झारखंड में नाक की लड़ाई बना उपचुनाव, BJP-कांग्रेस गठबंधन के सहारे

दुमका विधानसभा सीट संताल परगना क्षेत्र में आता है। झामुमो संताल को अभेद किला के तौर पर देखता है। संताल परगना की अधिकतर सीटों पर झामुमो का कब्जा रहा है।

Update: 2020-10-14 15:48 GMT
दुमका और बेरमो विधानसभा सीट पर उप चुनाव

रांची : झारखंड में नई हेमंत सोरेन सरकार के गठन के बाद पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं। 03 नवंबर को दुमका और बेरमो विधानसभा सीट पर उप चुनाव होना है। यूपीए जिस एकता के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा और सत्ता पर काबिज हुआ उसी गठजोड़ को उपचुनाव में एकबार फिर परखा जा रहा है।

 

विधानसभा चुनाव में गठजोड़

दूसरी तरफ एनडीए विधानसभा चुनाव में गठजोड़ को कायम नहीं रख सका और भाजपा एवं आजसू को सत्ता से हाथ धोना पड़ा। लिहाज़ा, विधानसभा चुनाव की ग़लती को न दोहराते हुए भाजपा और आजसू ने गठजोड़ के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

ऐसे में साफ है कि, दोनों गठबंधन के लिए उपचुनाव काफी अहमियत रखता है। यूपीए पर जहां दोनों सीटिंग सीटों को बचाने का दबाव है, वहीं एनडीए अपनी खोई सीट को दोबारा पाने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रहा है।

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दुमका और बेरमो विधानसभा सीट पर उप चुनाव

इस सीट पर सबकी नज़र

दुमका विधानसभा सीट संताल परगना क्षेत्र में आता है। झामुमो संताल को अभेद किला के तौर पर देखता है। संताल परगना की अधिकतर सीटों पर झामुमो का कब्जा रहा है। हालांकि, इसमें समय-समय पर ग़ैर झामुमो दलों ने भी जीत दर्ज की है। हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव के दौरान दो सीटों पर किस्मत आज़माया और दोनों ही सीटों पर उसे कामयाबी मिली। दुमका के साथ ही हेमंत सोरेन ने बरहेट से जीत दर्ज की।

 

हेमंत ने दुमका सीट छोड़ दिया

सरकार गठन के बाद झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने दुमका सीट छोड़ दिया। लिहाज़ा, खाली सीट पर जेएमएम की तरफ से झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन के छोटे सुपुत्र एवं हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन को उम्मीदवार बनाया गया है।

जेएमएम इस सीट पर किसी भी क़ीमत पर जीत चाहती है ताकि, संताल पर उसकी पकड़ बनी रही। विधानसभा चुनाव के दौरान हेमंत सोरेन ने दुमका से भाजपा की प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री लुईस मरांडी को शिकस्त दी थी।

 

लुईस मरांडी को मौका

भाजपा इस खोई सीट को हर हाल में पाना चाहती है। यही वजह है कि, एनडीए की ओर से दोबारा लुईस मरांडी को मौका दिया गया है। भाजपा बसंत सोरेन की उम्मीदवारी को परिवारवाद की संज्ञा देते हुए यूपीए पर हमला बोल रही है। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी कह चुके हैं कि, इस चुनाव में परिवारवाद को हार का मुंह देखना पड़ेगा।

 

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सोशल मीडिया से फोटो

 

कांग्रेस बेरमो सीट रखना चाहती है बरकरार

कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह के निधन की वजह से बेरमो सीट खाली हुई है। यहां से पार्टी ने राजेंद्र सिंह के सुपुत्र अनुप सिंह को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी को भरोसा है कि, बेरमो की जनता स्वर्गीय राजेंद्र सिंह के कार्यों को याद रखते हुए वोट करेगी।

दूसरी तरफ भाजपा ने योगेश्वर महतो बाटुल को टिकट दिया है। बाटुल पहले भी बेरमो से प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। भाजपा को भरोसा है कि, बेरमो की जनता पिछले 9 माह के हेमंत सोरेन के कार्यकाल से ऊब चुकी है। लिहाज़ा, बेरमो के लोग एनडीए के पक्ष में वोट करेंगे।

 

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सोशल मीडिया से फोटो

चुनाव परिणाम के मायने

 

विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद यूपीए को पहली बार जनता के सामने जाना पड़ रहा है। लिहाज़ा, चुनाव परिणाम सरकार के कार्यों पर मुहर के तौर पर देखी जाएगी। सत्ता संभालने के साथ ही हेमंत सरकार को कोरोना महामारी ने घेर लिया।

लिहाज़ा, चुनावी घोषणा पत्र में किए गए महागठबंधन के वादे अभी पूरे नहीं हुए हैं। सरकार इस बात को बार-बार दोहरा रही है कि, चुनावी घोषणा पत्र के हर वादे को धरातल पर उतारा जाएगा। पिछले दिनों ही कांग्रेस ने किसानों से किए वादे के तहत कर्ज़ माफी की घोषणा की है।

 

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट।

 

 

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