Jamai Sashti 2022: एक दिन दामाद का-रहती है भरपूर मौज, ससुराल में होती है खूब खातिरदारी
Jamai Sashti 2022:यह पर्व खासकर बंगाली परिवारों और बंगाल में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वैसे भी बंगाल में इस समय आम, लीची, कटहल आदि का सीजन होता है। और इस दिन बेटी दामाद को बुलाकर जश्न मनाया जाता है।
Jamai Sashti 2022: (जमाई षष्ठी, रविवार, 5 जून) भारत देश विविधताओं से भरा हुआ है। वैसे तो यहां तमाम दिन देवी देवताओं को समर्पित हैं तो कुछ दिन मां, पिता, बेटी, बेटे और प्यार को भी समर्पित हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि अपने यहां दामाद(Damad Puja) का भी एक दिन होता है जिस दिन ससुराल में दामाद यानी जमाईराजा(Jamairaja) की जमकर खातिरदारी होती है। ये पर्व ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को जमाई षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। जो इस बार रविवार 5 जून को पड़ रही है।
यह पर्व खासकर बंगाली परिवारों और बंगाल में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वैसे भी बंगाल में इस समय आम, लीची, कटहल आदि का सीजन होता है। और इस दिन बेटी दामाद को बुलाकर जश्न मनाया जाता है।
जमाई षष्ठी की कहानी
हमारे यहां हर उत्सव और पर्व से जुड़ी एक कहानी है कहते हैं एक समय एक बूढ़ी महिला बहुत पेटू या लालची थी। वह घर का सारा चुपचाप खा जाती थी और दोष घर की पालतू बिल्ली पर मढ़ देती थी। बिल्ली चूंकि माता षष्ठी का वाहन माना जाता है। बिल्ली ने बुढ़िया की शिकायत षष्ठी माता से की। इस पर षष्ठी माता क्रोध में आकर बुढ़िया के बेटी दामाद को ले जाती हैं। और बेटी दामाद को बुढ़िया की सचाई बता देती हैं जिससे वह भी नाराज हो जाते हैं।
अब बुढ़िया को बेटी दामाद के जाने का अफसोस होता है वह माता षष्ठी की पूजा शुरू करती है और अपने किये पर बार बार पश्चाताप करती है। माता प्रसन्न होकर उसके बेटी दामाद को लौटा देती हैं। सास के अनुरोध पर दामाद जिस दिन ससुराल पहुंचता है वह दिन षष्ठी का होता है। इसके बाद से लोग दामाद को प्रसन्न रखने के लिए इसे त्योहार के रूप में मनाने लगे।
कैसे मनाया जाता है जमाई षष्ठी का पर्व
बंगाल में इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत रखते हुए सूप में धान, दुर्वा, दही, मिठाई और पांच तरह के फल व एक पंखा रखकर चंदन आदि के साथ देवी षष्ठी की पूजा करती हैं।
इसके बाद बेटी दामाद पर जल छिड़कर कर उनकी पूजा करती हैं। माता षष्ठी से बेटी और जमाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। इसके बाद जमाई को ढेर सारे उपहार देती है। बेटी भी अपनी सास मां के लिए उपहार लेकर जाती है।
इस दिन सुबह के नाश्ते में लूची (पूड़ी), आलू की सब्जी, मैदे की पूड़ी, दाल भरी पूड़ी, हींग दही आलू की सब्जी बनती है। दोपहर में चावल, भुना बैंगन का भुर्ता, मूंग दाल, प्याज के पकौड़े, मछली की करी, अंडा करी या मटन चिकन, पापड़, खट्टे आम की चटनी बनती है। मिठाई में रसगुल्ला, गुलाब जामुन, पांतुआ, आम दही, मिष्टी दही आदि बनता है। कुल मिलाकर इस दिन जमाई राजा की मौज रहती है। और जमकर खातिरदारी होती है।