Kargil Vijay Diwas: ‘पाकिस्तान ने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा, आतंकियों के आका भी सुन लें मेरी आवाज', बोले पीएम मोदी

Kargil Vijay Diwas: कारगिल में हमने केवल युद्ध नहीं जीता था, लेकिन सत्य की भी जीत हुई है। उस समय भारत शांति के लिए कार्य कर रहा था, लेकिन पाकिस्तान ने विश्ववासघात किया और उसके मुंह की खानी पड़ी।

Report :  Viren Singh
Update: 2024-07-26 05:49 GMT

Kargil Vijay Diwas:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 25वें कारगिल विजय दिसव के अवसर पर जम्मू-कश्मीर के द्रास पहुंचे, यहां पर उन्होंने आज से 25 साल पहले कारगिल युद्ध के मैदान पर अपने सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को कारगिल युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की और युद्ध नायकों को याद किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कारगिल युद्ध स्मारक का दौरा भी किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सैनिकों और अन्य उपस्थित लोगों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं ऐसी जगह से बोल रहा हूं जहां आतंक के आका मेरी आवाज सीधे सुन सकते हैं।

इतिहास से पाकिस्तान ने कुछ नहीं सीखा

कारगिल दिवस की रजत जयंती (25 साल) पर द्रास पर आयोजित कार्यक्रम से जरिए पीएम मोदी ने आतंकवादियों की फैक्ट्री कहे जाने वाला देश पाकिस्तान के चेहरे को उजागर किया। पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने अतीत में जितने भी दुष्प्रयास किये, उसे हमेशा मुंह की खानी पड़ी है, मगर पाकिस्तान ने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा. वह आतंकवाद और प्रॉक्सी वॉर के सहारे अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि कारगिल में हमने केवल युद्ध नहीं जीता था, लेकिन सत्य की भी जीत हुई है। उस समय भारत शांति के लिए कार्य कर रहा था, लेकिन पाकिस्तान ने विश्ववासघात किया और उसके मुंह की खानी पड़ी। उन्होंने कहा कि मैं आतंकवाद के इन संरक्षकों को बताना चाहता हूं कि उनके नापाक इरादे कभी सफल नहीं होंगे। हमारे जवान पूरी ताकत से आतंकवाद को कुचलेंगे और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।


मोदी ने कहा कि मुझे याद है कि किस तरह हमारी सेनाओं ने इतनी ऊंचाई पर, इतने कठिन युद्ध ऑपरेशन को अंजाम दिया था। मैं देश को विजय दिलाने वाले ऐसे सभी शूरवीरों को आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं। मैं उन शहीदों को नमन करता हूं, जिन्होंने कारगिल में मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।


कारगिल युद्ध स्मारक, जिसे द्रास युद्ध स्मारक के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय सेना द्वारा अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों की याद में बनाया गया था। यह केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित है।


शिंकुन ला सुरंग परियोजना का मोदी ने उद्धाटन

द्रास से प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअली शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट भी किया। शिंकुन ला सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग शामिल है, जिसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा मार्ग पर लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा, ताकि लेह को हर मौसम में संपर्क प्रदान किया जा सके। पूरा होने के बाद, यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। शिंकुन ला सुरंग देश के सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी और लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देगी।

युद्ध नायकों की जयकार से गूंजी द्रास की धरती

कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर लामोचेन (द्रास) में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में कारगिल युद्ध नायकों की वीरगाथा का बखान किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अथिति थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी रहे। सेना प्रमुख ने भी द्रास युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।


कार्यक्रम में सेना की उत्तरी कमान के सभी प्रमुख अधिकारी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत माइक्रोलाइट नोड गया के फ्लाइंग रैबिट्स के फ्लाईपास्ट से हुई। कारगिल युद्ध की घटनाओं का ऑडियो विजुअल चलाया गया, जिसमें कारगिल युद्ध की पूरी कहानी बताई गई। भीषण युद्धों वाले पहाड़ों की पृष्ठभूमि में जीवंत वर्णन ने प्रत्येक युद्ध के दृश्य को जीवंत कर दिया। कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, सहित देश के तामम नेताओं कारगिल युद्ध के शहीद सैनिकों को याद करते हुए अपने श्रद्धासमुन अर्पित किए।

ऑपरेशन विजय दिया गया था नाम

कारगिल विजय दिवस, जो हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, 1999 में ऑपरेशन विजय की सफलता का स्मरण कराता है। पाकिस्तान ने सर्दियों की बर्फबारी के दौरान धोखे से भारतीय सीमा की कई पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था। इसमें द्रास, टाइगर हिल समेत कई अहम इलाके थे, जोकि भारतीय के रणनीतिक ठिकाने थे। कबीलों के भेष में पाकिस्तान की सेना ने करीब 134 किमी के दायर में अपनी पैठ बना ली थी। इसके बाद भारतीय सेना ने कार्रवाई शुरू की। कारगिल युद्ध करीब 3 महीने तक चला। इस युद्ध में भारत के 545 वीर योद्धा शदीह हुए, जबकि 1363 जवान घायल हुए।



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