Karnataka Election 2023: AIMIM की 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी,कांग्रेस को सियासी नुकसान पहुंचा सकते हैं ओवैसी

Karnataka Election 2023: एआईएमआईएम की ओर से कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर के साथ गठबंधन के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

Update:2023-04-05 16:14 IST

Karnataka Election 2023: कर्नाटक 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम की ओर से 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी है। पार्टी की ओर से तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की जा चुकी है और अन्य उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी जल्द ही किया जाएगा। वैसे एआईएमआईएम की ओर से कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर के साथ गठबंधन के प्रयास भी किए जा रहे हैं। पार्टी के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि हम कर्नाटक में चुनावी गठबंधन करने के लिए तैयार हैं मगर इतना तो तय है कि हमारी पार्टी की ओर से विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारे जाएंगे। गठबंधन को लेकर अभी हमें इंतजार करना होगा। उसके बाद ही पूरी तस्वीर साफ हो पाएगी।

कर्नाटक में 13 फ़ीसदी मुस्लिम वोट के मद्देनजर एआईएमआईएम की ओर से प्रत्याशी उतारने की घोषणा से कांग्रेस को सियासी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। ओवैसी पहले ही कई राज्यों में विपक्ष की चुनावी संभावनाओं को झटका दे चुके हैं। अब कर्नाटक में भी एआईएमआईएम के प्रत्याशी कई सीटों पर मुस्लिम वोट काटकर भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

जद एस के साथ गठबंधन का प्रयास

एआईएमआईएम के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष उस्मान गनी का कहना है कि अभी तक पार्टी की ओर से 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी है। हालांकि पार्टी की ओर से चुनावी गठबंधन के लिए पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा की अगुवाई वाली पार्टी जद एस के साथ बातचीत भी की जा रही है। उन्होंने बताया कि अभी तक इस मामले में कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है।

कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान एआईएमआईएम की ओर से जद एस का समर्थन किया गया था। उस समय पार्टी की ओर से कोई भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया था मगर इस बार पार्टी चुनाव मैदान में उतरने का मूड बना चुकी है। पार्टी के मुखिया ओवैसी ने भी इस ओर इशारा किया है।

कांग्रेस के साथ नहीं होगा कोई गठबंधन

ओवैसी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कांग्रेस हमारे साथ कोई गठबंधन नहीं करना चाहती और पार्टी की ओर से मुझ पर निराधार आरोप लगाए जाते रहे हैं। ऐसे में मेरी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की कोई संभावना नहीं है। हालांकि उन्होंने जद एस के साथ चुनावी गठबंधन की संभावना को खारिज नहीं किया। उन्होंने ओबीसी श्रेणी के तहत मुस्लिमों के चार फ़ीसदी आरक्षण को समाप्त किए जाने पर बोम्मई सरकार पर तीखा हमला किया।

उन्होंने राज्य सरकार के इस फैसले को अवैध करार देते हुए सवाल किया कि आखिरकार इस मुद्दे पर लड़ाई क्यों नहीं लड़ी गई? ओवैसी ने कहा कि राज्य में कई सियासी दल सक्रिय हैं मगर इन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की ओर से इस बाबत कोई बयान तक नहीं जारी किया गया।

कांग्रेस को इस तरह नुकसान पहुंचाएंगे ओवैसी

कर्नाटक में मुस्लिमों की आबादी करीब 13 फीसदी है और राज्य की करीब 23 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोट काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ओवैसी की ओर से 25 सीटों पर लड़ने की तैयारी से माना जा रहा है कि वे मुस्लिम बहुल सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारेंगे। ऐसे में ओवैसी के उम्मीदवार कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे। अगर जद एस के साथ ओवैसी की पार्टी का गठबंधन नहीं हो सका तो कांग्रेस और जद एस दोनों को मुस्लिम बहुत विधानसभा सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैसे कांग्रेस और जद एस के मुस्लिम नेताओं की ओर से इस बार ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की मांग की जा रही है।

सियासी जानकारों का मानना है कि ओवैसी के उम्मीदवार अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। चुनाव आयोग की ओर से राज्य में मतदान की तिथि की घोषणा के बाद सियासी गतिविधियां तेज हो चुकी हैं और अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि ओवैसी का जद एस के साथ गठबंधन हो पाता है या नहीं। कर्नाटक में हिजाब को लेकर भी काफी विवाद हुआ था जिसे लेकर ओवैसी ने आक्रामक रुख अपनाया था। ऐसे में अब कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतों का रुझान देखना दिलचस्प होगा।

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