Reservation: अब प्राइवेट नौकरी में भी मिलेगा 100 फीसदी आरक्षण, इस राज्य की सरकार ने दी विधेयक को मंजूरी

Kannad Reservation: विधि विभाग के सूत्रों के अनुसार, 'कर्नाटक राज्य उद्योग, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक, 2024' गुरुवार को विधानसभा में पेश किया जाएगा।

Newstrack :  Network
Update: 2024-07-17 06:24 GMT

Kannad Reservation (सोशल मीडिया) 

Kannad Reservation: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने कन्नड़ जाति के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार राज्य में निजी कंपनियों में ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियों के लिए कन्नड़ लोगों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई है। सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक्स पर दी।

कन्नड़ लोगों हमारी प्राथमिकता

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट कर इस संदर्भ की जानकारी देते हुए कहा कि 'कल हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दी गई। उन्होंने आगे कहा कि 'हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं। हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण करना है।

जानिए क्या कहा गया विधेयक में

विधि विभाग के सूत्रों के अनुसार, 'कर्नाटक राज्य उद्योग, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक, 2024' गुरुवार को विधानसभा में पेश किया जाएगा। स्थानीय उम्मीदवारों की नियुक्ति के बारे में विधेयक में कहा गया है कि किसी भी उद्योग, कारखाने या अन्य प्रतिष्ठानों को प्रबंधन श्रेणियों में पचास प्रतिशत स्थानीय उम्मीदवारों और गैर-प्रबंधन श्रेणियों में सत्तर प्रतिशत स्थानीय उम्मीदवारों की नियुक्ति करनी होगी। यदि उम्मीदवारों के पास कन्नड़ भाषा के साथ माध्यमिक विद्यालय का प्रमाण पत्र नहीं है तो उन्हें नोडल एजेंसी द्वारा कन्नड़ भाषा में परीक्षा पास करनी होगी। अगर कोई योग्य स्थानीय उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं तो सरकार या उसकी एजेंसियों के सक्रिय सहयोग से प्रतिष्ठानों को तीन साल के अंदर प्रशिक्षण देना होगा। यदि पर्याप्त संख्या में स्थानीय उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो कोई प्रतिष्ठान इस अधिनियम के प्रावधानों से छूट के लिए सरकार को आवेदन कर सकता है।

उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान

विधेयक के मुताबिक, अगर कोई भी नियोक्ता, अधिभोगी या प्रतिष्ठान के प्रबंधक इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं, उन्हें 10,000 रुपये से 25,000 रुपये तक के जुर्माने भरना पड़ेगा। यदि जुर्माना लगाए जाने के बाद भी उल्लंघन जारी रहता है तो उल्लंघन जारी रहने तक प्रत्येक दिन के लिए 100 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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