तीन तलाक: SC में सुनवाई शुरू, कहा- जरूरत पड़ी तो निकाह हलाला पर भी होगी सुनवाई
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक पर सुनवाई करते हुए उसकी समीक्षा के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट ने कहा, कि जरूरत पड़ी तो निकाह हलाला पर सुनवाई की जाएगी। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा, कि बहुविवाह पर समीक्षा नहीं की जाएगी।
वहीं कोर्ट ने कहा, 'हम ये समीक्षा करेंगे कि तीन तलाक धर्म का अभिन्न अंग है या नहीं।' इस मामले के लिए गठित संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा, 'हम तीन तलाक की वैधता पर फैसला करने जा रहे हैं।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या तीन तलाक मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, इस पर सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए मुख्यत: दो बिंदु निर्धारित किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्या तीन तलाक को पवित्र माना जा सकता है, इस पर सुनवाई की जाएगी।
...तो हम कोई दखल नहीं देंगे
अदालत में दाखिल विभिन्न याचिकाओं में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह को मूलभूत अधिकारों का हनन बताया गया है। कोर्ट ने कहा, 'अगर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि ट्रिपल तलाक धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े मौलिक अधिकार का हिस्सा है तो हम कोई दखल नहीं देंगे।'
ऐसे तलाक पर विचार नहीं
वहीं, मीडिया ख़बरों के मुताबिक, जस्टिस नरीमन ने कहा, कि 'एक बार में तीन तलाक देने के मुद्दे पर अदालत विचार करेगी। तीन महीने के अंतराल पर दिए जाने वाले तलाक पर विचार नहीं किया जाएगा।'
सुप्रीम कोर्ट ने रखे ये तीन सवाल:
-तलाक-ए बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक और निकाह हलाला धर्म का अभिन्न अंग है या नहीं?
-क्या इन दोनों मुद्दों को महिला के मौलिक अधिकारों से जोड़ा जा सकता है या नहीं?
-क्या कोर्ट इसे मौलिक अधिकार करार देकर कोई आदेश लागू करा सकता है या नहीं?
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सुनवाई के लिए 6 दिन तय
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 6 दिन तय किए हैं। तीन दिन उनके लिए जो तीन तलाक को चुनौती दे रहे हैं और तीन दिन उनके लिए जो इसका बचाव कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि मामले से जुड़े विभिन्न पक्षों को पीठ द्वारा तय किए गए दो सवालों पर जिरह करने के लिए दो-दो दिन दिए जाएंगे। इसके अलावा, एक दिन प्रतिवाद करने के लिए भी एक दिन मिलेगा। अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि दलीलों को दोहराए जाने पर वह वकीलों को रोक देगा। कोर्ट ने कहा, 'हर पक्ष जो भी दलील देना चाहे, दे सकता है लेकिन किसी तरह का दोहराव नहीं होना चाहिए। वकीलों को ट्रिपल तलाक की वैधता के विषय पर फोकस करना होगा।'
पीठ में पांच धर्मों के न्यायाधीश शामिल
वैसे तो न्यायिक पीठ का कोई धर्म नहीं होता। पीठ हमेशा जाति, धर्म, वर्ण और वर्ग से ऊपर होती है और वे सिर्फ न्यायाधीश ही होते हैं,उनकी कोई और पहचान नहीं हो सकती। लेकिन जो पीठ इस मामले की सुनवाई कर ही है वो भी काफी खास है। पीठ में पांच धर्मों के न्यायाधीश शामिल हैं।
पांच न्यायाधीशों में मुख्य न्यायाधीश सहित तीन न्यायाधीश हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट आए हैं, जबकि न्यायमूर्ति रोहिंग्टन फली नारिमन और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित सीधे वकील से सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश नियुक्त हुए हैं। जस्टिस रोहिंग्टन सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं, जबकि जस्टिस ललित देश के जाने-माने वरिष्ठ वकील थे।
ये न्यायाधीश कर रहे सुनवाई
- मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर
- जस्टिस कुरियन जोसेफ
- जस्टिस रोहिंग्टन फली नारिमन
- जस्टिस उदय उमेश ललित
- जस्टिस एस. अब्दुल नजीर