...तो भारत में भी आ सकता है तुर्किये जैसा विनाशकारी भूकंप? NGRI के वैज्ञानिक ने क्या दी चेतावनी

Earthquake warning in India : तुर्किये में विनाशकारी भूकंप के बाद भारत में भी सतर्कता बढ़ी है। हैदराबाद स्थित NGRI के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है। जानें क्या कहा...

Written By :  aman
Update:2023-02-23 21:07 IST

प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Earthquake warning in India : तुर्किये और सीरिया में हाल में आई विनाशकारी भूकंप के बाद भारत में भी ये सवाल उठने लगा है कि क्या यहां भी ऐसी आपदा आ सकती है? सवाल ये भी है कि देश का वो कौन सा हिस्सा है, जहां तुर्किये से भी ज्यादा तबाही देखने को मिल सकती है। इसका जवाब दिया है, हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) ने। एनजीआरआई के सीस्मोलॉजी विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एन पूर्ण चंद्र राव (Dr. N Purna Chandra Rao) ने चेतावनी दी है कि भारत में उत्तराखंड और पश्चिमी नेपाल से सटा हुआ हिस्सा जिस स्थिति में है, वहां कभी भी तुर्किये जैसी तबाही देखने को मिल सकती है।

NGRI ने ये भी बताया कि, भारतीय टेक्टॉनिक प्लेट हर साल 5 सेंटीमीटर आगे बढ़ रहा है। इस कारण हिमालय पर तनाव पैसा हो रहा है। यही आने वाले दिनों में विनाशकारी भूकंप की वजह बन सकता है। संस्थान का कहना है कि, इस भूकंप की जद में उत्तराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी नेपाल का क्षेत्र आ सकता है। 

भारत में भी आ चुका है 8 की तीव्रता वाला भूकंप

नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का कहना है, पूरा हिमालय क्षेत्र यानी जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से लेकर के अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) तक 4 और 5 की कैटेगरी में आता है। बता दें, इस कैटेगरी वाले क्षेत्र को भूकंप प्रभावी माना जाता है। आपको पता है भारत में रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाला भूकंप आ चुका है। देश में आखिरी बार हिमाचल के कांगड़ा में 50 के दशक (Earthquake in Kangra 1950s) में देखा गया था। उसके बाद 90 के दशक में बिहार-नेपाल बॉर्डर (Bihar- Nepal Border) पर इसी प्रकार का विनाशकारी भूकंप आया था। हाल के वर्षों में इस पूरे हिमालयन क्षेत्र में 8 की तीव्रता वाला भूकंप नहीं आया है।

उत्तराखंड में 18 सिस्मोग्राफ स्टेशनों से नजर 

डॉ. एन पूर्ण चंद्र राव बताते हैं, हमारी धरती कई टेक्टॉनिक प्लेट्स से बनी है। ये प्लेट्स लगातार गतिशील रहती है। इन्हीं में से एक भारतीय प्लेट्स भी है। जिस पर नजर रखने के लिए सिर्फ एक राज्य उत्तराखंड में 18 सिस्मोग्राफ स्टेशनों का नेटवर्क बनाया गया है। बताया जाता है ये प्लेट्स हर वर्ष 5 सेंटीमीटर खिसक रही है। 

कई वजहों से मन में उठ रहे सवाल

NGRI के साइंटिस्ट के अनुसार, उत्तराखंड (Uttarakhand) और पश्चिमी नेपाल (Western Nepal Earthquake Zone) का वह इलाका जहां चट्टानों में आए बदलाव के कारण काफी तनाव है, ये कभी भी रिलीज हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो बड़ा भूकंप पैदा होगा। दरअसल, भारत में इस वक्त भूकंप को लेकर ये सवाल जोशीमठ (Joshimath Sinking) में आई आपदा के मद्देनजर उठने लगे हैं। जोशीमठ के कई इलाकों में दरारें चौड़ी होती जा रही हैं। अप्रैल महीने में ही चार धाम यात्रा भी शुरू होगी, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि, इन दरारों के चलते चार धाम यात्रा पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस पर डॉ. राव का कहना है कि दरारों का आना या जमीन का खिसकना कोई नई घटना नहीं है। ऐसा पहले भी होता रहा है। ये चिंता का विषय जरूर है।

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