थर-थर कांपने लगे चीन के 60 हजार सैनिक, भारत के दो जंगी जहाजों ने दिखाई ताकत
चिनूक हेलीकॉप्टर भारी मशीनों और तोपों को भी एक जगह से दूसरी जगह उठाकर ले जा सकता है। ये हेलीकॉप्टर 280 किमी प्रति घंटे की स्पीड से हवा में उड़ता है और इसकी ऊंचाई 18 फीट और चौड़ाई 16 फीट है। चिनूक हेलीकॉप्टर को दो पायलट उड़ा सकते हैं।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मसला गरमाया हुआ है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल(एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने खड़ी होकर एक दूसरे की हरकतों पर नजर बनाये हुए हुए हैं।
बॉर्डर पर दोनों में से कोई भी देश अपनी सेना को पीछे हटाने के लिए राजी नहीं है। युद्ध की संभावना लगातार बढ़ती ही जा रही है।इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भारत को एक बड़े खतरे से आगाह किया है।
उन्होंने चीन की एक बड़ी साजिश की तरफ इशारा करते हुए कहा है कि उसने भारत की उत्तरी सीमा पर 60,000 सैनिक तैनात किए हैं।
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भारत ने अमेरिकी विदेश मंत्री की बातों को गंभीरता से लिया
अमेरिकी विदेश मंत्री की बात को भारत ने बेहद गम्भीरता से लिया है और एलएसी पर सुरक्षा व्यवस्था को भी कड़ा कर दिया है। भारतीय वायुसेना का बोइंग C-17 ग्लोबमास्टर भी लद्दाख में तैनात है। यहां पर इस विमान से रसद खाद्य सामग्री की आपूर्ति की जा रही है।
शनिवार को ग्लोबमास्टर को लेह एयरबेस पर उतारा गया गया था। जिसे विश्व के बड़े मालवाहक जहाजों में से एक माना जाता है।
इस जहाज को अपनी आवश्यकतानुसार कभी भी कारगिल, लद्दाख और अन्य उत्तरी और उत्तर पूर्वी सीमाओं जैसे कठिन जगहों पर पर आसानी से लैंड कराया जा सकता है।
खास बात ये है कि अगर लैंडिंग के वक्त कोई परेशानी होती है तो ऐसी स्थिति में इसमें रिवर्स गियर भी लगा हुआ है। इस विमान के अंदर चार इंजन दिए हुए है। 81वीं स्क्वार्डन के ग्रुप कैप्टन को ‘गोल्डन की’ देकर विमान को भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनाया गया था।
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चिनूक हेलीकॉप्टर की खासियत
भारत ने चीन की तरफ से बढ़ते खतरे को देखते हुए चिनूक हेलीकॉप्टर को भी लद्दाख में तैनात किया है। इस हेलीकॉप्टर को रडार से ट्रैस नहीं किया जा सकता है। चिनूक हेलीकॉप्टर भारी मशीनों और तोपों को भी एक जगह से दूसरी जगह उठाकर ले जा सकता है।
ये हेलीकॉप्टर 280 किमी प्रति घंटे की स्पीड से हवा में उड़ता है और इसकी ऊंचाई 18 फीट और चौड़ाई 16 फीट है। चिनूक हेलीकॉप्टर को दो पायलट उड़ा सकते हैं।
दुनिया भर के 26 देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है। 20 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ने वाला चिनूक हेलीकॉप्टर 10 टन तक के वजन को उठाकर कहीं भी ले जा सकता है।
आज लद्दाख इलाके में चिनूक हेलीकाप्टर भी सैन्य तैयारियां में जुटा रहा। खास बात ये है कि इस हेलीकाप्टर को आपूर्ति के लिए तैयार किया जा रहा है।
यदि चीन से किसी भी वक्त युद्ध जैसी स्थिति बनती है तो जरुरी सामानों की आपूर्ति के लिए ये हमेशा तैनात रहेंगे। इस हेलिकॉप्टर में एक बार में गोला बारूद, हथियार के अलावा सैनिक भी एक जगह से दूसरे जगह तक लाये और ले जाये जा सकते हैं।
रुस्तम-2 सफल फ्लाइट टेस्ट
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने ड्रोन के डेवलपमेंट का काम तेज कर दिया है। बता दें कि रुस्तम-2 ड्रोन का शुक्रवार को सफल फ्लाइट टेस्ट हुआ।
इजरायल से मिले हेरान ड्रोन को भी मिसाइलों और लेजर गाइडेड बमों से लैस करने की तैयारी है। भारत ने अपने पास मौजूद सभी विकल्प बॉर्डर के पास मौजूद रखे हैं। सर्विलांस के लिए ड्रोन्सं का सहारा तो लिया ही जा रहा है, उन्हें और बेहतर बनाने की तैयारी है।
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