रेल मंत्रालय: अब प्राइवेट पटरियों पर दौड़ेगी भारतीय रेल, होंगे ये बड़े बदलाव

जोनल रेलवे यह भी तय करेंगे कि उनके रूट में अतिरिक्त और नई ट्रेनें चलाने की कितनी गुंजाइश है। निजी हाथों में सौंपने के लिए जिन ट्रेनों को चुना जाएगा उनके लिए कोचिंग टर्मिनल और वाशिंग लाइन आदि ज़रूरी क्षमता वर्धन सम्बंधी कार्य अलग से कराए जाएँगे।

Update: 2023-06-16 12:29 GMT

नई दिल्ली: काफी सालों से भारतीय रेल को प्राइवेट हांथों में सौंपने को लेकर शुक्रवार को रेल मंत्रालय में एक अहम बैठक हुई। यह बैठक मेंबर ट्रैफिक के नेतृत्व में हुई । इस मीटिंग में देश के बड़े महानगरों को जोड़ने वाली रेलवे जोन के छह ज़ोनल प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशन मैनेजरों ने भाग लिया। इन 6 रेलवे जोनों में राजधानी दिल्ली मुख्यालय वाले नॉर्दर्न रेलवे, मुम्बई स्थित सेंट्रल रेलवे, कोलकाता स्थित साउथ ईस्टर्न रेलवे, प्रयागराज स्थित नॉर्थ सेंट्रल रेलवे, हैदराबाद स्थित साउथ सेंट्रल रेलवे और चेन्नई स्थित साउदर्न रेलवे के अधिकारी शामिल हुए।

प्राइवेट ऑपरेटर्स अत्याधुनिक पैसेंजर ट्रेन चलाएंगे

हम आपको बता दें इस बैठक का सबसे प्रमुख एजेंडा यात्री ट्रेनों के संचालन का काम प्राइवेट ऑपरेटर्स के हाथों में देने के मुद्दे पर चर्चा करना था। इस बैठक में यह तय किया गया कि प्राइवेट ऑपरेटर्स अत्याधुनिक पैसेंजर ट्रेन चलाएंगे। ट्रेनों को चलाने के लिए आरएफक्यू और आरएफपी के तहत प्रपोज़ल और बिडिंग की व्यवस्था की जाएगी। यानी रेल चलाने वाली कंपनियों का क्वालिफिकेशन देखा जाएगा इसके बाद उनको फाइनेंसियल बिड में भाग लेने का मौका मिलेगा।

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इसके लिए एक पारदर्शी व्यवस्था के तहत निजी कंपनियों से पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए प्रस्ताव मांगा जाएगा। इन प्रस्तावों के आधार पर रेलवे यात्री ट्रेनों को चलाने के लिए ट्रेन रूट रेट तय करेगी। यह बेस प्राइस होंगे इन बेस प्राइस के आधार पर रेलवे टेंडर आमंत्रित करेगी।

जोनल रेलवे यह भी तय करेंगे कि उनके रूट में अतिरिक्त और नई ट्रेनें चलाने की कितनी गुंजाइश है। निजी हाथों में सौंपने के लिए जिन ट्रेनों को चुना जाएगा उनके लिए कोचिंग टर्मिनल और वाशिंग लाइन आदि ज़रूरी क्षमता वर्धन सम्बंधी कार्य अलग से कराए जाएँगे।

अपने रेल रूटों पर प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए प्रक्रिया का निर्धारण

यात्री ट्रेनों को निजी हाथों में देने के लिए बुलाई गई इस मीटिंग में रेलवे ने फ़िलहाल अपने 50 ट्रेन रूटों के बारे में चर्चा की। अब सभी 6 जोनल रेलवे अपने अपने रेल रूटों पर प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए प्रक्रिया का निर्धारण करेंगे। इसके लिए फीजिबिलिटी और कमर्शियल वायबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी।

रेलवे में ट्रेन रूटों के निजीकरण को लेकर हुई इस बैठक के पहले दौर में 14 इंटर्सिटी ट्रेन रूटों के निजीकरण पर विस्तृत चर्चा हुई। इसके बाद 10 लम्बी दूरी और ओवर नाइट जर्नी वाले ट्रेन रूटों को प्राईवेट हाथों में देने में आने वाली व्यवस्था और रुकावटों पर चर्चा की गई।

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टिकटिंग की व्यवस्था और उसका चालक दल भी रेलवे का ही होगा

जिसका किराया और हॉलेज चार्ज (रेल लाईन, सिग्नलिंग आदि इस्तेमाल करने का ख़र्च ) प्राईवेट आपरेटर को देना होगा। सिर्फ़ ट्रेनों का मैनेजमेंट, रखरखाव, प्रमोशन और बिज़नेस सम्बंधी अधिकार निजी आपरेटर्स को सौंपें जाएंगे। इसलिए पहले दौर के इस ट्रेन निजीकरण को पोलिटिकली करेक्ट होने के लिए आप सेमी निजीकरण भी कह सकते हैं।हालांकि, रेलवे की मंशा आगे चलकर पूरी तरह प्राईवेट ट्रेनों को अपनी रेल पटरी पर दौड़ाने की है लेकिन फ़िलहाल जिन ट्रेनों को प्राईवेट आपरेटर्स चलाएँगे वो रेलवे की ही ट्रेनें होंगी। उसके टिकटिंग की व्यवस्था और उसका चालक दल भी रेलवे का ही होगा।

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इन ट्रेन रूटों को निजी आपरेटर्स के हाथों में सौंपा जाना है

बैठक में देश के बड़े महानगरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के तौर पर चलने वाली 4 सबअर्बन ट्रेन रूटों के निजीकरण पर भी विचार किया गया। इसके अलावा जिन प्रमुख ट्रेन रूटों को निजी आपरेटर्स के हाथों में सौंपा जाना है उनमें दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-लखनऊ, दिल्ली-जम्मू, दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-चेन्नई, मुंबई-चेन्नई जैसे महत्वपूर्ण रूट शामिल हैं। वहीं सबअर्बन ट्रेन रूटों में मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, सिकंदराबाद के सबअर्बन ट्रेन रूट शामिल हैं।

 

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