देश में अघोषित आपातकाल! स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के बहाने हो रही राजनीति

स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सवाल खड़े कर चुके हैं। पिछले दिनों रांची में पत्रकारों से बात करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि, केंद्र सरकार को जब-जब राजनीतिक तौर पर ख़तरा महसूस होता है तो आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को कोपभाजन बनना पड़ता है।

Update:2020-10-16 21:42 IST

रांची -महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में NIA ने पिछले दिनों रांची से स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर मुंबई ले गई। गिरफ्तारी के बाद से झारखंड में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। राजधानी रांची में भी बिरसा समाधि स्थल के पास पांच दिवसीय अनशन किया गया। विभिन्न सामाजिक संगठनों के विरोध प्रदर्शन को सत्ताधारी झामुमो के अलावा कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है। मिशनरी संगठनों ने भी गिरफ्तारी का विरोध किया है जबकि, प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा स्टेन स्वामी पर शिकंजे को जायज़ क़रार दे रही है। पार्टी का कहना है कि, जिन लोगों को देश के संविधान पर विश्वास नहीं है वही लोग स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं।

स्टेन स्वामी पर माओवादियों से संबंध का आरोप

झारखंड में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर वर्षों से आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के बीच काम करने वाले स्टेन स्वामी पर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप लगाया गया है। एनआईए ने स्वामी के ख़िलाफ़ चार्जशीट भी दाख़िल कर दी है। हालांकि, स्टेन स्वामी ने गिरफ्तारी से पहले वीडियो संदेश जारी कर कहा था कि, उन्हे भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में फंसाया जा रहा है जबकि, वो कभी महाराष्ट्र नहीं गए।

मुख्यमंत्री गिरफ्तारी पर उठा चुके हैं सवाल.

स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सवाल खड़े कर चुके हैं। पिछले दिनों रांची में पत्रकारों से बात करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि, केंद्र सरकार को जब-जब राजनीतिक तौर पर ख़तरा महसूस होता है तो आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को कोपभाजन बनना पड़ता है। स्टेन स्वामी लगातार आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के लिए काम करते रहे हैं। भाजपा के हर कृत्य के पीछे कुछ न कुछ छिपा एजेंडा होता है।

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देश में आपातकाल जैसी स्थिति- कांग्रेस.

स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को लेकर झारखंड की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने केंद्र पर हमला बोला है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर तिर्की ने कहा है कि, देश में आपातकाल जैसी स्थिति बनती जा रही है। एनआईए केंद्र सरकार के राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने में लगी है। देशभर में हक़ की आवाज़ उठाने वालों की गिरफ्तारी हो रही है। उन्होने कहा कि, राज्य के किसी भी थाने में स्टेन स्वामी के खिलाफ माओवादियों से संबंध की कोई शिकायत दर्ज नहीं है। दिल्ली और मुंबई में बैठे लोग स्टेन स्वामी पर आरोप लगा रहे हैं।

चर्च ने भी स्टेन की गिरफ्तारी पर उठाए सवाल.

झारखंड में विभिन्न चर्च संगठनों ने स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का विरोध किया है। बाजाप्ते प्रेस बयान जारी कर कैथोलिक क्लीसिया ने कहा कि, स्टेन स्वामी को रांची में एनआईए की अदालत में क्यों पेश नहीं किया गया। सरकार आदिवासियों और दलितों की आवाज़ दबाना चाहती है। कैथोलिक समाज स्टेन स्वामी को जल्द से जल्द रिहा करने की मांग करता है।

चर्च के बयान से भाजपा नाराज़.

स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के विरोध में चर्च द्वारा आवाज़ उठाने पर भाजपा ने सवाल खड़े किए हैं। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि, ऐसा लगता है कि, चर्च को भारतीय संविधान पर विश्वास नहीं है। चर्च द्वारा चार्जशीटेड स्टेन स्वामी के पक्ष में बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होने कहा कि, चर्च को अपने धार्मिक कार्यों तक खुद को सीमित रखना चाहिए। अदालती कार्रवाई में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

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स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के विरोध में विभिन्न सामाजिक संगठनों का पांच दिवसीय अनशन

महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगावं हिंसा मामले में स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के विरोध में विभिन्न सामाजिक संगठनों का पांच दिवसीय अनशन समाप्त हो गया है। बिरसा समाधि स्थल में प्रेस को जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता आलोका कुजूर ने बताया कि, शनिवार 17 अक्टूबर को रांची के ज़िला स्कूल मैदान से राजभवन तक मार्च निकाला जाएगा। कार्यक्रम को कांग्रेस और झामुमो समेत विभिन्न सामाजिक संगठनों का समर्थन प्राप्त है। मार्च के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

 

अलोका कुजूर ने बताया कि, स्टैंड विद स्टेन को विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ ही आम लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ है। उन्होने कहा कि, हम राज्य सरकार से आग्रह करते हैं कि, महाराष्ट्र सरकार से बातचीत कर स्टेन स्वामी की रिहाई का रास्ता निकाला जाए।

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कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर तिर्की ने कहा कि, देश में अघोषित इमरजेंसी लागू है। एनआईए केंद्र सरकार के राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने में लगी है। देशभर में हक़ की आवाज़ उठाने वालों की गिरफ्तारी हो रही है। उन्होने कहा कि, राज्य के किसी भी थाने में स्टेन स्वामी के खिलाफ माओवादियों से संबंध की कोई शिकायत दर्ज नहीं है। दिल्ली और मुंबई में बैठे लोग स्टेन स्वामी पर आरोप लगा रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने कहा कि, स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी मानवाधिकार का हनन है।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट

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