभी बड़े भी ऑक्सीजन की कमी और कड़ाके की ठंड के कारण सांस फूलने की शिकायत करते हैं।"
लेकिन वियान को अपने दम पर ट्रेक पूरा करने के दृढ़ संकल्प को कोई नहीं रोक सका! और आज, वियान को वह सारी प्रसिद्धि मिल रही है जिसके वह असली हकदार हैं।