ICMR Diabetes Report: दुनिया में डायबिटीज का कैपिटल बना भारत, रोकथाम के लिए तत्काल इंतजाम की जरूरत
ICMR Diabetes Report: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10.1 करोड़ डायबिटीज के मामले हैं। इसके साथ ही 13.6 करोड़ लोगों को इस बीमारी के किनारे यानि हाई रिस्क पर है। ऐसे में इस महामारी पर काबू पाने के लिए तत्काल इंतजाम करने की जरूरत है।
ICMR report on Diabetes: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इसके अनुसार भारत दुनिया में डायबिटीज का कैपिटल बन गया है। भारत 10.1 करोड़ डायबिटीज के मामलों की एक आश्चर्यजनक संख्या से जूझ रहा है। इसके साथ ही 13.6 करोड़ लोगों में ये बीमारी होने का हाई रिस्क है। ऐसे में सरकार को इस महामारी पर काबू पाने के लिए तत्काल इंतजाम करने की जरूरत है।
किस राज्य में कितने मरीज
द लांसेट जर्नल में छपी ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक चार साल में डायबिटीज के मामलों की संख्या 44 फीसदी बढ़ी है। यह संख्या 2019 में 7 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 10.1 करोड़ हो गई है। वहीं, देशभर बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो डायबिटीज के बॉर्डर पर खड़े हैं। देश में ऐसे मरीजों की 13.6 करोड़ संख्या है।
यूपी में 4.8 फीसदी लोगों को डायबिटीज
गोवा में सबसे ज्यादा 26.4 फीसदी मामले सामने आए हैं। इसी के साथ गोवा देश में सबसे अधिक डायबिटीज वाला राज्य बन गया है। इसके बाद पुडुचेरी में 26.3 फीसदी, केरल में 25.5 और चंडीगढ़ में 20.4 फीसदी लोग डायबिटीज से जूझ रहे है। वहीं, यूपी में सिर्फ 4.8 फीसदी लोगों को डायबिटीज है। हालांकि यहां प्री-डायबिटीज के मामले 18 फीसदी है। इसके अलावा एमपी, बिहार, अरुणाचल प्रदेश में डायबिटीज के रोगी कम है, लेकिन भविष्य में बढ़ने का खतरा है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 35 प्रतिशत से अधिक आबादी हाइपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकार है। वहीं, देश की 28.6 फीसदी आबादी मोटापे यानी ओबिसिटी से ग्रस्त है। बता दें मोटापा, हाइपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रॉल अपने आप में भयंकर कॉम्बिनेशन है, जो डायबिटीज को न्योता देता है।
रोकथाम के लिए इंतजाम करने की जरूरत
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी की रोकथाम के लिए जल्द ही कोई कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. रंजीत मोहन अंजना के अनुसार डायबिटीज और इसकी जटिलताओं को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को सबसे पहले निजी एजेंसियों के साथ मिलकर योजनाएं तय करना चाहिए।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि ग्रामीण और सेमी-रूरल इलाकों में डायबिटीज सेवा केंद्रों का विस्तार किया जाए। तहसील, जिला और राज्य डायबिटीज स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना के साथ स्वास्थ्य पेशेवरों को शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाए। इसके अलावा संस्थागत कार्यक्रम किए जाए। जिसमें अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण और विशेषज्ञता वाले डॉक्टरों को शामिल किया जाए।
जीवन शैली में बदलाव की जरूरत
डायटीशियन डॉ मीनाक्षी अनुराग का कहना है कि टाइप-2 डायबिटीज और अन्य NCD की रोकथाम के लिए लोगों को सक्रिय जीवन शैली अपनाने की जरूरत है। बागवानी, डांस करने और साइकिल चलाने की आदत को अपनाना चाहिए। इसके अलावा संतुलित भोजन लेना चाहिए। इसमें बीन्स, हरे पत्तेदार सब्जियां, खट्टे फल, जामुन, मछली, सूखा मेवा, साबुत अनाज, शामिल हो। इसके साथ ही शुगरी ड्रिंक्स, प्रॉसेस्ड फूड. ज्यादा चीनी-नमक और अनहेल्दी खाने से बचना चाहिए।
दो प्रकार की होती डायबिटीज
डायबिटीज दो प्रकार की होती हैं, टाइप-1 और टाइप-2। टाइप-1 आनुवांशिक होता है। यह आमतौर पर बच्चों और युवाओं में देखने को मिलता है, लेकिन इसके मामले बहुत ही कम होते हैं। दूसरी तरफ, टाइप-2 डायबिटीज ज्यादातर लाइफ स्टाइल से जुड़ा है और दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है। लेकिन अगर प्री-डायबिटिक की बात की जाए, तो वह एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है। इसमें शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि उसे टाइप-2 डायबिटीज की श्रेणी में रखा जा सके।