अलर्ट पर भारतीय नौसेना: द्वीप समूह पर लगी कड़ी फोर्स, चीन हमले की फिराक में
इन दिनों चीन से लगातार तनाव बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में सीनियर रक्षा विशेषज्ञों और भारतीय रक्षा एजेंसियों के सीनियर अधिकारी अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की सुरक्षा के लिए परेशान नजर आ रहे हैं।
कोलकाता: इन दिनों चीन से लगातार तनाव बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में सीनियर रक्षा विशेषज्ञों और भारतीय रक्षा एजेंसियों के सीनियर अधिकारी अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की सुरक्षा के लिए परेशान नजर आ रहे हैं। एलएसी (लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल) पर चल रहे तनाव को लेकर विशेषज्ञ अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर अधिक दबाब दे रहे हैं।
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बड़े स्तर पर विवाद
इन हालातों में इस बात को कहने वाले इंडियन नेवी के कई सीनियर अधिकारी भी हैं, जिनका ये मानना हैं पीएलए के नेवी फ्रंट खोलने पर अंडमान को खतरा हो सकता है। ऐसी स्थितियों में अंडमान निकोबार द्वीप समूह के आसपास के समुद्री इलाकों में नेवी पूरी सावधानी बरत रही है।
भारतीय नौसेना के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि गलवान घाटी में हुई घटना और पीएलए का रवैया देखकर ये पता चल चुका है कि चीन भारत से बड़े स्तर पर विवाद करने के मूड में नहीं है।
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कोई गलत हरकत
क्योंकि गलवान घाटी में भारतीय सुरक्षाबलों ने चीन को जिस अंदाज में जवाब दिया है, उससे वह उस इलाके में तो कोई गलत हरकत करने से एक बार सोचेंगे।
इसके साथ ही सीनियर अधिकारियों का मानना है कि एलएसी पर मात खा चुका चीन किसी और रास्ते से भारत को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करे इसकी आशंका बनी हुई है।
वहीं चीन ने बीते दिनों कई द्वीपों पर अपने मिलिट्री बेस बनाने की शुरुआत की है और अब वह ऐसे और इलाकों की तलाश कर रहा है, जहां के द्वीप समूह का वह सामरिक स्थितियों में उपयोग कर सके। ऐसा हम भी कर सकते हैं और हमारे पास अंडमान में ऐसे द्वीप समूह मौजूद हैं, लेकिन हमने अब तक उनके महत्व को नहीं समझा है।
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700 नॉटिकल माइल्स दूर
सीनियर अधिकारियों का कहना है कि इंडियन मेनलैंड से करीब 700 नॉटिकल माइल्स दूर अंडमान निकोबार पर और ध्यान देने की जरूरत है। इस इलाके में चीनी पीएलए नेवी की सक्रियता पर नजर रखने के लिए तमाम संसाधनों को यहां भेजा जाना जरूरी है।
इसका मुख्य कारण ये भी है कि अगर कोई इमरजेंसी की स्थिति होती है तो किसी भी असेट को यहां भेजने के लिए मौसम और समय की दुश्वारियों का ध्यान रखना होगा।
तो इन स्थितियों में अंडमान में जल्द से जल्द ऐसे संसाधनों का इंतजाम करना जरूरी है, जिससे इस इलाके और समुद्री क्षेत्र की हाई लेवल सर्विलांसिंग सहित कई अन्य कामों को पूरा किया जा सके।
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