एनआरसी पर बुरा फंसा आईएएस... ये लिखना पड़ गया भारी
मामला है हितेश देव शर्मा का ।फेसबुक पर अपनी पोस्ट में अवैध घुसपैठियों के बारे में आपत्तिजनक व सांप्रदायिक पोस्ट करने का। बात बढ़ी तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से हितेश देव शर्मा से उनकी पोस्ट पर सफाई मांगने के निर्देश दे दिये।
असम सरकार से नवनियुक्त एनआरसी समन्वयक हितेश देव शर्मा बुरी तरह फंस गए हैं और यह मामला है हितेश देव शर्मा का ।फेसबुक पर अपनी पोस्ट में अवैध घुसपैठियों के बारे में आपत्तिजनक व सांप्रदायिक पोस्ट करने का।
बात बढ़ी तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से हितेश देव शर्मा से उनकी पोस्ट पर सफाई मांगने के निर्देश दे दिये।
1986 बैच के असम सिविल सेवा के अधिकारी हितेश देव शर्मा को प्रतीक हजेला की जगह एनआरसी समन्वयक नियुक्त किया गया था। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवाही और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने हितेश देव शर्मा को समन्वयक पद से हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए।
इस संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि शर्मा ने अपनी पोस्ट में पूर्वी पाकिस्तानी मुस्लिम और अल्पसंख्यक तुष्टीकरण जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है। इससे उनका झुकाव दिखता है ।
हालांकि पीठ ने शुरुआत में कहा कि शर्मा की ईमानदारी पर संदेह नहीं किया जा सकता है। संभव है पोस्ट बनने से पहले की हो लेकिन बाद में अदालत ने अधिकारी से सफाई मांगने का निर्देश दिया। कोर्ट ने केंद्र व असम सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। आप सफाई मांग कर कोर्ट में पेश करें।
बच्चों के मामले में भी जवाब तलब
इसी तरह के एक अन्य मामले में केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि एनआरसी में छूटे हुए 60 बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा इन बच्चों के माता-पिता का नाम अंतिम सूची में शामिल है लेकिन बच्चों का नाम नहीं है अटार्नी जनरल ने कहा कि इन बच्चों को इनके माता-पिता से अलग नहीं किया जाएगा पहले ऐसा अंदेशा जताया जा रहा था कि क्या इन बच्चों को डिटेंशन सेंटर भेजा जा सकता है सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा