2022 में भारत के ठगों ने अमेरिकी नागरिकों से लूट लिए 10 अरब डॉलर

2022 में भारत के गिरोहों और धोखेबाजों के कारण अमेरिकी नागरिकों को 10 अरब डॉलर या 800 अरब रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2022-12-27 13:14 GMT

ऑनलाइन ठगी (photo: social media ) 

Indian Thugs Loot American Citizens: 2022 का एक बेहद शर्मनाक आंकड़ा सामने है - भारत से संचालित फ़िशिंग गिरोहों और धोखेबाज़ों के कारण साल भर में अमेरिकी नागरिकों को 10 अरब डॉलर या 800 अरब रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।

ठगी के शिकार लोगों में से अधिकांश बुजुर्ग

फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि इन पीड़ितों में से अधिकांश बुजुर्ग थे, जिनसे पिछले दो वर्षों में 3 अरब डॉलर से अधिक की ठगी की गई थी।भारत में अवैध कॉल सेंटर चलाने वाले धोखेबाज तकनीकी सहायता या अन्य सहायता प्रदान करने के बहाने अमेरिका में रहने वाले लोगों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाते रहे हैं। पिछले 11 महीनों में अमेरिकियों ने इंटरनेट या कॉल सेंटर से संबंधित धोखाधड़ी के माध्यम से 10.2 अरब डॉलर खो दिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पिछले वर्ष की तुलना में 47 प्रतिशत की छलांग दर्शाता है। साल भर पहले ये आंकड़ा 6.9 अरब डॉलर का था। ठगी के इस धंधे ने बहुत बदनामी की हुई है, जैसा कि नाइजीरिया के साथ बदनुमा दाग लगा हुआ है। इस महीने की शुरुआत में, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने सूचित किया कि उन्होंने राजधानी में अवैध कॉल सेंटर चलाने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया है जो अमेरिकी वरिष्ठ नागरिकों को उनके सिस्टम की "खराबी" के लिए तकनीकी सहायता का वादा करके धोखा दे रहे हैं। उनके एक साथी को कनाडाई कानून प्रवर्तन एजेंसी ने टोरंटो में और दूसरे को न्यू जर्सी में एफबीआई द्वारा पकड़ा गया था।

2012 और 2020 के बीच अमेरिका को 10 मिलियन डॉलर राजस्व नुकसान

पुलिस ने बताया कि अमेरिका द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, 20,000 से अधिक पीड़ित ऐसे घोटालों का शिकार हुए, जिससे 2012 और 2020 के बीच अमेरिका को 10 मिलियन डॉलर का राजस्व नुकसान हुआ।

फ्रॉड के कारण 2021 में लगभग 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान

भारत से होने वाली धोखाधड़ी में इस वृद्धि को देखते हुए, एफबीआई ने नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में एक स्थायी प्रतिनिधि की प्रतिनियुक्ति की है। इसके साथ, एफबीआई का उद्देश्य सीबीआई, इंटरपोल और दिल्ली पुलिस के साथ काम करके ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाना है। दिल्ली में अमेरिकी दूतावास से जुड़े अधिकारी सुहेल दाउद के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि रोमांस से जुड़े फ्रॉड के कारण पीड़ितों को 2021 में लगभग 8,000 करोड़ रुपये और इस साल के आखिरी 11 महीनों में 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

अमेरिकी न्याय विभाग की ओर से जारी बयान

अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार, भारत स्थित कॉलर्स अमेरिकी उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाने के लिए भ्रमित करते हैं कि कॉल करने वाले उधार देने वाले संस्थानों के लिए काम करते हैं और पीड़ित ऋण के पात्र हैं। भारत बेस्ड कॉलर्स पीड़ितों को ऋण चुकाने की अपनी क्षमता प्रदर्शित करने के लिए अग्रिम शुल्क का भुगतान करने का निर्देश देते हैं। कभी-कभी, कॉल करने वाले पीड़ितों को अपने बैंक खाते की जानकारी प्रदान करने के लिए निर्देशित करते हैं। इसके बाद कॉल करने वाले ठग पीड़ितों को पैसे निकालने और वायर ट्रांसफर और गिफ्ट कार्ड के जरिए ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं।

सामाजिक सुरक्षा घोटाले के हिस्से के रूप में, भारत-आधारित कॉलर्स अपने आप को फेडरल एजेंट बताते हैं और पीड़ितों को यह कह कर गुमराह करते हैं कि उनके सामाजिक सुरक्षा नंबर अपराधों में शामिल थे। इसके अलावा, कॉल करने वाले खुद को आईआरएस कर्मचारी बताते हैं और पीड़ितों को बताते हैं कि उन्हें टैक्स चुकाना है। दोनों ही स्थितियों में, कॉल सेंटर पीड़ित को पैसे नहीं भेजने पर पीड़ित को गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं।

इस साल फरवरी में, अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने घोटाले में शामिल भारतीय कॉल सेंटरों और उनके निदेशकों की एक सूची भी जारी की थी।

  • मनु चावला और अचीवर्स ए स्पिरिट ऑफ बीपीओ सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड
  • सुशील सचदेवा, नितिन कुमार वाडवानी, स्वर्णदीप सिंह, सवारन दीप कोहली, और फिनटॉक ग्लोबल
  • दिनेश मनोहर सचदेव और ग्लोबल एंटरप्राइजेज।
  • गजे सिंह राठौर और शिवाय कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड
  • संकेत मोदी और एसएम टेक्नोमाइन प्राइवेट लिमिटेड
  • राजीव सोलंकी और टेक्नोमाइंड इंफो सॉल्यूशंस।

भारत शीर्ष देशों में क्यों है?

गौरतलब है कि भारत कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कॉल सेंटर का केंद्र है। ये कंपनियाँ आम तौर पर अमेरिका या अन्य यूरोपीय देशों में स्थित हैं, लेकिन सस्ते श्रम के कारण भारत में कॉल सेंटर या सर्विस सेंटर चला रही हैं। कई जांचों में यह पाया गया कि ये कॉल सेंटर भारत में स्कैमर्स को संपर्क विवरण सहित डेटा की नीलामी करते हैं। वे विदेशों में कनेक्ट करने के लिए समान विवरण का उपयोग करते हैं और विशेष रूप से अमेरिका में वरिष्ठ नागरिकों को टारगेट करते हैं जिन्हें आम तौर पर "सॉफ्ट टारगेट" कहा जाता है। 

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