गुवाहाटी : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को यहां कहा कि देश में काफी विविधता व मतभेद के बावजूद हिंदुत्व भारत के लोगों को एकता के सूत्र में जोड़ता है।
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व की यही महानता है कि यह सभी विविधताओं को स्वीकार करता है और उनका आदर करता है। भागवत यहां आरएसएस के महासम्मेलन 'लूइट पोरिया हिंदू समावेश' को संबोधित कर रहे थे। यह पूवरेत्तर के प्रांतों में आयोजित आरएसएस का अबतक का सबसे बड़ा सम्मेलन है। सम्मेलन में 50,000 से ज्यादा लोग पहुंचे थे, जिनमें 35,000 स्वयंसेवक थे।
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आरएसएस प्रमुख ने कहा, "हिंदुत्व सभी दर्शनों को स्वीकार करता है और जो कोई इसमें शामिल होता है सबको अपनाता है।"
भागवत ने कहा, "लोगों को जगाने के जरूरत है और यह सिर्फ एक व्यक्ति के अकेले की जिम्मेदारी नहीं है। इस देश में निवास करने वाले हर व्यक्ति को बेहतर भारत के लिए अपने साथी देशवासी को जगाने की जिम्मेदारी अवश्य लेनी चाहिए।"
उन्होंने कहा, "अगर कोई हिंदुत्व से अपना नाता तोड़ता है तो भारत से उसका नाता टूट जाता है।"
पाकिस्तान का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि विभाजन के बाद 'भारत पाकिस्तान के साथ अपनी दुश्मनी 15 अगस्त, 1947 को ही भूल गया, लेकिन पाकिस्तान अभी तब भारत से अपनी दुश्मनी नहीं भूल पाया' है।
भागवत ने कहा, "आरएसएस की ताकत किसी को अपनी ताकत दिखाने के लिए या धमकाने के लिए नहीं है, बल्कि यह हर किसी की बेहतरी के लिए समाज को मजबूत करने के लिए है। महज तमाशबीन और हमदर्द बने मत रहिए, फैसला लेने के लिए सीखिए और संघ की संस्कृति जानिए। माताओं और बहनों को अपने बेटों को आरएसएस की शाखाओं में भेजना चाहिए और उनको हमारे दर्शन से परिचित करवाना चाहिए।"