JNU से दिल्ली HC ने किया सवाल- कक्षाएं नहीं हुईं तो परीक्षा लेने का क्या उद्देश्य

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को फटकार लगाई है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय से पूछा कि ऑनलाइन ओपन बुक होने या घर से परीक्षा देने का उद्देश्य क्या है अगर कक्षाएं आयोजित नहीं की गई। 

Update: 2020-01-29 14:45 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को फटकार लगाई है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय से पूछा कि ऑनलाइन ओपन बुक होने या घर से परीक्षा देने का उद्देश्य क्या है अगर कक्षाएं आयोजित नहीं की गई। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि यदि कोई कक्षाएं नहीं हुईं तो उनका क्या मूल्यांकन किया जाएगा? क्या उनका मूल्यांकन इसके आधार पर होगा कि पुस्तकों में क्या लिखा है।

जस्टिस राजीव शकधर ने यूनिवर्सिटी से सवाल किया, 'कक्षाएं नहीं हुईं। तो परीक्षाएं लेने का क्या उद्देश्य है जब छात्रों को शिक्षित नहीं किया गया? परीक्षाओं का उद्देश्य इसका मूल्यांकन करना होता है कि छात्रों ने क्या सीखा है।'

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जेएनयू के मॉनसून सेमेस्टर के लिए ऑनलाइन ओपन बुक या होम एग्जाम लेने के निर्णय को छात्रों और जेएनयू के कई प्रोफेसर ने चुनौती दी है। अदालत ने जेएनयू के विभिन्न स्कूल और विशेष केंद्रों के बोर्ड ऑफ स्टडीज से इस बारे में सिफारिशें देने के लिए कहा है कि मॉनसून सेमेस्टर की बाकी कक्षाएं कैसे हो सकती हैं और परीक्षाएं कैसे ली जा सकती हैं? अदालत ने बोर्ड से कहा कि वह अपनी सिफारिशें जेएनयू के शैक्षणिक परिषद को भेजे और उसकी एक प्रति 4 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई से पहले अदालत में पेश करे।

 

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प्रफेसर और छात्रों ने 2019 मानसून सेमेस्टर के लिए अंतिम सेमेस्टर परीक्षाएं वैकल्पिक तरीके से कराने के जेएनयू के निर्णय को चुनौती दी है। जेएनयू ने फैसला किया है कि वह मॉनसून सेमेस्टर के लिए प्रश्नपत्र यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर अपलोड करके या उसे ईमेल से छात्रों को भेजकर और उत्तर पुस्तिकाएं ईमेल और वॉट्सऐप मेसेज के जरिये प्राप्त करके लेगा।

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