गहरे आर्थिक संकट में फंसा हिमाचल प्रदेश, सीएम और मंत्री नहीं लेंगे वेतन, चुनावी रेवड़ियों पर भारी खर्च से बढ़ा संकट

Himachal Pradesh: चुनावी रेवड़ियों पर हिमाचल सरकार की भारी रकम खर्च हो रही है जिससे राज्य में बड़ा आर्थिक संकट पैदा हो गया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-08-30 09:11 IST

CM Sukhwinder Singh Sukhu   (PHOTO: social media )

Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश सरकार गहरे आर्थिक संकट में फंसी हुई दिख रही है। राज्य की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐलान किया है कि वे खुद और राज्य के मंत्री व मुख्य संसदीय सचिव प्रदेश की गंभीर आर्थिक स्थिति को देखते हुए दो महीने तक वेतन नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि कैबिनेट दर्जा प्राप्त आठ सलाहकार व सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी वेतन और भत्ते नहीं लेंगे।

उन्होंने राज्य के सभी विधायकों से भी वेतन और भत्ता न लेने की अपील की है। उन्होंने कहा विधायकों को भी इस संबंध में बड़ा दिल दिखाना चाहिए और दो महीने बाद आगे की स्थिति के हिसाब से देखा जाएगा। जानकारों का कहना है कि चुनावी रेवड़ियों पर हिमाचल सरकार की भारी रकम खर्च हो रही है जिससे राज्य में बड़ा आर्थिक संकट पैदा हो गया है।

गहरे आर्थिक संकट में फंसा हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश को हाल के दिनों में प्राकृतिक आपदा के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा है। राज्य के कई इलाकों में भारी बारिश के कारण पहाड़ों के टूटने और सड़कों के क्षतिग्रस्त होने की घटनाएं हुई हैं। अब आर्थिक संकट का पहाड़ भी राज्य के लिए बड़ी मुसीबत पैदा करता दिख रहा है। आर्थिक संकट बढ़ने के साथ मुख्यमंत्री सुक्खू कहा कि मंत्रियों और सरकारी कर्मचारियों को राज्य की वित्तीय स्थिति को समझना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की गंभीर आर्थिक स्थिति को देखते हुए सांकेतिक कदम उठाया गया है।

राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से गुरुवार को देर शाम इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी गई।

हिमाचल प्रदेश में ऐसा कदम पहली बार उठाया गया है। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने वेतन-भत्ते छोड़े नहीं हैं। इन्हें दो माह के विलंब के बाद लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों के वित्तीय लाभ रोक कर उन्हें नोटिस दे रही है।

मुख्यमंत्री ने पूर्व सरकार को जिम्मेदार बताया

मुख्यमंत्री सुक्खू का कहना है कि हमने सरकार की आय बढ़ाने और गैर उत्पादक खर्चों को कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। इसका परिणाम आने में अभी समय लगेगा। मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश पर 87,589 करोड़ रुपए का कर्ज है। अगले साल मार्च तक यह कर्ज बढ़कर 95 हजार करोड़ पर पहुंचने की संभावना है। सुक्खू सरकार ने अपने पौने दो साल के कार्यकाल के दौरान 19,000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। पेंशन, वेतन व विकास के कामों के लिए सरकार को ऋण लेना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश की गंभीर आर्थिक स्थिति के लिए पूर्व सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने खजाने को जमकर लुटाया जिससे राज्य के लिए आर्थिक संकट बढ़ गया है। उन्होंने दावा किया कि आर्थिक प्रबंधन से स्थिति में सुधार आ रहा है। सरकार डीए व एरियर का शीघ्र भुगतान करेगी।

चुनावी रेवड़ियों पर भारी खर्च ने बढ़ाया संकट

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने 10 चुनावी रेवड़ियां बांटने की घोषणा की थी। जानकारों का मानना है कि चुनावी रेवड़ियों पर भारी खर्च ने हिमाचल प्रदेश को गहरे आर्थिक संकट में फंसा दिया है। राज्य की महिलाओं को 15,000 रुपए महीना देने में राज्य सरकार को सालाना 800 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने से 1000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च है।

कांग्रेस की ओर से 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया गया था, लेकिन 125 यूनिट मुफ्त बिजली ही मिल रही है। इस पर करीब 18,000 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है। आयकरदाताओं को फ्री बिजली देने पर रोक लगा दी गई है। यह स्थिति तब है जब कांग्रेस की ओर से किए गए कई वादे अभी तक धरातल पर नहीं उतर सके हैं। कांग्रेस की ओर से दी गई गारंटियों को धरातल पर उतारने के लिए सालाना साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है।

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